गुजरात पहुंची हेरोइन दरअसल भारत के लिए पाकिस्तान-अफगानिस्तान वाली पुरानी समस्या का नया सिरदर्द है - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

गुजरात पहुंची हेरोइन दरअसल भारत के लिए पाकिस्तान-अफगानिस्तान वाली पुरानी समस्या का नया सिरदर्द है

| Updated: September 23, 2021 19:39


गुजरात हेरोइन तस्करी मामले में पाकिस्तान की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जिसमें भारत के गुजरात में पहुंचे कंटेनरों से 4.2 अरब डॉलर यानी 21,900 करोड़ रुपये की हेरोइन जब्त की गई है। गिरफ्तार किए गए भारतीयों का यह कबूलनामा बड़ी समस्या की ओर इशारा करते हैं कि यह इकलौती  खेप नहीं थी, बल्कि दो और खेप आने वाली थी। इसके बाद देश भर में हेरोइन की बरामदगी से स्पष्ट होता है कि इससे पहले भी  मादक पदार्थों की कम से कम पांच खेप पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान से भारत पहुंच चुकी है।

अफगानिस्तान से पाकिस्तान में मादक पदार्थों की तस्करी की जड़ें क्षेत्रीय भूगोलीय राजनीति में हैं। पाक-अफगान मादक पदार्थों की तस्करी एक आकर्षक व्यवसाय है, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। दोनों देश नशीली दवाओं के व्यापार से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। जर्नल ऑफ द रिसर्च सोसाइटी ऑफ पाकिस्तान, लाहौर, वॉल्यूम-50 में प्रकाशित तेहरान उस्मान खान और मिन्हास मजीद के सारगर्भित दस्तावेज के अनुसार, अफगानिस्तान सबसे बड़ी और बेहतरीन गुणवत्ता वाली नशीली दवाओं का उत्पादन करता है, जबकि पाकिस्तान उसका महत्वपूर्ण ग्राहक है, जो मादक पदार्थों के व्यापार में एक प्रमुख पारगमन बिंदु (ट्रांसशिपमेंट पॉइंट) और महत्वपूर्ण खिलाड़ी है।

बता दें कि गुजरात में हेरोइन का जखीरा अफगानिस्तान से ईरान के एक बंदरगाह के जरिए भारत आया था। इसका मतलब है कि यह खेप अफगानिस्तान से पाकिस्तान और फिर ईरान और इसके बाद भारत पहुंचा। यानी यह सीधे भारत नहीं आया।

हालांकि पाकिस्तान लगातार यह दावा करता रहा है कि वह किसी भी तरह अफगानिस्तान की सहायता नहीं करता है, लेकिन पाकिस्तानी झूठ के इतिहास को देखते हुए उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।

बीबीसी के मुताबिक, तालिबान की अर्थव्यवस्था सालाना करीब 1.5 अरब डॉलर की है। इसका कम से कम 70 प्रतिशत मादक पदार्थों के अवैध व्यापार और तस्करी पर निर्भर है। इस तरह  भारत पहुंची 4.2 अरब डॉलर की हेरोइन की खेप तालिबान की अर्थव्यवस्था और उसकी नापाक गतिविधियों को पूरा कर सकती थी।

पहले अधिकांश नशीली दवाएं अफगानिस्तान से पंजाब के रास्ते आती थीं। लेकिन बाद में विशाल समुद्र तट के कारण उड़ता पंजाब को गुजरात से बदल दिया गया। पहले के भूमि मार्ग को समुद्री मार्ग से बदल दिया गया है।

गुजरात का सबसे बड़ा जिला कच्छ, भारत की सबसे बड़ी तटीय रेखा है। गुजरात में भारत का सबसे बड़ा समुद्र तट है और भारतीय बंदरगाह प्रमुख पारगमन बिंदु बन गए हैं, जहां से इन खेपों को अक्सर छोटे शहरों और नगरों में भेजा जाता है, जिन्हें इन मादक पदार्थों के रिसीवर के रूप में पहचाना जाता है।

दुर्भाग्य से, गुजरात ने हेरोइन बरामदगी में दुनिया में नंबर एक होने की कुख्याति हासिल कर ली है। दुनिया भर में जब्त की गई हेरोइन का आधिकारिक आंकड़ा सालाना 93 टन है और गुजरात में 3 टन है- यानी एक बार में दुनिया में हेरोइन की सबसे बड़ी जब्ती। भारतीय एजेंसियों की जांच के बाद यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है।

