नई दिल्ली — जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों की जान लेने वाले आतंकी हमले से दो महीने पहले, अमेरिका की प्रमुख अंतरिक्ष तकनीकी कंपनी मैक्सर टेक्नोलॉजीज को इस क्षेत्र की हाई-रेजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के लिए असामान्य रूप से अधिक ऑर्डर मिले थे। 2 से 22 फरवरी 2025 के बीच इस कंपनी को कुल 12 ऑर्डर मिले — जो सामान्य औसत से दोगुने थे।
चिंता की बात यह है कि यह स्पाइक उसी समय हुआ जब मैक्सर ने पाकिस्तान की एक विवादित जियोस्पेशियल कंपनी ‘बिजनेस सिस्टम्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (BSI)’ के साथ साझेदारी की थी — जो अमेरिका में फेडरल अपराधों से जुड़ी रही है।
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि पहलगाम की सैटेलाइट तस्वीरों के ऑर्डर BSI ने ही दिए, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि समय और परिस्थितियों को देखते हुए इस संयोग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता — खासकर तब जब BSI के संस्थापक ओबैदुल्लाह सईद का आपराधिक रिकॉर्ड सामने आ चुका है।

मैक्सर की साझेदारी पर सवाल
ओबैदुल्लाह सईद, एक पाकिस्तानी-अमेरिकी व्यवसायी, को अमेरिका की एक संघीय अदालत ने पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन (PAEC) को बिना अनुमति उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर भेजने के अपराध में एक साल की जेल की सजा सुनाई थी। यह वही एजेंसी है जो परमाणु हथियार और बैलिस्टिक मिसाइलों के निर्माण से जुड़ी हुई है।
एक मैक्सर ग्राहक ने बताया, “किसी पाकिस्तानी कंपनी को बिना बैकग्राउंड चेक किए मैक्सर का साझेदार बनाना बेहद चिंताजनक है। भारत को ऐसे अंतरराष्ट्रीय सैटेलाइट डेटा प्रदाताओं पर दबाव बनाना चाहिए कि वे पाकिस्तान से जुड़ी कंपनियों के साथ काम न करें।”
एक मीडिया समूह को मिले डेटा के अनुसार, पहलगाम के अलावा पुलवामा, अनंतनाग, पुंछ, राजौरी और बारामूला जैसे संवेदनशील इलाकों की भी हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें मांगी गईं। प्रत्येक इमेज की कीमत करीब 3 लाख रुपए से शुरू होती है और तस्वीर की गुणवत्ता के अनुसार बढ़ती है।
क्या सैटेलाइट तस्वीरों का हमला योजना से संबंध?
ISRO के एक वैज्ञानिक ने बताया, “यह कहना तो मुश्किल है कि ये तस्वीरें 22 अप्रैल के हमले की योजना में इस्तेमाल हुईं या नहीं, लेकिन भारत को मैक्सर से इन ऑर्डरों की जांच की मांग जरूर करनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि सैटेलाइट निगरानी किसी भी देश की खुफिया प्रणाली की रीढ़ होती है।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. भट्ट, जो अब इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISpA) के महानिदेशक हैं, ने आगाह किया कि हाई-रेजोल्यूशन इमेजिंग के कॉमर्शियल रूप से उपलब्ध होने से देश की सुरक्षा में नई चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। “ऐसे डेटा का गलत हाथों में जाना बेहद खतरनाक हो सकता है,” उन्होंने कहा।
संदिग्ध पैटर्न: ऑर्डरों का समय
मैक्सर के पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी 2025 में 12, 15, 18, 21 और 22 तारीख को पहलगाम के लिए सैटेलाइट इमेज ऑर्डर किए गए। मार्च में कोई ऑर्डर नहीं आया, लेकिन 12 अप्रैल को एक नया ऑर्डर दर्ज हुआ — ठीक 10 दिन पहले जब आतंकी हमला हुआ। इसके बाद 24 और 29 अप्रैल को दो और ऑर्डर मिले, लेकिन फिर कोई गतिविधि नहीं देखी गई।
ऑर्डरों की तस्वीरों की रेजोल्यूशन या ऑर्डर करने वाले देश या कंपनी का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है।
एक मैक्सर ग्राहक ने बताया, “जब तक कोई ऑर्डर सामरिक महत्व का नहीं होता, तब तक अन्य ग्राहक देख सकते हैं कि कौन सी इमेज कब ऑर्डर की गई। लेकिन किसने ऑर्डर किया, यह जानकारी मैक्सर नहीं देता।”
हालांकि, अभी तक इस पर मैक्सर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
BSI: एक संदिग्ध अतीत वाली कंपनी
मैक्सर की साझेदारी में BSI का जुड़ाव एक गंभीर चिंता का विषय है। आमतौर पर मैक्सर के साझेदार न केवल ग्राहक होते हैं, बल्कि वे प्रोडक्ट डेवलपर, रीसेलर और समाधान प्रदाता के रूप में भी काम करते हैं।
अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक, BSI अमेरिका से पाकिस्तान के सरकारी एजेंसियों को तकनीकी सामान भेजने के अवैध मार्ग के तौर पर काम करती रही है। ओबैदुल्लाह सईद ने 2006 से 2015 के बीच अमेरिकी उपकरणों को गलत तरीके से पाकिस्तान पहुंचाया और फर्जी दस्तावेज दाखिल किए।
अदालत में सजा सुनाए जाने से पहले सईद ने 2.47 लाख डालर (करीब 2 करोड़ रुपए) की आपराधिक आय सरकार को सौंप दी थी। अमेरिकी एजेंसियों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि “राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।”
मैक्सर पोर्टल पर आज भी BSI के संपर्क व्यक्ति के तौर पर ओबैदुल्लाह सईद का नाम दर्ज है।
BSI की वेबसाइट के मुताबिक, इसका मुख्यालय कराची में है और इसके कार्यालय लाहौर, इस्लामाबाद और फैसलाबाद में भी हैं। यह कंपनी खुद को हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग, डेटा माइनिंग, जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (GIS), और कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम जैसी सेवाओं में विशेषज्ञ बताती है।
भारत की सुरक्षा नीति और विदेशी निर्भरता
भारत में सैटेलाइट इमेजरी को लेकर ‘रिमोट सेंसिंग डेटा पॉलिसी’, ‘जियोस्पेशियल डेटा गाइडलाइंस’ और ‘स्पेसकॉम पॉलिसी’ जैसे कानून लागू हैं। इनमें रक्षा-संवेदनशील क्षेत्रों के डेटा तक सीमित पहुंच की अनुमति दी जाती है — जैसे कि सैन्य ठिकाने, बॉर्डर और परमाणु प्रतिष्ठान।
लेकिन विदेशी कंपनियों पर इन नियमों का कोई प्रभाव नहीं होता।
ISRO के वैज्ञानिक ने कहा, “मैक्सर जैसे कारोबारी प्लेटफॉर्म सिर्फ पैसा कमाने में रुचि रखते हैं, वे किसी एक देश के प्रति जवाबदेह नहीं होते।”
भारत आने वाले वर्षों में खुद के निगरानी उपग्रहों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रहा है, लेकिन फिलहाल उसे हाई-रेजोल्यूशन इमेजिंग के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है — जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक गंभीर जोखिम है।
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