गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High Court) ने शुक्रवार को आपराधिक मानहानि मामले (criminal defamation case) में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की दोषसिद्धि और दो साल की जेल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने उनके खिलाफ 10 अतिरिक्त मानहानि शिकायतों के मामलों को भी स्वीकार किया। अदालत ने आगे कहा कि सत्र अदालत द्वारा जारी आदेश में इस मामले में किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
लाइव लॉ ने गुजरात हाईकोर्ट के हवाले से जानकारी दी कि, “(गांधी) बिल्कुल गैर-मौजूद आधार पर दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है। (गांधी) के खिलाफ 10 मामले लंबित हैं। राजनीति में शुचिता होना जरूरी है। कैंब्रिज में गांधी द्वारा वीर सावरकर के खिलाफ शब्दों का इस्तेमाल करने के बाद वीर सावरकर के पोते ने पुणे कोर्ट में (गांधी) खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।”
इसमें कहा गया है कि, “दोषी ठहराए जाने से इनकार करने से किसी भी तरह से आवेदक के साथ अन्याय नहीं होगा। दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए कोई उचित आधार नहीं है।”
आपको बता दें कि, दोषसिद्धि पर रोक से गांधी की संसद सदस्य (सांसद) के रूप में बहाली का मार्ग प्रशस्त हो जाता।
मई में, न्यायमूर्ति प्रच्छक (Justice Prachchhak) ने गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहते हुए कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था कि वह ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अंतिम आदेश पारित करेंगे, जो तीन सप्ताह पहले समाप्त हो गया था।
29 अप्रैल को एक सुनवाई के दौरान, गांधी के वकील ने तर्क दिया था कि जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम दो साल की सजा का मतलब है कि उनका मुवक्किल अपनी लोकसभा सीट “स्थायी और अपरिवर्तनीय रूप से” खो सकता है, जो “उस व्यक्ति और जिस निर्वाचन क्षेत्र का वह प्रतिनिधित्व करता है, उसके लिए एक बहुत ही गंभीर अतिरिक्त अपरिवर्तनीय परिणाम” था।
मोदी उपनाम टिप्पणी पर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने की थी शिकायत
सूरत में एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने भारतीय जनता पार्टी के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए 23 मार्च को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को दो साल जेल की सजा सुनाई थी।
फैसले के बाद, केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए गांधी को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। 25 मार्च को राहुल गांधी ने माफी मांगने से इनकार कर दिया। 27 मार्च को सरकारी बंगला छोड़ने का नोटिस मिला। 22 अप्रैल को राहुल गांधी ने बंगला खाली कर दिया। सूरत सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, मगर राहत नहीं मिली। इसके बाद हाईकोर्ट से अपने फैसले पर पुर्नविचार करने की अपील की गई।
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