डेलॉइट इकोनॉमिक्स इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अगले 50 वर्षों में निरंतर जलवायु परिवर्तन के कारण आर्थिक क्षमता में $ 35 ट्रिलियन डालर के नुकसान को रोकने के लिए अभी से प्रयास शुरू कर देना चाहिए।
इसमें यह भी कहा गया है कि, बढ़ते वैश्विक तापमान को सीमित करके और दुनिया को ‘निर्यात डीकार्बोनाइजेशन’ की अपनी क्षमता को साकार करके भारत इसी अवधि में 11 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक मूल्य हासिल कर सकता है।
“हमारे पास समय की एक संकीर्ण खिड़की है, अगले 10 साल जलवायु परिवर्तन के प्रक्षेपवक्र को बदलने के लिए आवश्यक निर्णय लेने के लिए”। -डेलॉइट इंडिया के चेयरपर्सन अतुल धवन ने कहा। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से कोई भी अछूता नहीं है, लेकिन भारत के लिए यह नेतृत्व करने का एक अवसर है।
‘इंडियाज टर्निंग पॉइंट: हाउ क्लाइमेट एक्शन कैन ड्राइव अवर इकोनॉमिक फ्यूचर’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, अगले 50 वर्षों में आर्थिक गतिविधियों के मामले में शीर्ष पांच सबसे अधिक प्रभावित- सरकारी व निजी सेवा क्षेत्र, विनिर्माण, खुदरा व पर्यटन, निर्माण और परिवहन उद्योग होंगे।
डेलॉइट की रिपोर्ट का अनुमान है कि 2070 तक, अकेले इन पांच उद्योगों को प्रति वर्ष $1.5 ट्रिलियन से अधिक के सकल घरेलू उत्पाद में जोड़े गए मूल्य में वार्षिक नुकसान का अनुभव होगा।
विरल ठक्कर पार्टनर और सस्टेनेबिलिटी लीडर डेलॉइट इंडिया ने कहा, “अभी सही विकल्प बनाकर भारत कम उत्सर्जन वाले भविष्य की दिशा में अधिक समृद्ध पथ का चार्ट बना सकता है, बाकी दुनिया में प्रमुख प्रौद्योगिकियों, प्रक्रियाओं और जानकारियों का निर्यात करके प्रगति को तेज कर सकता है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत उत्पादों, सेवाओं की आपूर्ति करके महत्वपूर्ण आर्थिक विकास हासिल कर सकता है जबकि दुनिया को तापमान वृद्धि को सीमित करने के लिए वित्तपोषण की आवश्यकता होगी।