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चैटबॉट से प्रेरणा लें, बजाय इसे एक खतरे या कट-पेस्ट के

| Updated: February 8, 2023 3:41 pm

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उदय ने आसानी से सूचना तक पहुंचने और समाधान पाने के नए रास्ते खोल दिए हैं। हालांकि, ओपन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट-चैटजीपीटी का लॉन्च- की बात करें तो छात्रों और शिक्षकों की एकेडमिक इंटेग्रिटी को बनाए रखने में शैक्षणिक संस्थानों के लिए समस्या पैदा कर सकता है।

पॉजेटिव मोर्चे पर देखें, तो  अहमदाबाद में शैक्षणिक संस्थानों ने छात्रों को भारत में कई विश्वविद्यालयों की तरह चैटजीटीपी के उपयोग को रोकने के बजाय एआई उपकरण के रचनात्मक (creative) और नैतिक (ethical) उपयोग करने देने का निर्णय लिया है।

पंडित दीनदयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी (PDEU) में स्कूल ऑफ लिबरल स्टडीज (SLS) को ही लें। एसएलएस ने तकनीक के रचनात्मक उपयोग पर चर्चा करने के लिए छात्रों और शिक्षकों के साथ बात की। कहा कि चैटबॉट से सीखें, बजाय इसके कि असाइनमेंट के लिए शॉर्टकट एक खतरे या कट-पेस्ट के रूप में देखें।

एसएलएस के डायरेक्टर निगम दवे ने कहा, “किसी भी तकनीक पर प्रतिबंध लगाने से निश्चित रूप से छात्र इसकी ओर अधिक आकर्षित होंगे। यह कोई समाधान नहीं है। SLS में ऐसा सेशन ChatGPT पर सकारात्मकता (positives) को आकर्षित करने के तरीकों पर चर्चा के लिए था। यानी इससे प्रेरणा लेकर साहित्य के निर्माण के लिए रचनात्मक रूप से इसका उपयोग करें। मैं एक कदम और आगे जाता हूं।

इस संभावना को बढ़ाता हूं कि क्यों न छात्रों को चैटजीपीटी जैसे एआई को श्रेय देना सिखाया जाए? पुराने दिनों की तरह अंग्रेजी कवि वर्ड्सवर्थ और कोलरिज ने मिलकर लिरिकल बैलाड्स लिखे, हम साहित्य की शैलियों का सह-निर्माण क्यों नहीं कर सकते?” मंगलवार को साइबर-ह्यूमन को-ऑथरशिप हैंड्स ऑन सेशन विषय पर चर्चा के दौरान छात्रों, फैकल्टी सदस्यों के साथ दवे भी मौजूद थे।

एमआईसीए अहमदाबाद की डीन डॉ. गीता हेगड़े कहा, “जब भी कोई नई आशाजनक तकनीक सामने आती है, जिसमें एप्लीकेशंस और चैलेंज स्पष्ट रूप से समझ में नहीं आती हैं, तो यह मौजूदा समस्याओं को हल करने के लिए मौलिक संभावनाएं खोलती हैं, चैटजीपीटी एक ऐसी ही प्रगति है। जैसा कि MICA संपूर्ण मस्तिष्क, चुस्त सोच और रचनात्मक दृष्टिकोण में विशेषज्ञता को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहा है।

यह सभी तकनीकी विकासों के लिए समस्या-समाधान और निर्णय लेने के लिए सबसे अधिक मांग वाला समुदाय होगा MICA में हम ChatGPT के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। यह शैक्षणिक वैधता (academic validity) को प्रभावित किए बिना, जो तकनीकी अवरोधों (technological disruptions) से पहले भी हमेशा एक मिसाल रहा है और आगे भी रहेगा।

गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर एस शांताकुमार ने कहा कि एआई आधारित उपकरण यहां रहने के लिए हैं और नई तकनीक को अपने काम में जोड़कर उद्योग के लिए तैयार पेशेवरों को तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “यह एक गतिशील दुनिया है। जैसे-जैसे तकनीक विकसित होती है, हमें भी प्रासंगिक बने रहने के लिए उनके अनुकूल होने की आवश्यकता है। हमें असेसमेंट के क्रिएटिव तरीके खोजने की जरूरत है, जो छात्रों को किसी समस्या को हल करने के लिए उपलब्ध हर उपकरण का उपयोग करने के लिए चुनौती देगा।”

उनका मानना है कि कॉपी-पेस्ट की नौकरी से निपटने के तरीकों में से एक है, छात्रों की शिक्षा का परीक्षण करने के लिए अधिक इन-क्लास असाइनमेंट, चर्चा और मौखिक परीक्षाएं और कम घर ले जाने वाली, खुली किताब असाइनमेंट।

धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (डीएआईआईसीटी) के डायरेक्टर केएस दासगुप्ता ने भी कहा कि अगर संस्थान के असाइनमेंट का मूल्यांकन काफी मजबूत है और छात्रों को नैतिक मार्ग पर अच्छी तरह से तैयार किया जाता है, तो एआई कोई खतरा पैदा नहीं करता है। उन्होंने कहा, “हमने एआई के बढ़ते उपयोग के बारे में चर्चा की है। वैसे हमने इसे एक समाधान के रूप में नहीं देखा। असाइनमेंट आदि की जांच करने के लिए हमारी प्रक्रियाएं काफी मजबूत हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां से कुछ भी सीधे उठाना नहीं है।”

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