नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी। अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह की याचिकाएं सुरक्षा बलों का मनोबल गिरा सकती हैं और ऐसे संवेदनशील मामलों में अधिक जिम्मेदारी की आवश्यकता होती है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “ऐसी PIL दायर करने से पहले जिम्मेदारी दिखाएं। देश के प्रति भी आपकी एक जिम्मेदारी है। यह देश के लिए एक कठिन समय है, जब हर भारतीय आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है। सुरक्षा बलों का मनोबल न तोड़ें। इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझें।”
याचिका में पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित करने की मांग की गई थी, जिसमें पाकिस्तान-आधारित आतंकियों द्वारा किए गए हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था का काम विवादों का निपटारा करना है, न कि जांच करना।
कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “हम कब से जांच के विशेषज्ञ हो गए हैं? आप एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से जांच करवाना चाहते हैं। न्यायाधीशों का काम फैसला सुनाना होता है, जांच करना नहीं। हमें ऐसा आदेश पारित करने को न कहें।”
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने हमले के बाद देश के अन्य हिस्सों में पढ़ रहे कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की भी मांग की, जिस पर अदालत ने दोबारा नाराज़गी जताई।
कोर्ट ने कहा, “क्या आप अपनी याचिका की प्रार्थनाओं को लेकर गंभीर हैं? पहले आप जांच की मांग करते हैं, फिर मुआवज़े, दिशा-निर्देश, प्रेस काउंसिल को निर्देश, और अब छात्रों की सुरक्षा की बात कर रहे हैं। आप हमें रात में ये सब पढ़ने पर मजबूर करते हैं और फिर इस तरह की बातें लेकर आते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने अंततः याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी और याचिकाकर्ता को सलाह दी कि छात्रों से संबंधित मुद्दों को संबंधित उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया जा सकता है।
गौरतलब है कि यह हमला हाल के वर्षों में कश्मीर घाटी में हुआ सबसे घातक आतंकी हमला माना जा रहा है, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है। इस हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है। जांच में पता चला है कि हमला लश्कर-ए-तैयबा के दो पाकिस्तानी आतंकियों और एक स्थानीय आतंकी द्वारा अंजाम दिया गया।
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