राज्य सरकार अवैध निर्माण (illegal construction) को वैध बनाने यानी नियमितीकरण (regularisation) के लिए इम्पैक्ट फी का भुगतान करने के आवेदन की समय सीमा बढ़ा सकती है। आवेदन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 फरवरी है।
अभी तक राज्य भर से 10,000 से कम ही आवेदन मिले हैं। सूत्रों ने बताया कि इसे देखते हुए सरकार समय सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। मामले को और भी निराशाजनक बनाने वाली बात यह है कि प्राप्त आवेदनों में से अब तक केवल दो को ही निपटाया जा सका है।
अकेले अहमदाबाद शहर में एएमसी और एयूडीए (AUDA) क्षेत्रों सहित दो लाख से अधिक आवेदनों की उम्मीद थी। एएमसी को अब तक 5,065 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से भी केवल दो को ही मंजूरी मिली है। दिलचस्प बात यह है कि एयूडीए क्षेत्रों में 213 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन मंजूरी एक को भी नहीं मिली है।
राज्य सरकार ने अक्टूबर में इम्पैक्ट फी योजना की घोषणा की थी। इसके तहत एक अक्टूबर, 2022 से पहले किए गए अवैध निर्माणों को शुल्क वसूल कर नियमित किया जाएगा। अधिसूचना पिछले साल 17 अक्टूबर को जारी की गई थी और आवेदन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 फरवरी थी। विधानसभा ने दिसंबर में इस आशय का एक बिल पारित किया था। इसके प्रावधानों के अनुसार, आवेदक को आवेदन दाखिल करने के दो महीने के भीतर शुल्क का भुगतान करना होगा।
राज्य शहरी विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि योजना को लेकर उत्साह नहीं है। ऐसे में आवेदनों को मंजूरी देने के लिए समय की जरूरत है। एएमसी और एयूडीए को जो आवेदन मिले हैं, वे आवासीय और कमर्शियल दोनों श्रेणियों के हैं। एएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आवेदनों को मंजूरी देने में देरी के बारे में कहा कि शुरू में सरकार की ओर से दिशा-निर्देशों में ही देरी हो गई थी। तब कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में व्यस्त थे। इसके अलावा, माप लेने के लिए कर्मचारियों को मौके पर जाना होगा। फिर इम्पैक्ट फी का हिसाब होगा। इस सबके लिए समय सीमा 17 फरवरी से आगे बढ़ाने की जरूरत है।
राज्य सरकार ने अवैध निर्माण के लिए 3,000 रुपये से लेकर 18,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक की दर तय की है। पार्किंग नियमों के उल्लंघन पर रिहायशी के लिए जंत्री दरों का 15 फीसदी और कमर्शियल के लिए 30 फीसदी जुर्माना होगा।
सूरत में भी योजना को लेकर उत्साह नहीं है। सूरत नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा कि अग्नि सुरक्षा, पार्किंग और अन्य नियमों के लिए कई प्रावधान हैं और योजना में स्पष्टता का अभाव है। यह एक कारण हो सकता है कि कम लोग आगे आ रहे हैं।
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