स्वर कोकिला लता मंगेशकर अविवाहित होने के बावजूद किसके नाम का लगाती थी सिंदूर

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

स्वर कोकिला लता मंगेशकर अविवाहित होने के बावजूद किसके नाम का लगाती थी सिंदूर ?

| Updated: February 7, 2022 12:18

लताजी सिंदूर क्यों पहनती हैं इसकी कहानी भी दिलचस्प है और तबस्सुम ने इसके बारे में अपना अनुभव साझा किया। तबस्सुम कहती हैं कि जब मैं बड़ी हो रही थी तो मैंने एक बार लताजी से एक सवाल पूछा था, ''दीदी,आप कुंवारी हो, आपकी शादी नहीं हुई है। फिर आप पत्नी जैसी क्यों लगती हैं .

स्वर कोकिला लता मंगेशकर अविवाहित होने के बावजूद सिंदूर लगती थी ,जो हिन्दू संस्कृति में विवाहिता होने का सूचक माना जाता है | लेकिन वह किसके नाम का सिंदूर लगाती थी यह भी प्रेरणादायक है. इसका खुलासा किया जानी-मानी अदाकारा तबस्सुम ने. तबस्सुम अतीत के लम्हों में खोती हुयी बताया कि “मैं खुश नसीब हूं कि जब लताजी अपने हिंदी गाने से डेब्यू कर रही थीं, तब फिल्म का नाम ‘बडी बहन’ था, जिसका संगीत हुस्न लाल भगतराम ने दिया था। गाने के बोल थे ‘चुप-चुप खड़े हो , जरूर कोई बात है, ये पहली मुलाकात है ये पहली मुलाकात है।’

मुझे अच्छी तरह याद है कि शमशाद बेगम, गीता दत्त और मैं भी रिकॉर्डिंग के दौरान मौजूद थे , उस समय रिकॉर्डिंग बहुत ही पारिवारिक तरीके से की गई थी। लोग रिकॉर्डिंग के दौरान बात कर रहे थे, कहानी सुन रहे थे। जब लता दीदी अपनी रिकॉर्डिंग के लिए आगे आईं, तो उन्होंने गीता दत्त और शमशाद बेगमजी के पैर छुए और उनके आशीर्वाद से गीत गाया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके मन में बड़ों के प्रति कितना सम्मान था।

यह भी पढ़ें मुंबई के शिवाजी पार्क में पीएम मोदी ने लता मंगेशकर को दी श्रद्धांजलि

इसके बाद नौशाद साहब द्वारा रचित फिल्म दीदार, तबस्सुम और बलराम साहनी के बेटे पर फिल्माया गया एक गीत था। तबस्सुम के मुताबिक गाने को आवाज लताजी ने दी थी। इस गाने को 70 से 72 साल हो चुके हैं। इस गाने को लोग आज भी याद करते हैं। गाने के बोल थे, ”बचपन के दिन को कभी मत भूलना…आज हंसो तो रोओ मत.”

लताजी सिंदूर क्यों पहनती हैं इसकी कहानी भी दिलचस्प है और तबस्सुम ने इसके बारे में अपना अनुभव साझा किया। तबस्सुम कहती हैं कि जब मैं बड़ी हो रही थी तो मैंने एक बार लताजी से एक सवाल पूछा था, ”दीदी,आप कुंवारी हो, आपकी शादी नहीं हुई है। फिर आप पत्नी जैसी क्यों लगती हैं .” जवाब में उन्होंने कहा, “हां, मैं कुंवारी लता मंगेशकर हूं।” तो मैंने दीदी से पूछा,आपकी मांग में सिंदूर है, आखिर किसके नाम का है, ? उन्होंने जवाब दिया कि संगीत के नाम का. जिससे पता चलता है की संगीत के प्रति उनका कितना समर्पण था.

तबस्सुम ने भी आगे बढ़कर लताजी के साथ कई लाइव शो किए हैं. ऐसे ही एक कार्यक्रम को याद करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि कोलकाता में नेताजी सुभाष सभागार में इतनी भीड़ थी कि मैं घबरा गयी । इसी बीच मैंने उनके लिए गलत गाने का ऐलान कर दिया। अगर लताजी की जगह कोई और होता तो वह इसे ठुकरा देते।

8 जनवरी को 92 वर्षीय लताजी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उसे पास के अस्पताल ले जाया गया। वे 29 दिनों से एक साथ कोरोना और निमोनिया से जंग लड़ने के बाद रविवार को स्वर कोकिला हमेशा के लिए खामोश हो गयी.जिनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. लेकिन उनकी आवाज उनके 20 भाषाओं में 25000 से अधिक गीतों के माध्यम से हमेशा गूंजते रहेंगें.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d