मोरबी (Morbi )में सस्पेंशन ब्रिज (Suspension Bridge )गिरने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court )पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक जनहित याचिका( Public interest litigation )दायर कर हादसे की निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट 14 नवंबर को जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा.
वकील विशाल तिवारी (Advocate Vishal Tiwari )ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि इस त्रासदी में एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज( Retired Supreme Court judge )की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग( Judicial Commission )का गठन किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकारों से भी मांग की है कि देश भर में ऐसी किसी भी घटना को होने से रोकने के लिए पर्यावरणीय व्यवहार्यता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुराने और खतरनाक पुलों और स्मारक स्थलों के सर्वेक्षण और जोखिम मूल्यांकन के लिए एक समिति बनाई जाए और एक समिति बनाई जाए. ऐसे स्थानों पर भीड़ प्रबंधन के लिए कानून का पालन सुनिश्चित किया जाय । सुप्रीम कोर्ट ने विशाल तिवारी की याचिका को स्वीकार करते हुए इस मामले की पहली सुनवाई 14 नवंबर को तय की है .
गौरतलब है कि ब्रिटिश काल का सस्पेंशन ब्रिज रविवार को ढह गया । इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 132 हो गई है जबकि कई लोग घायल हैं और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है . माना जा रहा है कि रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे जब पुल गिरा तो करीब 400 से 500 लोग पुल पर थे । 143 साल पुराने पुल को जीर्ण-शीर्ण होने के कारण लगभग सात महीने तक रखरखाव के लिए बंद कर दिया गया था ,जिसे नवनिर्माण के बाद गुजराती नववर्ष को खोल दिया गया था।
गुजरात उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर
गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High Court )में अधिवक्ता भौमिक शाह ने सुमोटो हस्तक्षेप के लिए पीआईएल (PIL )दायर की है। अपनी याचिका उन्होंने मांग की हैं कि नगर पालिका के चीफ आफीसर , नगर पालिका प्रमुख ,ठेकेदार समेत सभी को एफआईआर में आरोपी बनाने की मांग की है।
गुजरात: मोरबी त्रासदी ने नागरिक व्यवस्थाओं में कमियों को किया उजागर