मेहसाणा की संयुक्त रैली से मिले शंकरसिंह वाघेला की कांग्रेस में वापसी के संकेत

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मेहसाणा की संयुक्त रैली से मिले शंकरसिंह वाघेला की कांग्रेस में वापसी के संकेत

| Updated: October 7, 2022 11:17

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला (Former Gujarat Chief Minister Shankersinh Vaghela )और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया (Former State President Arjun Modhwadia )ने कथित दूधसागर डेयरी (Dudhsagar Dairy) घोटाले पर अदालत की सुनवाई में भाग लेने के बाद कम से कम सात कांग्रेस विधायकों के साथ गुरुवार को यहां एक संयुक्त रैली की।

800 करोड़ रुपये की कथित धांधली के मामले में उन्होंने दूधसागर डेयरी के पूर्व अध्यक्ष विपुल चौधरी (Vipul Chaudhary, former chairman of Dudhsagar Dairy) के प्रति समर्थन जताया। साथ ही दोनों ने प्रभावशाली अंजना चौधरी समुदाय (Chowdhury community) से आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता से बाहर करने में मदद करने का आग्रह किया।

भाजपा नेता चौधरी के प्रति समर्थन दिखाने से अधिक गुरुवार की ‘साक्षी हुंकार रैली’ ने संकेत दिया कि वाघेला राज्य में लगभग समाप्त हो चुकी कांग्रेस में वापस आ सकते हैं। गुजरात के दिग्गज नेता वाघेला ने राज्य की सभी बड़ी पार्टियों में काम किया है। इसलिए ऐसे समय में कांग्रेस के लिए यह बढ़ावा होगा, जब वह सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है।

इस बारे में पूछे जाने पर वाघेला ने कहा, “बातचीत जारी है। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद उचित समय पर घोषणा की जाएगी।” भाजपा में फिर से शामिल होने की किसी भी संभावना से इनकार करते हुए उन्होंने कहा: “मुझे कांग्रेस से कुछ हासिल नहीं हो रहा है, बल्कि मैं पार्टी को देने का इरादा रखता हूं।” मोढवाडिया ने पहले कहा था कि वाघेला के लिए कांग्रेस में वापसी का रास्ता खुला है।

अपनी वापसी के साथ वाघेला कांग्रेस में एक महत्वपूर्ण खाली स्थान को भरेंगे, जिसमें दिवंगत अहमद पटेल जैसे रणनीतिकार की उपस्थिति नहीं है। वाघेला के इस संकेत पर कि वे वापसी के खिलाफ नहीं हैं, और मोढवाडिया के प्रस्ताव पर पार्टी की चुप्पी से पता चलता है कि उनके लिए मैदान तैयार हो सकता है।

दूधसागर डेयरी से सटे मैदान में चौधरी से जुड़े मामले में अदालत में “गवाह” के रूप में पेश होने के बाद वाघेला और मोढवाडिया ने रैली की। मोढवाडिया ने वाघेला को ‘बापू’ कहते हुए चौधरी के खिलाफ मामले पर सवाल उठाया, जिन्होंने 2007 में भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी। यह भी कहा कि भाजपा नेता होने के बावजूद बाद में केंद्र में यूपीए सरकार द्वारा ही उन्हें नियुक्त किया गया था। मोढवाडिया ने कहा कि उन्होंने चौधरी को चुना क्योंकि उनका मानना था कि वह देश भर में अमूल के नेटवर्क का विस्तार करने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “इसके लिए विपुलभाई हमारे पास नहीं आए और न ही कोई और आया।” मोढवाडिया ने कहा कि चौधरी ने भाजपा को धोखा दिया, क्योंकि उन्होंने दुग्ध सहकारिता (milk cooperatives) चुनाव लड़ने के लिए पार्टी से इजाजत नहीं मांगी थी। उन्होंने कहा, “चलो यह चर्चा नहीं करते कि वह किस पार्टी से हैं। यह स्वाभिमान की लड़ाई है, जिसे हमें मिलकर लड़ना है।”

उत्तर गुजरात में चौधरी समुदाय के वोटों का कांग्रेस के प्रति झुकाव पार्टी की किस्मत को काफी हद तक बदल सकती है। गुरुवार की रैली में मौजूद कांग्रेस के सात विधायक सीजे चावड़ा (गांधीनगर उत्तर से विधायक), बलदेवसिंह ठाकोर (कलोल), रघु देसाई (चनास्मा), नाथभाई चौधरी (धनेरा), भरत ठाकोर (बेचाराजी), गोवाभाई रबारी (दीसा) और चंदनजी ठाकोर (सिद्धपुर) थे।

वाघेला ने इस बारे में बात की कि कैसे चौधरी 1996 में उनकी सरकार में गृह मंत्री थे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिन गुजरात के लिए परीक्षा के समय हैं। क्या आप डर, गुलामी, भ्रष्टाचार और महंगाई से बाहर निकलना चाहते हैं? इसके लिए उन्होंने लोगों से सावधानी पूर्वक मतदान करने को कहा।

इस अवसर पर बोलने वाले चावड़ा ने वाघेला की प्रशंसा की, जिन्होंने पिछली बार कांग्रेस को झटका दिया था, जब उन्होंने 2017 के राज्यसभा चुनाव से कुछ दिन पहले इस्तीफा दे दिया था। उस समय विपक्ष के नेता वाघेला के इस्तीफे के बाद एक दर्जन से अधिक विधायकों ने भी ऐसा ही किया था। तब राज्यसभा के लिए अहमद पटेल के फिर से चुने जाने को लेकर कांग्रेस को जोर का झटका दिया था। हालांकि पटेल ने अंततः जीत हासिल की, और फिर कांग्रेस ने उस वर्ष 1995 के बाद विधानसभा में पहली बार इतनी अधिक सीटें जीतने में सफल रही। बता दें कि राज्य में भाजपा की पहली सरकार उसी वर्ष यानी 1995 में ही बनी थी।

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