पांच साल बाद पाटीदारों की घर वापसी

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पांच साल बाद पाटीदारों की घर वापसी

| Updated: December 9, 2022 11:28

गुजरात में रिजर्वेशन आंदोलन के साये हुए हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार समुदाय के एक बड़े वर्ग ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ मतदान किया था। लेकिन मतदाता के रूप में इस प्रभावशाली सामाजिक समूह ने लगभग सभी सीटों पर भाजपा का ही साथ दिया। भाजपा ने राज्य के पाटीदार बहुल क्षेत्रों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। लगभग हर वह सीट जीती है, जहां पटेलों की अच्छी खासी आबादी है।

सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस ने 2017 में मोरबी, टंकारा, धोराजी और अमरेली की पाटीदार बहुल सीटों पर जीत हासिल की थी। ये सभी विधानसभा क्षेत्र इस बार भाजपा की झोली में चले गए। हालांकि, पाटीदार बहुल सूरत में आप कुछ सीटों पर अपनी जीत की उम्मीद कर रही थी, लेकिन इस सामाजिक समूह ने और बड़े पैमाने पर सत्ताधारी दल का समर्थन किया। भगवा संगठन ने वराछा रोड, कटारगाम और ओलपाड की पाटीदार सीटों पर बड़े अंतर से जीत हासिल की।

उत्तर गुजरात में कांग्रेस ने पांच साल पहले पाटीदार बहुल उंझा सीट जीती थी, लेकिन इस बार वह भाजपा से हार गई। बीजेपी ने 2022 के चुनाव से पहले पटेल समुदाय तक पहुंच बनाई। सितंबर 2021 में पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की जगह वर्तमान भूपेंद्र पटेल को नियुक्त किया। सत्तारूढ़ दल ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को कांग्रेस से अपने पाले में लाया और उन्हें वीरमगाम विधानसभा सीट से मैदान में उतारा, जहां से उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की।

राज्य और केंद्रीय स्तर पर भाजपा का सबसे बड़ा दांव रहा- “उच्च जातियों” के गरीबों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग या ईडब्ल्यूएस) को नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत का कोटा देना।

2017 का चुनाव समुदाय के लिए ओबीसी का दर्जा हासिल करने के लिए शुरू किए गए हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले कोटा आंदोलन की छाया में लड़ा गया था। 2017 के चुनावों में 182 में से 150 सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के बावजूद  भाजपा को सिर्फ 99 सीटें मिली थीं। पाटीदार कोटा आंदोलन और भाजपा के खिलाफ हार्दिक पटेल के बड़े अभियान की बदौलत विपक्षी कांग्रेस तब 77 सीटों पर विजयी हुई थी।

गुजरात में लगभग 40 सीटें ऐसी हैं, जहां पाटीदार मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ये सीटें राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में फैली हुई हैं। हालांकि पटेलों की गुजरात की आबादी में लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा है। 2017 में 44 पाटीदार विधायक चुने गए, जिन्होंने गुजरात में चुनावी राजनीति पर अपना प्रभाव दिखाया।

सौराष्ट्र क्षेत्र में पाटीदार बहुल कुछ सीटों में मोरबी, टंकारा, गोंडल, धोराजी, अमरेली, सावरकुंडला, जेतपुर, राजकोट पूर्व, राजकोट पश्चिम और राजकोट दक्षिण शामिल हैं। जबकि उत्तरी गुजरात में विजापुर, विसनगर, मेहसाणा और उंझा सीटों में पाटीदार मतदाताओं की काफी संख्या है। अहमदाबाद शहर की कम से कम पांच सीटों- घाटलोडिया, साबरमती, मणिनगर, निकोल और नरोदा- को भी पटेल बहुल क्षेत्र माना जाता है।

दक्षिण गुजरात में सूरत जिले की कई सीटों को पाटीदारों का गढ़ माना जाता है। इनमें वराछा, कामरेज, कटारगाम और सूरत उत्तर शामिल हैं।

2022 के चुनावों के लिए भाजपा ने 41 पाटीदारों को टिकट दिया था, जो कांग्रेस की संख्या से एक अधिक था। आप ने समुदाय से बड़ी संख्या में सदस्यों को टिकट भी दिया था। समुदाय को खुश रखने के लिए भगवा संगठन ने यह भी घोषणा की थी कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को इस पद पर बनाए रखा जाएगा।

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