'इंसानियत अब भी है': बेटे के इलाज के लिए मिला 11 करोड़ रुपये का गुमनाम दान

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‘इंसानियत अब भी है’: बेटे के इलाज के लिए मिला 11 करोड़ रुपये का गुमनाम दान

| Updated: February 24, 2023 12:37

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए धन जुटाने के लिए क्राउडफंडिंग का रास्ता अपनाना कोई नई बात नहीं है। लेकिन यह दुर्लभ है कि कोई व्यक्ति किसी बच्चे के इलाज के लिए 11 करोड़ रुपये से अधिक का दान अकेले दे दे। वह भी गुमनाम रहते हुए।

सारंग मेनन और अदिति की इकलौती संतान निर्वाण दरअसल एसएमए टाइप-2 से पीड़ित है। यह एक दुर्लभ आनुवंशिक न्यूरोमस्कुलर (rare genetic neuromuscular) बीमारी है। यह धीरे-धीरे चलने-फिरने में कमी का कारण बनती है और अगर इलाज न हो तो जीवन काल काफी कम हो जाता है। केरल से ताल्लुक रखने वाले सारंग और अदिति मुंबई में रहते हैं। उन्हें 7 जनवरी को निर्वाण के लिए भयानक इलाज का पता चला। निर्वाण की जीन रिप्लेसमेंट थेरेपी के लिए आवश्यक दवा की लागत थी- लगभग 17.5 करोड़ रुपये। नोवार्टिस द्वारा निर्मित ज़ोलगेन्स्मा (Zolgensma) की एक खुराक दुनिया की सबसे महंगी दवा के रूप में जानी जाती है। इस दवा को ऑर्डर देने के बाद भारत पहुंचने में करीब 20 दिन लगते हैं।

अपने 15 महीने के बेटे के इलाज लिए सारंग और अदिति ने तुरंत 17.5 करोड़ रुपये जुटाने के लिए दो क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म मिलाप और इम्पैक्टगुरु पर अकाउंट खोले। सोमवार को उन्हें तब सुखद आश्चर्य हुआ, जब किसी ने गुमनाम रूप से उनके मिलाप वाले अकाउंट में 1.4 मिलियन डॉलर (लगभग 11 करोड़ रुपये) का दान दिया।

सारंग ने कहा, “इंसानियत अभी भी बची हुई है … दुनिया के किसी कोने में बैठे किसी व्यक्ति के लिए हमारे बच्चे के लिए ऐसा करना, दुर्लभ है। वह व्यक्ति कोई भी हो, वह हमारे लिए भगवान के समान है। ” सारंग ने अपने फेसबुक पेज Nirvaan_Fights_SMA पर एक पोस्ट के जरिये दुनिया को अपने इस गुमनाम दाता की उदारता के बारे में बताया।

उन्होंने बताया, “जब से हमने क्राउडफंडिंग वाले अकाउंट खोले हैं, मैं उन्हें रोजाना चेक करता था। 19 फरवरी तक हमें करीब 5.5 करोड़ रुपये मिल चुके थे। 20 फरवरी को मैंने पैसे में अचानक भारी वृद्धि देखी। मैंने मिलाप संचालकों से बात की। पूछा कि क्या ऐसा किसी तकनीकी खराबी से हुआ है। लेकिन उन्होंने मुझे बताया कि किसी ने वास्तव में इतने पैसे दान किए हैं। मर्चेंट नेवी के अधिकारी सारंग ने कहा- हम बहुत खुश थे।

वह तुरंत मिलाप के पास पहुंचे, क्योंकि वह दानकर्ता को व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद देना चाहते थे। जब उन्हें बताया गया कि दाता ने विशेष रूप से अपने बारे में जानकारी नहीं देने का अनुरोध किया है, तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ।

सारंग ने कहा, “निर्वाण का इलाज शुरू होने से पहले ही मैं पैसे जुटाने में लग गया था। तब महसूस हुआ कि इतना पैसा जुटाने के लिए क्राउडफंडिंग के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हमारे पास समय कम था। इसलिए कि नोवार्टिस ने केवल दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ज़ोलगेन्स्मा थेरेपी (Zolgensma therapy) को मंजूरी दी है और इलाज के समय निर्वाण पहले से ही लगभग 14 महीने का था। ”

सारंग ने अब अमेरिका से दवा आयात करने के लिए मुंबई के हिंदुजा अस्पताल के डॉक्टरों के साथ चर्चा शुरू की है। उन्होंने कहा, “हमने कस्टम ड्यूटी और जीएसटी में छूट की मांग के लिए केरल के कांग्रेस सांसद हिबी ईडन के माध्यम से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से संपर्क किया है। हमें बताया गया कि कुछ साल पहले जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, ऐसी जीवनरक्षक दवाओं को पहले से ही शुल्कों और सभी टैक्सों से छूट दे दी गई है। हमें अब एक जिला चिकित्सा अधिकारी से एक घोषणा पत्र (declaration) जमा करने की आवश्यकता है। ”

सारंग ने कहा कि हालांकि उन्होंने एसएमए के बारे में सुना था, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनका इकलौता बच्चा भी इससे पीड़ित है। उन्होंने कहा, “निर्वाण को कई परेशानियां थीं। जब वह ठीक से बैठने के लिए संघर्ष कर रहा था, तो हमने सोचा कि यह रीढ़ में गड़बड़ी के कारण हो रहा है। एक न्यूरोलॉजिस्ट ने पिछले दिसंबर में एसएमए टेस्ट कराने की सलाह दी। मैं उस समय जहाज लेकर ऑस्ट्रेलिया गया था। मैंने अपना कांट्रैक्ट तोड़ दिया और तुरंत घर लौट आया। ”

निर्वाण के इलाज के बाद परिवार केरल के एर्नाकुलम जिले के अथानी में अदिति के घर चला गया। उन्होंने 25 जनवरी को केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज से मुलाकात की। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से मदद का आश्वासन दिया। माता-पिता निर्वाण को तिरुवनंतपुरम के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के एसएमए क्लिनिक में ले जा रहे हैं।

सारंग ने मदद के लिए मशहूर हस्तियों से भी संपर्क किया। अभिनेता अहाना कृष्णा सहित कई लोगों ने सोशल मीडिया पेजों पर अनुरोध वाले वीडियो पोस्ट किए, जो दंपती ने बेटे के इलाज के लिए मदद मांगते हुए बनाए थे।

इस बीच, नन्हा निर्वाण दुनिया की परवाह किए बिना  अभी भी सोफे पर बैठने की कोशिश कर रहा है। उसे गिरने की कोई परवाह नहीं है।

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