छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले (Dhamtari district) में ‘कमार’ जनजाति, जो एक विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह (PVTG) है, को आवास अधिकार (habitat rights) प्राप्त हुआ है। इस पहल के बाद, अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि इससे उनकी संस्कृति और आजीविका के साधनों की सुरक्षा में मदद मिलेगी और सरकार उनके विकास के लिए काम कर सकेगी।
उन्होंने दावा किया कि कमार ऐसा दर्जा पाने वाले राज्य के पहले पीवीटीजी हैं। इस कदम से धमतरी जिले के मगरलोड विकासखण्ड की 22 बस्तियों में रहने वाले कमार जनजाति (Kamar tribe) परिवारों को लाभ मिलेगा।
विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) के अवसर पर बुधवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन 22 बस्तियों के प्रमुखों को आवास अधिकार प्रमाण पत्र (habitat rights certificates) सौंपे।
कमार जनजाति के सदस्य मुख्यतः गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद और कांकेर जिले में निवास करते हैं। छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग के आयुक्त शम्मी आबिदी ने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार उनकी जनसंख्या 26,630 थी।
अधिकारियों ने कहा, वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत आवास अधिकारों की मान्यता से न केवल पीवीटीजी की पारंपरिक व्यवस्थाओं, संस्कृति, परंपरा, आजीविका के साधनों, आवास को आधिकारिक रूप से दस्तावेजित करके उनके संरक्षण और संवर्धन में मदद मिलेगी, बल्कि सरकार को उनके लिए विभिन्न विभागों की योजनाओं के माध्यम से अपने क्षेत्रों का सशक्तिकरण एवं विकास करने में भी मदद मिलेगी।
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