दिखावा नहीं है अमीरों की सूची, बल्कि हैं प्रेरक कहानियां: अनस रहमान जुनैद

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दिखावा नहीं है अमीरों की सूची, बल्कि हैं प्रेरक कहानियां: अनस रहमान जुनैद

| Updated: October 2, 2022 18:02

‘करोड़पति’ शब्द सिर्फ दो शताब्दियों (two centuries old) से अधिक पुराना ही है। दरअसल यह स्कॉटिश जुआरी और भगोड़े (gambler and fugitive) से प्रेरित था, जिसके बड़े पैमाने पर किए आर्थिक प्रयोगों ने उसे फ्रांस में एक भाग्यविधाता बना दिया। लेकिन बुलबुला जल्द ही फट गया। वह दिवालिया हो गया, लेकिन उसके बाद से करोड़पति (और अब अरबपति) दुनिया भर में कई गुना बढ़ गए हैं। हुरुन इंडिया के संस्थापक और एमडी अनस रहमान जुनैद ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए भारत में अमीरों की बढ़ती जमात के बारे में काफी कुछ बताया है।

आपने अब एक दशक से अधिक समय से भारतीय धनकुबेरों (wealth creators) को ट्रैक किया है। 10 साल पहले की तुलना में इस साल हुरुन इंडिया की अमीरों की सूची में कौन-से दिलचस्प रुझान दिखे हैं?

कई रुझान हैं। कहना ही होगा कि भारतीय अरबपतियों की संख्या 55 से बढ़कर 221 हो गई है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आई है। ऐसा नहीं होता, तो यह संख्या और 40 से 50 अरबपतियों तक बढ़ जाती। एक अन्य ट्रेंड धनकुबेरों का भौगोलिक प्रसार (geographical spread) है। जब हमने शुरुआत की थी, तो उन शहरों की संख्या करीब 15-16 थी, जहां  सबसे अमीर होते थे। अब ऐसे 122 शहर हैं। एक और दिलचस्प बिंदु सूची में शामिल लोगों की उम्र है। जब हमने भारत की पहली सूची बनाई थी, तो सबसे कम उम्र के व्यक्ति 37 साल के शिविंदर मोहन सिंह थे। 10 साल बाद इस जगह Zepto के संस्थापक कैवल्या वोहरा हैं, जो सिर्फ 19 साल के हैं। सूची में 134 लोग हैं, जो नब्बे के दशक में पैदा हुए थे। साथ ही, 2012 में सूची में कोई स्टार्टअप संस्थापक नहीं था। इस वर्ष 100 हैं। इसलिए, यदि आप इन सभी ट्रेंड को देखें, तो आप देख सकते हैं कि धनकुबेर अलग-अलग क्षेत्रों से लेकर सभी आयु समूहों में बढ़ रहे हैं।

भारत मेंजहां इतनी असमानता (disparities) हैक्या अमीरों की ऐसी गर्वीली सूची (celebration of wealth through a rich list) हमें असहज नहीं बनाती?

सबसे पहले, मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से आता हूं। मेरे लिए यह उन लोगों के प्रति आकर्षण के बारे में नहीं है जो अपने धन का दिखावा करते हैं। मेरे लिए उस धन के निर्माण के पीछे की कहानी महत्वपूर्ण है। एक शोधकर्ता के रूप में मेरे लिए रोमांच उद्यमियों की नजर से भारतीय अर्थव्यवस्था की कहानी के बारे में बात करनी रही है। अब, मैं इन कहानियों के बारे में कैसे बात करूं? मैं कहानियों में निष्पक्षता कैसे लाऊं? मुझे इसके लिए कुछ जोड़-घटाव करने होते हैं। जहां तक भारत में आर्थिक विषमताओं (economic disparities) की बात है, तो हमारी सूची यह बताने का प्रयास करती है कि इसे कुलीन 100 क्लब (elite 100 club) तक सीमित न रखें; हम उस तरह के क्षेत्रों को दिखाने के लिए लगभग 1,100 से अधिक लोगों के साथ इसे व्यापक बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो बढ़ रहे हैं। जैसे एक उद्यमी है, जो कीटनाशक-लेपित मच्छरदानी (insecticide-coated mosquito nets) बनाता है, वह इस सूची में आया है। इससे पता चलता है कि यदि आप कड़ी मेहनत करते हैं, तो किसी भी क्षेत्र में धन पैदा करना संभव है। दौलत पैदा करने का मतलब है- ज्यादा रोजगार पैदा करना, ज्यादा टैक्स देना, परोपकार करना आदि। इन कहानियों में प्रेरणा है। संक्षेप में, मैं कहूंगा कि इसके पीछे उद्देश्य पूंजीवादी के बजाय यथासंभव उद्यमशील (the aim is to make this exercise as entrepreneurial as possible rather than capitalistic) बनाना है।

