खैबर-पख्तूनख्वा के इस शहर में महिलाओं को खुले में टहलने या पार्क में जाने की इजाजत नहीं - Vibes Of India

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खैबर-पख्तूनख्वा के इस शहर में महिलाओं को खुले में टहलने या पार्क में जाने की इजाजत नहीं

| Updated: August 26, 2022 20:52

पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के बन्नू नामक शहर में शांतिप्रिय पारिवारिक पार्क विरोध प्रदर्शनों की जगह बन रहे हैं। स्थानीय लोगों के एक वर्ग ने महिलाओं द्वारा इनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। इस बात ने मशहूर हस्तियों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया है, जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को “समाज के लिए वास्तविक खतरा” कहा है।

सैकड़ों छात्रों, वकीलों और यहां तक कि पत्रकारों के साथ स्थानीय मौलवियों ने रविवार को पार्क में धावा बोल दिया और मांग की कि महिलाओं को यहां घूमने-फिरने से रोका जाए। ऐसा नहीं करने पर इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। बन्नू शहर के अधिकारियों ने फैसला किया कि मंगलवार को सभी के लिए पार्क के प्रवेश द्वारों को बंद कर देना सबसे अच्छा है।

अभिनेत्री आयशा उमर ने सोशल मीडिया पर इस घटना की निंदा करते हुए कहा, “किल ऑल जॉय। सब कुछ बंद करो। सांस न लें और धूप में बाहर जाने की हिम्मत न करें। हम ज़िंदा भी क्यों हैं?”

मॉडल आमना इलियास ने भी आवाज बुलंद की है। उन्होंने कहा, “महिलाओं को ताजी हवा में सांस लेने या सैर करने के लिए पार्क में जाना अश्लील माना जाता है?” उलटे उन्होंने महिलाओं के बजाय पार्क में पुरुषों के प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाने की अपील की।

किसलिए हुआ विरोध प्रदर्शन

जब 14 अगस्त को पार्क में घूमने के लिए हजारों जोड़े पहुंच गए थे, तब विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि यह पश्तून संस्कृति की स्थानीय परंपराओं और इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि महिलाओं द्वारा इस तरह की सैर अश्लीलता को बढ़ावा देती है।

पार्क को बंद करने की अपील करने वालों में बन्नू तहसील परिषद के अध्यक्ष इरफान खान दुर्रानी और मौलाना एज़ाज़ुल्लाह हक्कानी भी थे, जिन्होंने कहा कि महिलाओं का मनोरंजन स्थलों पर जाना उन्हें स्वीकार्य नहीं है।

ऐसे तत्वों को इजाजत देना निवासियों को बहुत जरूरी हरे-भरे स्थान तक पहुंच से वंचित कर देगा। कुछ साल पहले ही खुला यह पार्क शहर का इकलौता पार्क है।

मौलाना एजाजुल्लाह ने कहा कि बन्नू सिटी, काशो पुल, लिंक रोड और अन्य स्थानों पर युवाओं के साथ-साथ बड़ों ने भी अश्लीलता और ड्रग्स की तस्करी के खिलाफ धर्मयुद्ध शुरू किया था। इसलिए, स्थानीय प्रशासन को आगे आना चाहिए और उनकी पहल का समर्थन करना चाहिए।

बढ़ती प्रवृत्ति

यह पहला मामला नहीं है जब पाकिस्तान में पार्कों में जाने के लिए महिलाओं को प्रतिबंधित या परेशान किया गया है। इस महीने की शुरुआत में, केपी के लक्की मारवाट में एक व्यक्ति पर गैर-सहमति से महिलाओं को अपने बच्चों के साथ पार्क में मनोरंजक सवारी का आनंद लेने और महिलाओं को झूले से खींचने और उन पर गालियां देने का आरोप लगाया गया था।

पिछले साल, लाहौर के ग्रेटर इकबाल पार्क में 400 से अधिक पुरुषों की भीड़ द्वारा टिकटॉक स्टार आयशा अकरम का कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया गया था।

समस्या का हल पाकिस्तान के लिए आसान रहा। पार्क में महिला टिकटोकर्स के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दो। पंजाब पार्क्स एंड हॉर्टिकल्चर अथॉरिटी (पीएचए) के वरिष्ठ अधिकारियों ने फैसला लिया कि सभी टिकटोकर्स को मीनार-ए-पाकिस्तान में लाहौर के ग्रेटर इकबाल पार्क में प्रवेश करने से पहले अनुमति लेनी होगी।

बन्नू में फैमिली पार्क को बंद करना पाकिस्तान में बढ़ते चलन का हिस्सा है, जहां ‘अनैतिक’, ‘अश्लीलता’ या ‘अश्लील’ गतिविधियों को रोकने के बहाने महिलाओं के अधिकारों पर अंकुश लगाया जा रहा है।

बाजौर आदिवासी जिले में सालारजई तहसील की एक पुरुष प्रधान आदिवासी परिषद ने शनिवार को महिलाओं के पर्यटन स्थलों पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। इस बात पर जोर दिया कि अगर सरकार ने उनके फैसलों का पालन नहीं किया तो वे इस तरह के प्रतिबंध स्वयं लगाएंगीं। बैठक का आयोजन जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) (जेयूआई-एफ) द्वारा किया गया था, जो पाकिस्तान में केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।

विडंबना यह है कि देश ने पिछले साल के अंत में देश में महिलाओं के आंदोलन को प्रतिबंधित करने के लिए अफगानिस्तान की आलोचना की थी। पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद हुसैन ने कहा था, “यह कहना कि महिलाएं अकेले यात्रा नहीं कर सकती हैं या स्कूल और कॉलेज नहीं जा सकतीं- इस तरह की प्रतिगामी सोच पाकिस्तान के लिए खतरा है।”

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