अप्रशिक्षित कर्मचारी, दोषपूर्ण सुरक्षा गियर: हत्यारे अग्नि त्रासदियों के लिए गुजरात के अस्पतालों को दोषी ठहराया गया - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

अप्रशिक्षित कर्मचारी, दोषपूर्ण सुरक्षा गियर: हत्यारे अग्नि त्रासदियों के लिए गुजरात के अस्पतालों को दोषी ठहराया गया

| Updated: September 29, 2021 00:11

गुजरात के दो अस्पतालों, अहमदाबाद के नवरंगपुरा के श्रेय अस्पताल और राजकोट के उदय शिवानंद कोविड-19 अस्पताल में आग लगने की घटनाओं पर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डीए मेहता के नेतृत्व वाले जांच आयोग की रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा में पेश की गई। इसके मुताबिक, श्रेय अस्पताल में आठ और उदय शिवानंद अस्पताल में पांच मरीजों की मौत अस्पतालों की लापरवाही के कारण ही हुई।
श्रेय अस्पताल का मामला

रिपोर्ट के अनुसार, श्रेय अस्पताल के मालिक भरत विजयदास महंत ने जांच आयोग के समक्ष स्वीकार किया कि अस्पताल के कर्मचारियों को आग लगने की स्थिति में सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया था। इसके अलावा, आईसीयू में भी अग्नि सुरक्षा उपकरण नहीं थे। आईसीयू का फायर अलार्म सिस्टम, स्मोक सेंसर और स्प्रिंकलर या तो गायब पाए गए या गलत हालत में थे।

श्रेय अस्पताल में आग मरीजों की निगरानी के पुराने सिस्टम के कारण लगी थी

श्रेय अस्पताल में मरीजों की निगरानी वाला सिस्टम 15 साल पुराना था। अस्पतालों में स्थापित प्रत्येक मरीज निगरानी प्रणाली का जीवन पांच वर्ष का होता है। श्रेय अस्पताल के मामले में यह  सिस्टम वर्ष 2006-2007 में खरीदा गया था और तब से चालू था। इसे कभी बदला या अपडेट नहीं किया गया था। इसकी सिर्फ सर्विसिंग करा ली जाती थी। इस तरह यह बेकार होता चला गया।

आईसीयू की खिड़कियों में भी कांच के स्क्रू लगे थे। 6 अगस्त 2020 को श्रेय अस्पताल की आईसीयू में आग से निकलने वाला धुआं आईसीयू के अंदर ही रह गया। रिपोर्ट में इस घटना के लिए अस्पताल के प्रबंधन और मालिक भरत महंत को जिम्मेदार ठहराया गया है।

रिपोर्ट में अनधिकृत निर्माण को नियमित करने के लिए सरकार की नीति की ओर भी इशारा किया गया है। हालांकि प्रभार शुल्क लेने का दावा भी किया गया है। अपर्याप्त पार्किंग सुविधाओं और निर्माण से संबंधित अन्य ‘उल्लंघन’ का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, “अगर श्रेय अस्पताल के परिसर और उसमें अनधिकृत निर्माण को नियमित कर दिया जाता, तो मौतों से बचा जा सकता था।”

रिपोर्ट के मुताबिक, मार्जिन एरिया में विभिन्न अवरोधों के कारण दमकल कर्मियों को अस्पताल की चौथी मंजिल पर स्थित आईसीयू तक पहुंचने के लिए छत पर जाने को मजबूर होना पड़ा। इसके कारण देरी हुई, जिससे दम घुटने के कारण सात मरीजों की मौत हो गई और एक मरीज की जलने से मौत हो गई।

राजकोट में उदय शिवानंद कोविड -19 अस्पताल का मामला

उदय शिवानंद कोविड-19 अस्पताल, राजकोट में आग लगने के मामले में आयोग ने बताया कि आईसीयू में “धमन” ब्रांड के वेंटिलेटर लगाए थे। आग वेंटिलेटर से शॉर्ट सर्किट होने के कारण लगी।

राजकोट के अस्पताल में आग लगने से पांच मरीजों की मौत हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, आग “थर्मस-सेंसर” में शॉर्ट-सर्किट के कारण लगी थी, जो एक ट्यूब पर रखी जाती है, जो वेंटिलेटर से मरीज को ऑक्सीजन की आपूर्ति करती है।

अस्पताल प्रबंधन ने जांच आयोग के सामने माना कि उन्होंने वेंटिलेटर नहीं खरीदे थे। बल्कि, वे केवल “उपयोग करने के मकसद से उन्हें कंपनी से लेकर आए थे।” इस तरह आयोग ने दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए वेंटिलेटर निर्माता को सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘प्रबंधन ने वेंटिलेटर खरीदा नहीं था, जिसके कारण निर्माता के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं है। भले ही कोई एक दोषपूर्ण या घटिया ही क्यों न पाया गया हो।” वैसे दरवाजे पर चिकित्सा उपकरण रखे होने से राजकोट अस्पताल का आपातकालीन निकास द्वार बंद हो गया था।

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d