नई दिल्ली: पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भारत की सैन्य कार्रवाई — ‘ऑपरेशन सिंदूर’ — के बाद जहां एक ओर सीमाओं पर तनातनी का माहौल है, वहीं डिजिटल दुनिया में भी एक और जंग छिड़ी हुई है: सच बनाम झूठ की। इस सूचना युद्ध में सच्चाई की लड़ाई लड़ने वाले प्रमुख चेहरे के रूप में सामने आए फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर।
सोशल मीडिया पर जैसे ही झूठी तस्वीरें और पुराने वीडियो प्रसारित होने लगे, जुबैर ने रातभर जागकर उन्हें खंगालना शुरू किया। उन्होंने यह दिखाया कि कैसे पुराना या असंबंधित दृश्य पाकिस्तानी प्रचार तंत्र द्वारा नई घटना के तौर पर परोसा जा रहा है।
ThePrint से बातचीत में जुबैर ने कहा, “लोग अब सराहना कर रहे हैं, लेकिन मैं सालों से यह काम कर रहा हूं। मैं फेक न्यूज़ को हमेशा बेनकाब करता हूं, चाहे वो किसी भी धर्म या देश से जुड़ा हो।”
Alt News के सह-संस्थापक जुबैर के अनुसार, इस बार फैलाई जा रही 90 प्रतिशत से अधिक गलत जानकारियाँ पाकिस्तानी सोशल मीडिया अकाउंट्स से आ रही हैं—जो पिछले संघर्षों जैसे पुलवामा और बालाकोट के मुकाबले एक अलग ट्रेंड है, जहां दोनों ओर से भ्रामक सूचनाएं फैलती थीं।
उन्होंने कई फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स की पहचान की, जो भारतीय सैन्य अधिकारियों के नाम से चलाए जा रहे थे। एक अकाउंट ‘एडमिरल अरुण प्रकाश’ के नाम से था, जिसकी बायो में लिखा था: “पूर्व नौसैनिक, अब आत्मनिरीक्षण में लीन।” एक अन्य अकाउंट ने खुद को ‘गर्वित भारतीय’ और कांग्रेस समर्थक बताया, लेकिन वह भी पाकिस्तान समर्थित प्रचार का हिस्सा निकला।
पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने भी ऐसे ही एक फर्जी अकाउंट से साझा की गई झूठी खबर को ‘भारत से पुष्टि’ बताते हुए आगे बढ़ाया। उस पोस्ट में दावा किया गया था कि “ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद पाकिस्तान ने 1 राफेल और 1 सुखोई-30 विमान मार गिराया और हमारे ब्रिगेड मुख्यालय को नष्ट कर दिया।” जुबैर ने इन सभी दावों का तथ्यात्मक खंडन किया।
उन्होंने कहा, “इनमें से कई वीडियो गाज़ा और इज़राइल के हैं, कुछ पुराने भारतीय-पाकिस्तानी घटनाओं के भी हैं, और कुछ तो ईरान के भी हैं।”
4 मई तक पाकिस्तान में प्रतिबंधित रहे प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) के बहाल होते ही वहां से फर्जी सूचनाओं की बाढ़ आ गई।
जुबैर ने बताया, “जैसे ही हमें स्रोतों से जानकारी मिली कि प्रभावशाली और प्रचार अकाउंट्स फेक न्यूज़ फैला रहे हैं, मैंने इसे डिबंक करना शुरू कर दिया। एल्गोरिदम ने मेरी मदद की।”
दिलचस्प बात यह रही कि जो लोग आमतौर पर जुबैर को ट्रोल करते हैं, वे इस बार उनकी तारीफ कर रहे हैं। एक यूज़र ने लिखा, “मैं मोदी को इसलिए पसंद करता हूं क्योंकि वो राष्ट्रवादी हैं, और अब मुझे लगने लगा है कि आपको भी उसी स्तर पर रखूं।”
इस यूज़र की प्रोफाइल में खुद को “रेड पिल का नया खोजकर्ता” बताया गया है — जो अक्सर पुरुष अधिकारों और दक्षिणपंथी इंटरनेट समूहों से जुड़ा एक प्रतीक है।
हालांकि जुबैर को पहले की तरह अभी भी गालियां दी जाती हैं और उन्हें ‘पाकिस्तानी एजेंट’ कहा जाता है, लेकिन इस बार उन्हें भारतीय प्रचार मशीन के भीतर अस्थायी रूप से एक ‘हीरो’ का दर्जा मिला है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत के सोशल मीडिया अकाउंट्स भी कई बार ग़लत जानकारी फैलाते हैं—जैसे इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष के दौरान।
जुबैर के लिए, यह एक और सामान्य दिन था। उन्होंने कहा, “आज बहुत बड़ा दिन था. लेकिन यह पहली बार नहीं है।”
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