नई दिल्ली: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। प्रशांत किशोर, जो अपनी ‘जन सुराज’ पार्टी के साथ बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं, उनका नाम कथित तौर पर दो राज्यों- पश्चिम बंगाल और बिहार- की मतदाता सूचियों में दर्ज है।
यह मामला इसलिए भी पेचीदा है क्योंकि दोनों राज्यों में दिए गए पते काफी कुछ बयां करते हैं।
बंगाल में TMC दफ्तर, बिहार में पैतृक गांव
पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में, प्रशांत किशोर का पता 121 कालीघाट रोड के तौर पर दर्ज है। यह पता इसलिए अहम है क्योंकि यह भवानीपुर में तृणमूल कांग्रेस (TMC) का कार्यालय है, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का विधानसभा क्षेत्र भी है। गौरतलब है कि किशोर ने 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान टीएमसी के लिए राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम किया था। लिस्ट के मुताबिक, उनका पोलिंग स्टेशन बी रानीशंकर लेन पर स्थित सेंट हेलेन स्कूल है।
वहीं, दूसरी ओर बिहार में उनका नाम सासाराम संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले करगहर विधानसभा क्षेत्र में एक मतदाता के रूप में पंजीकृत है। यहाँ उनका मतदान केंद्र रोहतास जिले के कोनार स्थित मध्य विद्यालय है। कोनार, प्रशांत किशोर का पैतृक गांव है।
टीम ने दी सफाई, रद्द करने के लिए दिया है आवेदन
जब इस दोहरे पंजीकरण के बारे में प्रशांत किशोर से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कॉल या मैसेज का जवाब नहीं दिया।
हालांकि, उनकी टीम के एक वरिष्ठ सदस्य ने इस पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि किशोर बंगाल चुनाव के बाद बिहार में मतदाता बने थे। सदस्य ने यह भी दावा किया कि किशोर ने अपना बंगाल वोटर कार्ड रद्द करने के लिए आवेदन दिया है, लेकिन उन्होंने आवेदन की वर्तमान स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
इस मामले पर बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने भी सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।
क्या कहता है कानून?
कानूनी तौर पर यह एक गंभीर मामला है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 स्पष्ट कहती है कि “कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदाता सूची में पंजीकृत होने का हकदार नहीं होगा।”
इसी तरह, धारा 18 के मुताबिक, एक ही निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में किसी भी व्यक्ति का नाम एक से अधिक बार दर्ज नहीं किया जा सकता। यदि कोई मतदाता अपना निवास स्थान बदलता है, तो उसे निवास स्थान बदलने या त्रुटियों को ठीक करने के लिए चुनाव आयोग का फॉर्म 8 भरना होता है।
यह कोई अकेली समस्या नहीं
हालांकि, मतदाताओं का नाम कई जगहों पर दर्ज होना कोई नई बात नहीं है। चुनाव आयोग (EC) भी इस समस्या से वाकिफ है। आयोग ने हाल ही में बिहार से शुरू हुए मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का एक बड़ा कारण इसी को बताया था।
आयोग ने 24 जून के अपने आदेश में कहा था कि कई मतदाता एक स्थान पर पंजीकरण कराते हैं और फिर निवास बदलने पर दूसरी जगह पंजीकरण करा लेते हैं, लेकिन वे पहले स्थान से अपना नाम नहीं हटवाते। इससे मतदाता सूची में दोहरी प्रविष्टियों की संभावना बढ़ गई है।
बिहार में यह SIR अभियान 30 सितंबर को मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ समाप्त हुआ। इस दौरान कुल 68.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए, जिनमें से 7 लाख प्रविष्टियाँ उन मतदाताओं की थीं जो एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत थे। इसके बावजूद, अधिकारी मानते हैं कि सूचियों में अभी भी डुप्लिकेट नाम हो सकते हैं।
स्थानीय नेताओं ने क्या कहा?
बंगाल में टीएमसी के स्थानीय नेताओं ने इस पते पर प्रतिक्रिया दी है। वार्ड नंबर 73 की स्थानीय टीएमसी पार्षद और सीएम ममता बनर्जी की भाभी, काजरी बनर्जी ने पुष्टि की कि 121, कालीघाट रोड, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस का पार्टी कार्यालय है।
उन्होंने कहा, “(किशोर) टीएमसी के साथ अपने काम के दौरान उस इमारत में आते-जाते और रुकते थे। मुझे यकीन नहीं है कि उन्होंने यहां से (मतदाता के रूप में) नामांकन किया था या नहीं।”
दूसरी ओर, सीपीएम ने पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान ही इस पर आपत्ति जताई थी। भवानीपुर-2 क्षेत्र समिति के सचिव बिस्वजीत सरकार ने कहा, “हमने चुनाव आयोग को लिखा था, जिसमें कहा गया था कि किशोर यहां के निवासी नहीं हैं और इसलिए उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाना चाहिए।”
यह भी पढ़ें-








