नई दिल्ली: एयर इंडिया ने अनुमान लगाया है कि अगर पाकिस्तान भारतीय एयरलाइनों के लिए अपना हवाई क्षेत्र एक साल तक बंद रखता है, तो उसे लगभग 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 5,081 करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि एयर इंडिया ने सरकार से इस स्थिति से निपटने के लिए वित्तीय सहायता देने का सुझाव भी दिया है।
पाकिस्तान ने 24 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के कड़े कूटनीतिक रुख के जवाब में भारतीय एयरलाइनों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया था। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी।
एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट और अन्य एयरलाइनों ने इस फैसले के परिचालन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय को अपने सुझाव और आकलन सौंपे हैं। मंत्रालय ने हाल ही में एयरलाइनों के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की और संभावित समाधान तलाशने की प्रक्रिया में है।
सूत्रों के मुताबिक, एयर इंडिया का अनुमान है कि अगर यह स्थिति एक साल तक बनी रही, तो उसकी परिचालन लागत में भारी इज़ाफा होगा। एयरलाइन वैकल्पिक रूट्स के जरिए लागत घटाने के विकल्पों पर विचार कर रही है।
एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, इंडिगो, स्पाइसजेट और आकासा एयर जैसी कंपनियां अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित करती हैं, जो इस प्रतिबंध से विशेष रूप से प्रभावित हो रही हैं।
अब तक किसी भी एयरलाइन की ओर से आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
भारत ने भी जवाबी कदम उठाते हुए 1 मई से 23 मई तक सभी पाकिस्तानी विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है।
नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने 28 अप्रैल को कहा कि मंत्रालय इस स्थिति का मूल्यांकन कर रहा है और एयरलाइनों के साथ मिलकर वैकल्पिक समाधान खोज रहा है।
मंत्रालय यह भी देख रहा है कि इस एयरस्पेस बंदी का असर यात्रियों पर कैसे पड़ेगा — विशेष रूप से टिकटों के दाम बढ़ने की संभावना को लेकर, क्योंकि उड़ानों की दूरी और ईंधन की खपत में वृद्धि हो रही है।
प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक, उत्तर भारत के शहरों से संचालित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर हर हफ्ते लगभग 77 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आ सकता है। पीटीआई द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, बढ़े हुए उड़ान समय और लागत के आधार पर भारतीय एयरलाइनों पर मासिक परिचालन खर्च 306 करोड़ रुपए से अधिक हो सकता है।
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