पश्चिम नेपाल में उन दो विमान यात्रियों की खोज के लिए मंगलवार को ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जो पिछले दिनों विमान हादसे के बाद 200 मीटर गहरी खाई में गिर गए। नेपाल में 30 वर्षों में हुई सबसे घातक विमान दुर्घटना में कम से कम 70 लोगों की मौत हुई है।
72 यात्रियों को ले जा रही यति एयरलाइंस का एटीआर 72 टर्बोप्रॉप विमान लैंडिंग से कुछ मिनट पहले रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। मौसम के कारण पोखरा के पर्यटन स्थल के करीब बचाव कार्य बाधित हो गए हैं। पोखरा के एक पुलिस अधिकारी अजय केसी ने कहा, ‘यहां अब घना कोहरा है। हम रस्सियों की मदद से बचाव कर्मियों को उस खाई में भेज रहे हैं, जहां जलते हुए विमान के हिस्से गिरे थे।
सोमवार को खोजकर्ताओं ने कम रोशनी के कारण प्रयास छोड़ने से पहले दो और शवों की खोज की। इस बीच, टेलीविजन पर पोखरा अस्पताल के बाहर खड़े शोक में डूबे कुछ परिवार के सदस्यों की तस्वीरें दिखाई गई हैं, जहां वे अपने प्रियजनों के शव का इंतजार कर रहे थे।
केसी ने कहा, “यात्रियों में छोटे बच्चे भी थे। कुछ की जल जाने से मौत हो गई। शायद उनका पता कभी न चले, लेकिन हम तलाश जारी रखेंगे।”
वैसे सोमवार को फ्लाइट के कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर मिल गए। दोनों दोनों अच्छी स्थिति में थे। इनकी मदद से दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा सकेगा।
अंतर्राष्ट्रीय विमानन नियम कहते हैं कि जिन देशों में विमान और उसके इंजन बनाए जाते हैं, उनकी सरकारें खुद ही जांच में शामिल हो जाती हैं।
कनाडा की प्रैट एंड व्हिटनी कंपनी ने विमान का इंजन बनाया था और एटीआर फ्रांस में है। इसलिए फ़्रांस और कनाडा के जांचकर्ताओं ने जांच में भाग लेने के संकेत दिए हैं।
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