न्यूयॉर्क — 33 वर्षीय डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट और न्यूयॉर्क स्टेट असेंबलीमैन ज़ोहरन मामदानी ने न्यूयॉर्क सिटी के डेमोक्रेटिक मेयर प्राइमरी चुनाव में जीत की घोषणा की है। इस जीत के साथ वह न्यूयॉर्क सिटी के पहले भारतीय-अमेरिकी और मुस्लिम मेयर बनने की राह पर हैं।
बड़े उलटफेर में कूओमो ने मानी हार
पूर्व गवर्नर एंड्रयू कूओमो ने मंगलवार रात हार स्वीकार करते हुए इस मुकाबले को एक बड़ा उलटफेर बताया है। हालांकि अंतिम परिणाम न्यूयॉर्क सिटी के रैंक्ड च्वाइस वोटिंग प्रक्रिया के बाद ही आएंगे, लेकिन मामदानी फिलहाल पहले चॉइस वोटों और दूसरे चॉइस वोटिंग में कूओमो से कहीं आगे हैं।
न्यूयॉर्क सिटी बोर्ड ऑफ इलेक्शंस के अनौपचारिक नतीजों के अनुसार, मामदानी ने न केवल पहले चॉइस वोट में कूओमो को पीछे छोड़ा, बल्कि दूसरे चॉइस में भी उन्हें भारी बढ़त मिली है — जो रैंक्ड च्वाइस वोटिंग में निर्णायक साबित हो सकती है।
“आज रात, हमने इतिहास रच दिया है,” मामदानी ने अपने समर्थकों से कहा। नेल्सन मंडेला को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, “यह हमेशा असंभव लगता है, जब तक कि पूरा न हो जाए। मेरे दोस्तों, हम कर चुके हैं।”
यौन उत्पीड़न के आरोपों के कारण 2021 में इस्तीफा देने के बाद वापसी करने वाले कूओमो ने भी मामदानी को बधाई दी। “आज रात उनकी रात है। वे इसके हकदार हैं। उन्होंने जीत हासिल की है,” कूओमो ने कहा।
नवंबर में होगा मुकाबला
मौजूदा मेयर एरिक एडम्स ने इस प्राइमरी में हिस्सा नहीं लिया था और वह स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लीवा भी इस दौड़ में शामिल हैं। कूओमो ने संकेत दिए कि वह नवंबर में होने वाले आम चुनाव में एक बार फिर उतर सकते हैं। उन्होंने कहा, “हम स्थिति पर विचार करेंगे और कुछ निर्णय लेंगे।”
अगर मामदानी की बढ़त रैंक्ड च्वाइस वोटिंग प्रक्रिया के बाद भी कायम रहती है, तो वे नवंबर में एडम्स और स्लीवा के खिलाफ मुकाबला करेंगे।
कौन हैं ज़ोहरन मामदानी?
ज़ोहरन मामदानी का जन्म कंपाला, युगांडा में भारतीय माता-पिता — मशहूर फिल्म निर्माता मीरा नायर और भारत में जन्मे युगांडा के शिक्षाविद महमूद मामदानी — के घर हुआ था। सात साल की उम्र में वह न्यूयॉर्क सिटी चले आए और 2018 में अमेरिकी नागरिक बने। इस साल की शुरुआत में उनकी शादी एक सीरियाई कलाकार से हुई।
उन्होंने मेन के बोडोइन कॉलेज से अफ्रीकाना स्टडीज में डिग्री ली है। राजनीति में आने से पहले वह एक फोरक्लोजर प्रिवेंशन काउंसलर के रूप में काम करते थे, जो गरीब गृहस्वामियों को मदद प्रदान करता था। इसके अलावा, वे रैप और लेखन के जरिए अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति भी करते थे।
2020 में न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली के लिए चुने जाने के बाद से ही मामदानी प्रगतिशील खेमे के एक मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं। उन्होंने सार्वजनिक बसों को मुफ्त करने, यूनिवर्सल चाइल्ड केयर देने, नए किफायती घर बनाने और न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने जैसी नीतियों की पैरवी की है — जिनका खर्च वे शीर्ष 1% कमाने वालों पर 2% टैक्स लगाकर जुटाना चाहते हैं।
मामदानी के प्रचार में ग्रासरूट्स अभियान और हिंदी-उर्दू में बनाए गए उनके आकर्षक वीडियो शामिल थे, जिनमें बॉलीवुड संदर्भों के साथ रैंक्ड च्वाइस वोटिंग प्रक्रिया को समझाया गया था।
ऐतिहासिक उपलब्धि: पहले भारतीय-अमेरिकी और मुस्लिम मेयर बनने की ओर
अगर मामदानी चुने जाते हैं, तो वे न्यूयॉर्क सिटी के पहले भारतीय-अमेरिकी और मुस्लिम मेयर होंगे — जो इस विविध शहर के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव होगा।
उनकी जीत को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रगतिशील गुट के लिए एक अहम मील का पत्थर माना जा रहा है।
युवाओं, अप्रवासी समुदायों और प्रगतिशील मतदाताओं में अपनी लोकप्रियता के चलते मामदानी को सीनेटर बर्नी सैंडर्स और प्रतिनिधि एलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज जैसी हस्तियों से समर्थन मिला है।
हालांकि कूओमो ने मामदानी पर प्रशासनिक अनुभव की कमी का आरोप लगाया था और इज़रायल-फिलिस्तीन पर उनके रुख की आलोचना की थी, मामदानी ने हमेशा कहा है कि वे सभी समुदायों के लिए काम करेंगे। एक डिबेट में इज़रायल पर सवाल के जवाब में मामदानी ने कहा था, “एक मेयर के रूप में मैं न्यूयॉर्क के यहूदी समुदाय के लिए हमेशा खड़ा रहूंगा और पांचों बरो में उनसे मिलूंगा।”
क्यों महत्वपूर्ण है मामदानी की जीत?
मामदानी की इस जीत को डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर बदलाव की एक महत्वपूर्ण निशानी के रूप में देखा जा रहा है — जहां मतदाता परंपरागत नेताओं से हटकर नए चेहरे, नए विचार और सामाजिक न्याय पर आधारित नीतियों को प्राथमिकता देने लगे हैं।
कूओमो जैसे अनुभवी राजनेता को हराकर मामदानी ने संदेश दिया है कि बदलाव की राजनीति में युवाओं और ग्रासरूट्स प्रयासों से सत्ता हासिल की जा सकती है।
वहीं, कूओमो के इस्तीफे से लेकर मेयर एरिक एडम्स पर लगे वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप तक, इस चुनाव ने स्थापित राजनेताओं के इर्द-गिर्द बने विवादों को भी उजागर किया है।
मामदानी ने इस अभियान में मुख्य रूप से छोटे चंदे, युवा स्वयंसेवकों और घर-घर जाकर प्रचार करने पर भरोसा किया — जबकि कूओमो ने लाखों डॉलर जुटाकर प्रचार किया, जिसमें रिपब्लिकन झुकाव वाले दानदाताओं का भी योगदान था।
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