मुफ्त अनाज की घोषणा के पीछे का अर्थशास्त्र और राजनीति क्या है?

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मुफ्त अनाज की घोषणा के पीछे का अर्थशास्त्र और राजनीति क्या है?

| Updated: January 3, 2023 14:46

केंद्रीय मंत्रिमंडल का 24 दिसंबर का फैसला देश में मतदाताओं को रेवड़ी बांटने के बहस के बीच आया। 2023 का राजनीतिक कैलेंडर नौ राज्यों के चुनावों से भरा हुआ है। इसके बाद 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे। सरकार ने राशन कार्ड पर 2023 में मुफ्त अनाज देने की घोषणा की है। लेकिन इस फैसले के पीछे का अर्थशास्त्र (economics) और राजनीति (politics) क्या है?

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKAY)- अप्रैल 2020 में कोरोना वायरस के कहर के दौरान राहत उपाय के रूप में शुरू की गई थी। इसके तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA ) के लाभार्थी परिवारों प्रति व्यक्ति हर महीने मिल रहे पांच किलो अनाज के अलावा मुफ्त में 5 किलोग्राम और दिया गया था। बता दें कि अंत्योदय परिवार को हर महीने 35 किलोग्राम अनाज दिया जाता है। पांच किलो अतिरिक्त अनाज देने वाली योजना को फिलहाल बंद कर दिया गया है।

खाद्य सुरक्षा कानूनः

एनएफएसए को यूपीए-2 सरकार ने शुरू किया था। इसे 5 जुलाई  2013 को लागू किया गया था। इसमें देश में 67 प्रतिशत परिवारों- 50 प्रतिशत शहरी और 75 प्रतिशत ग्रामीण- को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली ((TPDS) के तहत सब्सिडी वाले अनाज का अधिकार मिलता है। देश भर में लगभग 81.35 करोड़ लोग एनएफएसए के तहत आते हैं।

रियायती कीमतों को कानून की अनुसूची-1 (Schedule-1 ) में रखा गया है, जिसे सरकार कार्यकारी आदेश से बदल सकती है। दरअसल, सरकार ने 30 दिसंबर  2022 को एक जनवरी से एनएफएसए के तहत मुफ्त अनाज देने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। एक लाभार्थी जिस अनाज का हकदार है, उसकी मात्रा भी निर्धारित है, और इसे संसद की मंजूरी के बिना बदला नहीं जा सकता है।

अब तक एनएफएसए लाभार्थी क्रमशः 3 रुपये, 2 रुपये और 1 रुपये प्रति किलोग्राम चावल, गेहूं और पोषक अनाज (बाजरा) का भुगतान करते रहे हैं। ये कीमतें शुरू में तीन साल के लिए तय की गई थीं। इसके बाद अनाज की आपूर्ति “ऐसी कीमत पर, जो केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय की जा सकती है, से अधिक नहीं होनी चाहिए, (i) गेहूं और मोटे अनाज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य; और (ii) चावल के लिए व्युत्पन्न न्यूनतम समर्थन मूल्य, जैसा भी मामला हो।” जबकि इसके तीन साल 5 जुलाई  2016 को पूरे हो गए। अनाजों की लागत में लगातार वृद्धि और सरकार के बढ़ते खाद्य सब्सिडी बिल के बावजूद राशन में कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।

बढ़ता आर्थिक बोझः

आर्थिक लागत के चार मुख्य घटक (components) हैं- अनाज की पूल की गई लागत, खरीद संबंधी प्रासंगिकताएं, अधिग्रहण लागत और वितरण लागत- जो पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हैं। चावल की आर्थिक लागत 2013-14 में 2,615.51 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2016-17 में 3,104.96 रुपये से चालू वित्त वर्ष में 3,670.04 रुपये हो गई है। गेहूं की आर्थिक लागत 2013-14 में 1,908.32 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2016-17 में 2,196.98 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 2,588.70 रुपये हो गई है।

सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल भी तेजी से बढ़ा है। 2021-22 में 2,86,469.11 करोड़ रुपये पर आने से पहले यह 2020-21 में 5,41,330.14 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सरकार ने 2022-23 के लिए 2,06,831.09 करोड़ रुपये के सब्सिडी बिल का बजट रखा है, लेकिन यह और बढ़ सकता है। सरकार ने कहा है कि एनएफएसए के तहत मुफ्त अनाज बांटने की लागत करीब 2 लाख करोड़ रुपये आएगी।

