अहमदाबाद — अहमदाबाद के VS अस्पताल में 58 फार्मा कंपनियों द्वारा किए गए कथित अवैध क्लिनिकल ट्रायल का मामला सोमवार को नगर निगम की बैठक में गरमा गया। कांग्रेस की कॉर्पोरेटर रजश्री केसरी ने आरोप लगाया कि पिछले चार वर्षों में हुए इन ट्रायल्स के दौरान तीन मरीजों की मौत हो गई। उन्होंने यह बयान अहमदाबाद नगर निगम (AMC) की आम सभा बैठक में दिया।
केसरी, जो चांदखेड़ा वार्ड से कांग्रेस की पार्षद हैं, ने कहा, “पिछले चार सालों में VS अस्पताल में 500 मरीजों पर अवैध क्लिनिकल ट्रायल किए गए। इनमें से तीन मरीजों की मौत हो गई। एक मृतक की मां मुझसे संपर्क में आई है।”
इस गंभीर आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए स्थायी समिति के अध्यक्ष देवांग दानी ने कहा, “कॉर्पोरेटर को जांच समिति के सामने सबूत पेश करने चाहिए, जिससे जांच आगे बढ़ाई जा सके।”
हालांकि, केसरी ने जांच समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “VS अस्पताल की वर्तमान अधीक्षक डॉ. पारुल शाह, जो इस समिति की सदस्य हैं, स्वयं इस मामले में संदेह के घेरे में हैं। इसलिए उन्हें तुरंत समिति से हटाया जाना चाहिए।”
सोमवार को कांग्रेस पार्षदों ने AMC कार्यालय में प्रदर्शन किया। कुछ पार्षद डॉक्टरों की पोशाक में और हाथों में तख्तियां लेकर पहुंचे और जवाबदेही की मांग की।
विपक्ष के नेता शहज़ादखान पठान ने कहा, “अहमदाबाद का VS अस्पताल कभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चिकित्सा सेवाओं के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन बीजेपी के शासनकाल में हुए इन अवैध क्लिनिकल ट्रायल्स ने उसकी छवि को धूमिल कर दिया है। AMC अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं।”
उन्होंने सवाल उठाया कि चार साल में 500 मरीजों पर हुए 58 क्लिनिकल ट्रायल्स की जानकारी नगर आयुक्त, डीन और अधीक्षक को कैसे नहीं हुई? अब तक FIR क्यों नहीं दर्ज हुई?
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए देवांग दानी ने कहा, “AMC ने मामले की जांच शुरू कर दी है। उस समय के अधीक्षक डॉ. मनीष पटेल को दोषी ठहराया जा रहा है। कोई भी आरोपी बख्शा नहीं जाएगा और आर्थिक वसूली भी की जाएगी। जांच 15 दिनों में पूरी कर ली जाएगी।”
नगर आयुक्त बंछा निधि पाणी ने कहा, “उस समय के अधीक्षक ने बिना किसी आधिकारिक अनुमति के एक अवैध एथिकल कमेटी गठित की थी और ट्रायल्स किए गए। यह एक चिकित्सीय मामला है, इसलिए विशेषज्ञों को भी जांच समिति में शामिल किया गया है। हम कुछ भी छुपाना नहीं चाहते और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
उप नगर आयुक्त भरत परमार ने बताया, “प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मिलते ही डॉ. देवांग राणा को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया, जबकि आठ डॉक्टरों के अनुबंध समाप्त कर दिए गए हैं। विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद उस समय के अधीक्षक पर भी कार्रवाई की जाएगी।”
आम सभा की बैठक में विपक्ष ने फार्मा कंपनियों और ट्रायल में शामिल मरीजों के नाम उजागर करने की मांग की, लेकिन महापौर प्रतिभा जैन ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि शून्यकाल में ऐसी जानकारी नहीं मांगी जा सकती।