इस सिलसिले में चेन्नई के जिस दंपती को गिरफ्तार किया गया है, उनका इस्तेमाल टैल्कम पाउडर या टैल्कम स्टोन की आड़ में और ड्रग्स ऑर्डर करने के लिए किया जा सकता था। दंपती आशी ट्रेडिंग नामक कंपनी चलाते थे। माना जाता है कि यह एक शेल कंपनी है, जिसमें मुख्य ऑपरेटर पूरी तरह से पर्दे के पीछ छिपे  रहते हैं। इनका चार या छह स्तर का ऑपरेशन हो सकता है, जैसा कि ज्यादातर मादक पदार्थों की तस्करी के मामलों में होता है, और  छापे के बाद भी असली धंधेबाज का खुलासा नहीं किया जाता है। केंद्रीय जांच एजेंसी के सूत्र ने कहा कि अफगानिस्तान से सभी पार्सल दो केंद्रों के माध्यम से भारत आते हैं, जिनमें से एक हमेशा पाकिस्तान होता है।
दुनिया के सबसे बड़े हेरोइन तस्करी मामले का पर्दाफाश करने वाले राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने पुष्टि की है कि नवीनतम माल पहले की तरह ही समुद्री मार्ग से आया था। भारतीय एजेंसियों ने इस सनसनीखेज मामले में चार अफगान, एक उज्बेक और एक महिला समेत तीन भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया है।

अफगानिस्तान का वर्जित फूल

अफगानी हेरोइन न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय हेरोइन है। वहां उगने वाली अफीम, जिससे हेरोइन तैयार की जाती है, अपने नशीलेपन के कारण सबसे शक्तिशाली मानी जाती है। अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में मादक पदार्थों के योगदान पर रिसर्च करने वाले शिक्षाविदों के अनुसार, उच्च गुणवत्ता वाली अफीम और एसिटिक एनहाइड्राइड का उपयोग करके हेरोइन बनाने की अफगान शैली को मैक्सिकन या लैटिन अमेरिकी शैली की तुलना में अधिक शक्तिशाली माना जाता है। चूंकि अब अफगानिस्ता में तालिबान शासन है, इसलिए उन्होंने वाइब्स ऑफ इंडिया से ऑन रिकॉर्ड बात करने से इंकार कर दिया।

अफगानिस्तान 5750 मिलियन टन वार्षिक हेरोइन उत्पादन के वर्तमान अनुमान के साथ दुनिया में हेरोइन का सबसे बड़ा उत्पादक है। वर्ल्‍ड ड्रग रिपोर्ट-2021 के अनुसार, पश्चिमी देशों में हेरोइन की खपत में गिरावट देखी जा रही है और इसका असर वहां की बरामदगी में कमी के रूप में भी दिखा है। वर्ल्ड कस्टम ऑर्गेनाइजेशन यानी विश्व सीमा शुल्क संगठन के आंकड़ों के अनुसार, जब्त किए गए 228 टन अफीमसम (ओपिओइड) या सिंथेटिक दवाओं की तुलना में हेरोइन की सालाना कुल बरामदगी लगभग 93 टन है।

हालांकि भारत में हेरोइन की खपत जो 2008 में दुनिया की 19 प्रतिशत थी, 2020 में बढ़कर 34.8 प्रतिशत हो गई है। भारत पूरे दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान का सबसे बड़ा हेरोइन बाजार है।

जब्ती और उसके बाद

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार, राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने 13 सितंबर को दो कंटेनरों को जांच के लिए पकड़ा था, जो अफगानिस्तान के कंधार से बंदर अब्बास, ईरान के रास्ते मुंद्रा बंदरगाह पर पहुंचे थे। कंटेनरों को अर्ध-संसाधित टैल्कम स्टोन के रूप में लेबल किया गया था। 17 और 19 सितंबर को विस्तृत जांच में दो कंटेनरों से 2,988 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई।

हालांकि कंटेनरों को पांच दिन पहले पकड़ लिया गया था। फिर भी हेरोइन होने के खुलासे में समय लगा, क्योंकि मादक पदार्थ को जंबो बैग में छुपाया गया था, जिसमें कथित तौर पर टैल्कम पाउडर था। हेरोइन को बैग की निचली परतों में रखा गया था और पता लगाने से बचने के लिए टैल्कम स्टोन को इसके ऊपर रख दिया गया था। भारत सरकार के मुताबिक, इसके कारण  हेरोइन को टैल्कम स्टोन से अलग करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।

इसके बाद नई दिल्ली, नोएडा (यूपी), चेन्नई, कोयंबटूर, अहमदाबाद, मांडवी, गांधीधाम और विजयवाड़ा में धड़ाधड़ कार्रवाई की गई। सरकार ने बताया कि इससे दिल्ली के एक गोदाम से 16.1 किलोग्राम हेरोइन, कोकीन होने के संदेह वाले 10.2 किलोग्राम पाउडर और नोएडा के एक रिहायशी स्थान से 11 किलोग्राम हेरोइन लगने वाले पदार्थ बरामद हुए हैं। इससे यह भी पता चलता है कि पहले भी माल आ चुका है।