सूची जारी होने के बाद अमीरों की क्या प्रतिक्रिया हैक्या कोई ऐसा था, जो अपना नाम हटाना चाहता था या नहीं होने से परेशान था?

चूंकि पारदर्शी तरीके से काम किया गया, इसलिए ऐसे बहुत कम लोग हैं जो सूची में शामिल नहीं होना चाहते हैं। शिकायतें आमतौर पर उन लोगों की होती हैं जो छूट गए हैं या उन्हें लगता है कि उनका मूल्यांकन अधिक होना चाहिए। कुछ लोग जिन्होंने हमें जवाब नहीं दिया, वे यह कहते हुए वापस लौट जाते हैं कि वे विचार करना चाहते हैं। नीरव मोदी उन लोगों में से एक थे, जिसने जवाब नहीं दिया। बाद में सुना कि वह देश छोड़कर भाग गया।

सूची कैसे बनाते हैं? भारत में 2030 तक आप कितने अरबपतियों की कल्पना करते हैं?

सूची का हिस्सा बनने के लिए आपको करीब 1,000 करोड़ रुपये की जरूरत है। जहां तक 2030 की बात है, तो कुछ आंकड़ों के साथ शुरुआत करते हैं। चीन में वर्तमान में लगभग 1,133 अरबपति हैं, जिनकी जीडीपी लगभग 16 ट्रिलियन डॉलर है। भारत की जीडीपी 3 ट्रिलियन डॉलर है और अरबपतियों की संख्या 221 है। 2030 तक यह संख्या लगभग 500 तक हो सकती है, बल्कि 800 तक भी होनी चाहिए। दिलचस्प बात यह है कि जब चीन की जीडीपी भारत के आकार की थी, तो उनके पास केवल 10-20 अरबपति थे। इसलिए, हम वास्तव में धन बनाने में बेहतर कर रहे हैं। यह इस तथ्य पर आधारित है कि भारत एक नीचे से ऊपर जाती अर्थव्यवस्था है, जो सरकारी निवेश के बजाय मांग से प्रेरित है। ईवीएस (इलेक्ट्रिक वाहन) जैसे क्षेत्रों में विकास की काफी संभावनाएं हैं। पिछले साल चीन की समृद्ध सूची में अधिकांश नए प्रवेशकर्ता ईवी पारिस्थितिकी तंत्र से आए थे। भारत अभी पीछे है, लेकिन अगर हम उसमें से 50% को पकड़ लेते हैं या यहां तक कि हिट भी कर लेते हैं, तो इस क्षेत्र में बहुत अधिक मूल्यवान कंपनियां सामने आएंगी। सरकार ओएनडीसी (डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क) प्लेटफॉर्म और यूपीआई जैसी कुछ अच्छी पहल भी कर रही है।

कंफ्लुएंट की सह-संस्थापक नेहा नारखड़े भारत की सबसे कम उम्र की सेल्फ मेड एंटरप्रेन्योर हैं। उनको इस सूची में देखना खुशी की बात हैफिर भी महिलाओं की संख्या अधिक क्यों नहीं है?

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि लैंगिक असंतुलन (gender imbalance) है। चीन में महिला अरबपतियों की संख्या 259, अमेरिका में 103 और भारत में 13 है, इसलिए यह एक बड़ा अंतर है। लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि हमारे अधिकांश बिजनेस स्वतंत्रता के बाद शुरू हुए थे, और ये मुख्य रूप से पितृसत्तात्मक (patriarchal), परिवार के स्वामित्व (family-owned) वाले बिजनेस थे। लेकिन यह बदल रहा है। अगले कुछ दशकों में हम और अधिक महिलाओं को फैमिली बिजनेस का नेतृत्व करने के साथ-साथ अपना खुद का बिजनेस शुरू करते हुए देखेंगे।

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