गुजरात विद्यापीठ विवाद  :  इलाबेन भट्ट समेत इस्तीफ़ा देने 9 ट्रस्ट्रियों की अनुपस्थिति में 68  वां दीक्षांत समारोह आयोजित

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गुजरात विद्यापीठ विवाद  :  इलाबेन भट्ट समेत इस्तीफ़ा देने 9 ट्रस्ट्रियों की अनुपस्थिति में 68  वां दीक्षांत समारोह आयोजित

| Updated: October 18, 2022 20:43

महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ (Gujarat Vidyapeeth established by Mahatma Gandhi ) के इतिहास में पहली बार बिना कुलपति( Vice Chancellor) के दीक्षांत समारोह( convocation )आयोजित किया गया। गैर गांधीवादी (non Gandhian) होने के बावजूद  कुलपति के तौर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत (Gujarat Governor Acharya Devvrat )की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद के बीच 68 वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। लेकिन इस समारोह में पूर्व कुलपति  इलाबेन भट्ट ( elaben bhatt )समेत  इस्तीफा देने वाले  ट्रस्टी दीक्षांत  समारोह से अनुपस्थित रहे। जिससे छात्र – छात्रों को  कुलपति  के बजाय कुलसचिव द्वारा उपाधि प्रदान की गई थी। नियुक्त कुलपति आचार्य देवव्रत (Vice Chancellor Acharya Devvrat )ने अभी तक कार्यभार नहीं संभाला है। इस्तीफ़ा देने वाले ट्रस्टियों का मानना है कि आचार्य देवव्रत Acharya Devvrat की नियुक्ति  गुजरात विद्यापीठ ( Gujarat Vidyapeeth )की गरिमा के अनुकूल नहीं है।

गुजरात विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में 32 पीएचडी, 15 एम.फिल, 415 पोस्ट ग्रेजुएट, 410 बैचलर और 56 पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा डिग्रियां प्रदान की गईं। विद्यापीठ के इतिहास में पहली बार बिना चांसलर के स्नातक समारोह आयोजित किया गया है। हालांकि इस विवाद के बीच इस्तीफा देने वाली चांसलर इलाबेन भट्ट बीमारी के कारण नहीं आईं, लेकिन आचार्य देवव्रत ने नए चांसलर का निमंत्रण स्वीकार कर लिया, लेकिन आज स्नातक समारोह में भी नहीं आए.

गुजरात विद्यापीठ के कुलसचिव राजेंद्र खिमानी (Rajendra Khimani, Registrar, Gujarat Vidyapeeth )ने कहा, “हमने वही कहा है जो न्यासी मंडल ने कहा है. संवाद जरूरी है, जो नाराज होंगे उनसे बातचीत होगी। हम इस उम्मीद के साथ आगे बढ़ेंगे कि चीजें बेहतर होंगी। कुलपति की तबीयत खराब है, इसलिए वह मौजूद नहीं हैं।”

गुजरात विद्यापीठ के स्नातक समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद उपन्यासकार रघुवीर चौधरी( Novelist Raghuveer Choudhary )ने कहा कि “गुजरात विद्यापीठ चलेगा, यह गांधीजी की विरासत है. कांग्रेस में विभाजन हो सकता है  लेकिन विद्यापीठ में विभाजन नहीं होगा । नाराज सदस्यों का  जो मानना है उससे सभी को पहले सहमत करना चाहिए।   जो सदस्य उपस्थित नहीं हैं वे भी मेरे मित्र हैं। हम आचार्य देवव्रत के बारे में नहीं जानते हैं। उनके बारे में अभी कोई राय देना उचित नहीं है। वह प्राकृतिक खेती से जुड़े व्यक्ति हैं, अभी उनके विषय में राय बनाने के पहले  कुछ समय इंतजार करना होगा। आने वाला समय ही इसे और स्पष्ट करेगा।”

विदित हो कि गुजरात विद्यापीठ के कुलपति के तौर पर इला इलाबेन भट्ट के इस्तीफे के बाद 13  ट्रस्टियों ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने के नाम पर मोहर लगायी थी जबकि आचार्य देवव्रत के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने के कारण 9 ट्रस्ट्रियों ने विरोध किया , वह इसे संस्थान की गरिमा के विपरीत मानते है। 9 ट्रस्ट्रियों ने 4 पेज का पत्र जारी कर आचार्य देवव्रत से पद ना स्वीकारने की मांग की थी।   विद्यापीठ शिक्षा के अलावा गांधीवादी मूल्यों के लिए जाना जाता है और राज्यपाल गांधी विचारक नहीं हैं और सरकार ने विद्यापीठ में दखल  के लिए विद्यापीठ के अनुदान में लंबे समय से कटौती की है. पत्र में  यह भी कहा गया है कि सरकार के साथ बैठक के बाद कुछ  आचार्य देवव्रत को कुलपति बनाना चाहते थे।

गुजरात विद्यापीठ के 9 ट्रस्ट्रीयों ने दिया इस्तीफा, नए गैर-गांधीवादी कुलपति की नियुक्ति से खफा

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