इस मामले में अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें चार अफगान नागरिक, एक उज़्बेक नागरिक और तीन भारतीय हैं। गिरफ्तार किए गए भारतीयों में एक व्यक्ति ऐसा भी  है, जिसके पास आयात निर्यात कोड (आईईसी) था। इसका इस्तेमाल खेप को आयात करने के लिए किया जाता था। उसे  चेन्नई में गिरफ्तार किया गया था। जांच अभी जारी है।

वर्तमान में, भारत सरकार को अफगानिस्तान के वास्तविक दोषियों  के बारे में कोई जानकारी नहीं है। क्योंकि, गिरफ्तार किए गए लोग नाव पर ही पाए गए हैं और वे सरगना नहीं, बल्कि साधारण पिट्ठू हैं, जैसा कि उन्हें नशीले पदार्थों के व्यापार में कहा जाता है।

भारत सरकार ने कहा है, “जब विशेष खुफिया जानकारी के बाद जहाज की तलाई ली गई, तो उन्हें पता चला कि प्रतिबंधित सामग्री में टैल्क स्टोन पाउडर मिला हुआ था और ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट से दो कंटेनरों के माध्यम से दवाओं को भेजा जा रहा था, जिनका वजन 40 टन था।”

अधिकारियों ने बयान जारी कर कहा, “विशिष्ट खुफिया जानकारी  थी कि मेसर्स आशी ट्रेडिंग कंपनी, विजयवाड़ा द्वारा आयातित एक खेप, जिसे बंदर अब्बास पोर्ट से मुंद्रा पोर्ट में भेजे गए अर्ध-संसाधित टैल्कम स्टोन के रूप में घोषित किया गया था, में नशीली दवाएं होने का संदेह है। खुफिया सूत्रों ने संकेत दिया कि ये नशीली दवाएं अफगानिस्तान से निकली हैं। ”

डीआरआई के एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने जो 2,988.219 किलोग्राम (लगभग 3 टन) हेरोइन जब्त की, उसमें पहले कंटेनर से 1999.579 किलोग्राम और दूसरे से 988.64 किलोग्राम शामिल है। डीआरआई के बयान में कहा गया है, “फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल), गांधीनगर के विशेषज्ञों की उपस्थिति में जांच की गई थी। जांच के दौरान दोनों कंटेनरों से संदिग्ध मादक पदार्थ बरामद किया गया। एफएसएल ने परीक्षण किया और हेरोइन होने की पुष्टि की। ”

पुराने मसले का नया संकट

ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) के आंकड़ों के अनुसार, अफगानिस्तान में अफीम की खेती के तहत आने वाला क्षेत्र 2001 में 8,000 हेक्टेयर से बढ़कर 2020 में 224,000 हेक्टेयर हो गया। अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा, जो एक बड़ा ड्रग-उत्पादक क्षेत्र है, को इस डेटा से बाहर रखा गया है।

यूएनओडीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में अफीम की अर्थव्यवस्था सालाना 1.2 अरब डॉलर से 2.1 अरब डॉलर होने का अनुमान है, जो अफगानिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद का 6 से 11 प्रतिशत है।

हालांकि इस्लाम में मादक पदार्थ प्रतिबंधित हैं और उन्हें हराम माना जाता है। लेकिन, तालिबान ने पाकिस्तान के समर्थन से अंतरराष्ट्रीय बाजार में नशीले पदार्थों की कटाई, प्रसंस्करण और बिक्री को कभी भी बंद नहीं किया। अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष महानिरीक्षक (एसआईजीएआर) की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामी आतंकवादी समूह अपने वार्षिक राजस्व का 60 प्रतिशत तक ड्रग्स के अवैध व्यापार से प्राप्त करता है।

वैसे तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कहा कि वह नशीले पदार्थों के उत्पादन की अनुमति नहीं देगा। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा, “हम अपने देशवासियों, महिलाओं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आश्वस्त कर रहे हैं कि  हम किसी भी मादक पदार्थ का उत्पादन नहीं करेंगे। अब से कोई (हेरोइन के धंधे में) शामिल नहीं होगा, कोई भी ड्रग तस्करी में शामिल नहीं हो सकता है।”

हालांकि, 2.7 बिलियन डॉलर से अधिक की नशीली दवाओं की जब्ती तालिबान द्वारा किए गए उस वादे की हवा निकाल देती है, क्योंकि अब तक किसी भी देश ने उन्हें सहायता नहीं दी है और अमेरिका ने 10 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति को जब्त कर लिया है।

इसलिए, तालिबान नशीले पदार्थों के धंधे को आसानी से नहीं छोड़ सकता।

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d