ईएजी के लिए पीके का प्रस्ताव कांग्रेस को था मंजूर, लेकिन उसका अध्यक्ष बनाना से इनकार

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ईएजी के लिए पीके का प्रस्ताव कांग्रेस को था मंजूर, लेकिन उसका अध्यक्ष बनाने से इनकार

| Updated: April 27, 2022 16:02

पीके यानी प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेतृत्व को 600 स्लाइडों वाली लंबी प्रस्तुति दी थी। इसमें उन्होंने सबसे पुरानी पार्टी को फिर से जीवंत करने के लिए अपनी रणनीतियों का सारांश दिया था। कांग्रेस के एक बेहद भरोसेमंद सूत्र ने वीओआई से कहा, “2022-2023 में विधानसभा चुनावों वाले राज्यों और 2024 के संसदीय चुनावों का नेतृत्व करने के लिए एक अधिकार प्राप्त कार्य समूह (ईएजी) का गठन करना उनकी प्रमुख कार्ययोजना थी। लेकिन उन्हें समूह की अध्यक्षता की दरकार थी, जिसके लिए वह पार्टी के पुराने दिग्गजों को राजी नहीं कर पाए।”


सूत्र ने बताया कि पीके दरअसल प्रियंका गांधी को एआईसीसी अध्यक्ष बनाने, राहुल गांधी को संसदीय दल का नेता बनाने और पूरे नेतृत्व ढांचे को बदलना चाहते थे। यह सोनिया जी और यहां तक कि उन नेताओं को भी स्वीकार्य नहीं था, जिनका वर्तमान नेतृत्व के साथ संघर्ष था।


वैसे गुजरात कांग्रेस के सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं ने वीओआई को बताया कि वे प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल करने के लिए उत्सुक हैं, क्योंकि “वह सोशल मीडिया अभियानों की रणनीति बनाने में माहिर हैं।”
किशोर के प्रजेंटेंशन में प्रस्तावित प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक डिजिटल प्रचार और कांग्रेस समर्थक नए मीडिया तंत्र को बढ़ावा देना था।

कांग्रेस सूत्र ने कहा, “किशोर ने अपनी प्रस्तुति में भारत की सोशल मीडिया चेतना पर प्रकाश डाला, जिसका झुकाव भाजपा की ओर है।” दोनों स्रोतों ने जोर देकर कहा, “यह स्पष्ट था कि कांग्रेस में प्रशांत किशोर के साथ उनकी कंपनी आई-पैक नहीं जुड़ेगी, क्योंकि यह आर्थिक और राजनीतिक रूप से व्यवहार्य नहीं था। यकीनन तब कांग्रेस कार्यकर्ता पीके की सहायता कर रहे होते। इसे वह भी जानते थे।”


यहां तक कि एआईसीसी के एक वरिष्ठ नेता ने वीओआई को बताया, “पीके की संक्षिप्त योजना हमारे पास है। एक आठ सदस्यीय समूह ने इसका अध्ययन किया और यहां तक कि उनकी चुनावी रणनीतियों को भी मंजूरी दी। लेकिन बहुमत ने उन्हें पार्टी में खुला हाथ देने वाले विचार का स्वागत नहीं किया।” कांग्रेस नेता ने यह कहते हुए एक आम धारणा के रूप में जोड़ा कि “क्या होगा अगर प्रशांत किशोर का यह गठजोड़ कांग्रेस के लिए अनुकूल नहीं रहे।”

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वैसे भी प्रशांत 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक अभियान में प्रमुख रूप से जुड़े रहे थे, फिर 2015 में बिहार में मुख्यमंत्री पद बनाए रखने के लिए जद (यू) नेता नीतीश कुमार की लड़ाई में साथ रहे। इसके बाद 2019 में वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन मोहन रेड्डी की आंध्र प्रदेश में सत्ता स्थापित कराने में योगदान दे चुके हैं। और हाल ही में 2021 में पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने उन्हें अपने साथ रखा था।


बता दें कि कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा करने के लिए राजस्थान के उदयपुर में 13 से 15 मई तक तीन दिवसीय विचार-मंथन सत्र या चिंतन शिविर आयोजित करेगी। इसमें देश में वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का मूल्यांकन करने वाले विभिन्न पैनल होंगे।

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