पीएम-जीकेएवाई और एनएफएसएः

पिछले साल 28 सितंबर को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले, सरकार ने पीएम-जीकेएवाई के सातवें चरण की घोषणा की थी। इसमें दिसंबर के अंत तक कोविड-19 राहत उपाय का विस्तार किया गया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने पीएम-जीकेएवाई के छठे चरण तक लगभग 3.45 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे, और सातवें चरण के अंत में कुल लागत 3.91 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद थी।

योजना के तहत कुल अनाज आवंटन 1,121 लाख मीट्रिक टन ((LMT))  था। 31 दिसंबर, 2022 के बाद पीएम-जीकेएवाई को बंद करना हाल के महीनों में देश के अनाज के भंडार में कमी को देखते हुए महत्वपूर्ण है। पिछले साल 30 नवंबर तक चावल (115.42 एलएमटी) और गेहूं (190.27 एलएमटी) का संयुक्त स्टॉक 305.69 एलएमटी था, जो 2021 में उसी दिन 591.56 एलएमटी (213.03 एलएमटी चावल और 378.53 एलएमटी गेहूं) के स्टॉक से कम था। वैसे तो चावल के स्टॉक की स्थिति ठीक है, लेकिन गेहूं का स्टॉक बफर स्टॉक की आवश्यकता से ठीक ऊपर है। PM-GKAY पर सरकार का खर्च लगभग 15,000 करोड़ रुपये प्रति माह था।

कितना काफी है?

24 दिसंबर को कैबिनेट के फैसले की घोषणा करते हुए खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था, “अधिक मात्रा की आवश्यकता नहीं है।” यह पीएम-जीकेएवाई शुरू होने पर सरकार की सोच से अलग था।

पीएम-जीकेएवाई के समय प्राथमिकता वाले परिवार (पीएचएच) के एक व्यक्ति को प्रति माह 10 किलोग्राम अनाज (एनएफएसए और पीएम-जीकेएवाई के तहत प्रत्येक 5 किलोग्राम) प्राप्त हुआ। यह 2011-12 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में औसत मासिक अनाज की खपत 11.23 किलोग्राम और शहरी क्षेत्रों में खपत 9.32 किलोग्राम से थोड़ा अधिक था। ऐसा एनएसएसओ के घरेलू खपत सर्वेक्षण के नए आंकड़े बताते हैं।

दिसंबर 2022 के ताजा आवंटन आदेश के अनुसार, एनएफएसए के तहत प्रति माह वितरण के लिए 13.67 एलएमटी गेहूं और 31.72 एलएमटी चावल की आवश्यकता है। पीएम-जीकेएवाई के लिए मासिक आवश्यकता लगभग 40 एलएमटी थी (7 एलएमटी गेहूं और 33 एलएमटी चावल)।

मुफ्त अनाज का अर्थशास्त्रः

24 दिसंबर के फैसले से सरकारी खजाने पर 13,900 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा और 2023 कैलेंडर वर्ष के लिए कुल खाद्य सुरक्षा बिल लगभग 2 लाख करोड़ रुपये होगा। हालांकि, इससे एनएफएसए के लाभार्थियों को कुछ बचत होगी। अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) परिवारों के लिए, जो प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न के हकदार हैं, सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 99.75 एलएमटी (71.07 एलएमटी चावल और 28.68 एलएमटी गेहूं) अलॉट किया है।

इसका मतलब है कि देश में एएवाई परिवारों को पूरे साल कुल 2,705 करोड़ रुपये की बचत होगी। हालांकि, अगर एएवाई परिवारों को खुले बाजार से अतिरिक्त मात्रा में अनाज (जो उन्हें पीएम-जीकेएवाई के तहत मिल रहा था) खरीदने की जरूरत है, तो उन्हें अधिक भुगतान करना होगा।

इसी तरह, PHH के लिए, सरकार ने 423.86 LMT अनाज (272.8 LMT चावल, 144.76 LMT गेहूं, और 6.3 LMT पोषक-अनाज) आवंटित किए हैं। इससे वे एक साथ वर्ष में लगभग 11,142 करोड़ रुपये बचा सकते हैं। एएवाई परिवारों की तरह पीएचएच को भी बाजार दर पर अतिरिक्त खाद्यान्न खरीदने के लिए अधिक खर्च करना होगा।

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