गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सोमवार को एक बड़ा झटका तब लगा जब आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार गोपाल इटालिया ने उपचुनाव में विसावदर विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार को हरा दिया।
भाजपा पिछले तीन दशकों से गुजरात में सत्ता में है और उसके पास बूथ स्तर तक मजबूत नेटवर्क और संसाधन उपलब्ध हैं।
हालांकि, कडी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को राहत मिली, जहां भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र चावड़ा ने कांग्रेस के रमेश चावड़ा को 39,452 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया।
विसावदर में कांग्रेस अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी।
इन नतीजों के साथ ही 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा की ताकत 162 सीटें हो गई हैं, जबकि आप के खाते में 5 सीटें आई हैं। कांग्रेस के 12 विधायक हैं, समाजवादी पार्टी के 1, और 2 निर्दलीय विधायक हैं। 162 सीटें गुजरात में किसी भी पार्टी द्वारा हासिल किया गया अब तक का सर्वाधिक बहुमत है।
विसावदर उपचुनाव आप विधायक भूपत भयाणी के इस्तीफे के कारण हुआ था, जिन्होंने 2022 में आप के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे।
वहीं कडी सीट पर फरवरी में भाजपा विधायक करसन सोलंकी के निधन के बाद उपचुनाव हुआ। कडी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है।
आप नेता और गुजरात इकाई के पूर्व अध्यक्ष इटालिया ने भाजपा के किरीट पटेल को 17,000 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया।
हालांकि कडी में भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र चावड़ा बड़े अंतर से जीते, लेकिन विसावदर में हार भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि 2012 के बाद से पार्टी इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। इस सीट पर कभी गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय केशुभाई पटेल का प्रतिनिधित्व था।
कांग्रेस के लिए यह एक बार फिर आत्ममंथन का समय है। पार्टी हमेशा अपनी हार पर विचार करने की बात तो करती है, लेकिन उसे सुधारने में कभी सफल नहीं रही है, जिससे उसे लगातार चुनावी असफलता मिल रही है।
भले ही भाजपा के लिए विसावदर में एक सीट हारना कोई बड़ा फर्क नहीं डाले, लेकिन तीन दशकों से सत्ता में रहने वाली पार्टी के लिए यह प्रतिष्ठा का प्रश्न जरूर है।
कडी में भाजपा के लिए उपयुक्त उम्मीदवार का चयन और वरिष्ठ नेताओं के प्रभावी प्रचार को जीत के मुख्य कारणों के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी ओर, विसावदर में किरीट पटेल के सर्वसम्मत उम्मीदवार न होने और भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं, जैसे जयेश राडाडिया और जवार चावड़ा की निष्क्रियता को हार की वजह माना जा रहा है।
विसावदर में भाजपा नेताओं ऋषिकेश पटेल, जगदीश पांचाल और गुजरात के पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के प्रचार ने खास असर नहीं डाला।
तेजतर्रार बयानों के लिए मशहूर इटालिया को शुरू से ही बढ़त मिल रही थी। आप ने उनका नाम काफी पहले घोषित कर दिया था, जिससे उन्हें प्रचार के लिए तीन महीने मिल गए। हालांकि वे स्थानीय नहीं थे, फिर भी आप के स्थानीय नेताओं, खासकर प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी और प्रवीण राम के सहयोग से उन्होंने अच्छा प्रचार किया। सोमवार को तो प्रवीण राम इटालिया को कंधे पर बैठाकर मतगणना केंद्र ले जाते नजर आए।
इटालिया शुरू से ही किसानों के मुद्दे और सौराष्ट्र क्षेत्र में इको जोन के मसले पर जनता से जुड़े रहे। दूसरी ओर, किरीट पटेल का विसावदर में पेरिस जैसी सड़कों का वादा भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। सहकारी क्षेत्र में अनुभव और संगठन में विभिन्न जिम्मेदारियां निभा चुके किरीट पटेल इस उपचुनाव में भाजपा को जीत नहीं दिला सके।
उपचुनाव में तीनों मुख्य दलों के वरिष्ठ नेताओं ने प्रचार में पूरा जोर लगाया था।
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