गुजरात पर भी एनजीटी लगा सकता है 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना

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गुजरात पर भी एनजीटी लगा सकता है 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना

|Gujarat | Updated: September 13, 2022 15:11

गांधीनगरः नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा नगरपालिका क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन में लापरवाही दिखाने वाले पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों पर भारी जुर्माना लगा देने के बाद गुजरात सरकार भी सजग हो गई है।  सरकार इस आशंका के बीच कार्रवाई में जुट गई है कि उस पर भी 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लग सकता है। बता दें कि पिछले हफ्ते एनजीटी ने महाराष्ट्र पर 12,000 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल पर 3,500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। सोमवार को शहरी विकास विभाग (UDD) के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। इसमें गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB) और अन्य एजेंसियों के अधिकारी शामिल थे।

एनजीटी के आदेशों पर चर्चा करने के अलावा, इन एजेंसियों के अधिकारियों ने नगरपालिका क्षेत्र में कचरे से निपटने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के तरीकों पर भी चर्चा की। एनजीटी नगरपालिका कचरा प्रबंधन नियम (implementation of Municipal Waste Handling Rules), 2016 के कार्यान्वयन और उसके बाद जारी दिशा-निर्देशों की समीक्षा कर रहा है। एक प्रमुख सूत्र ने कहा कि गुजरात के पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र पर ठोस कचरा प्रबंधन की समय सीमा (solid waste management deadlines) का उल्लंघन करने के लिए 300 रुपये प्रति मीट्रिक टन (MT) और अपशिष्ट जल के प्रति दिन 2 करोड़ रुपये प्रति 10 लाख लीटर (MLD) का जुर्माना लगाया गया था। कहा था कि राज्य जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (Biochemical Oxygen Demand), घुलित ऑक्सीजन (dissolved oxygen) और रासायनिक ऑक्सीजन मांग (chemical oxygen demand) के संदर्भ में प्रदूषण मानकों को पूरा नहीं करता है।

सोमवार की बैठक बैठक में राज्य के आठ नगर निगमों और नगर पालिकाओं में लंबे समय से जमा हुए कचरों पर चर्चा की गई। सूत्रों ने कहा कि प्रमुख शहरों में अपशिष्ट जल उपचार क्षमता (wastewater treatment capacity) को कम से कम 373 एमएलडी बढ़ाने की जरूरत हैजबकि नगरपालिकाएं अभी भी 1,150 एमएलडी गंदा पानी को नदियों में बहाए जाने से पहले उपचार नहीं कर सकती हैं। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में (solid waste management) अहमदाबाद में पिराना डंप साइट में आज 79 लाख मीट्रिक टन (एमटी) असंसाधित कचरा (unprocessed waste) है। इसके लिए सरकार को 250 करोड़ रुपये का जुर्माना देना पड़ सकताहै। सूत्रों ने कहा कि यूडीडी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिकलंबे समय से जमा कचरा (legacy waste) वडोदरा में 7 लाख मीट्रिक टनराजकोट में 5.5 लाख मीट्रिक टन और जूनागढ़ में 3.18 लाख मीट्रिक टन है। सूरत और गांधीनगर में स्थिति बेहतर है। बड़े शहरों में पुराने कचरे में से अब तक लगभग 51% को संसाधित (Processed) किया जा चुका है। गुजरात में नगर पालिकाओं के तहत अहमदाबाद में सबसे अधिक पुराना कचरा है। अधिकांश नगर पालिकाओं में कचरे को संसाधित करने की व्यवस्था नहीं हैइसलिए सरकार ने उन्हें जल्द से जल्द वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है।

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