D_GetFile

अजय माकन ने लगाया मोदी सरकार पर अडानी समूह को लाभ पहुंचाने और बचाने का आरोप

| Updated: February 17, 2023 8:33 pm

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन National General Secretary of Congress and former Union Minister Ajay Makenने शुक्रवार को अहमदाबाद में मोदी सरकार पर अडानी समूह को लाभ पहुंचाने और बचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि 1992 में हर्षद मेहता मामले में कांग्रेस सरकार और 2001 में केतन मेहता मामले में अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने जेपीसी का गठन किया तो अडानी के शेयर में साढ़े दस लाख करोड़ की गिरावट के बाद भी वर्तमान सरकार जेपीसी ( संयुक्त संसदीय दल ) का गठन करने से क्यों डर रही है।

विदित हो की जेपीसी की मांग ख़ारिज होने के बाद शुक्रवार को “हम अडानी के हैं कौन’ श्रृंखला में देश के 23 प्रमुख शहरों में कांग्रेस नेतानों ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि राहुल गाँधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के क्रमशः लोक सभा और राज्य सभा में दिए गए भाषणों से अडानी से जुड़े अंशों को सदन के रिकार्ड से हटा दिया गया है। लेकिन भारत के लोग सब देख रहे हैं कि संसद में क्या हो रहा है। प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं।

अडानी समूह के खिलाफ स्टॉक में हेरफेर के आरोपों के सार्वजनिक होने के बाद शेयरों की कीमतों में गिरावट से उन लाखों निवेशकों को नुकसान पहुंचा उन्होंने कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई कीमतों पर अडानी समूह के शेयरों में निवेश किया था। 24 जनवरी और 15 फरवरी 2023 के बीच अडानी समूह के शेयरों के
मूल्य में ₹10,50,000 करोड़ रु. की गिरावट आई।

माकन के मुताबिक 19 जुलाई, 2021 को वित्त मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जांच के दायरे में हैं । फिर भी अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल आने दिया गया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि एलआईसी द्वारा खरीदे गए अडानी समूह के शेयरों का मूल्य 30 दिसंबर, 2022 को 83,000 करोड़ रुपए था जो 15 फरवरी, 2023 को घटकर 39,000 करोड़ रुपए रह गया, यानि 30 करोड़ एलआईसी पॉलिसी -धारकों की बचत के मूल्य में 44,000 करोड़ रुपए की कमी आयी ।हर पॉलिसी होल्डर को 1500 का नुकसान हुआ।

शेयरों के मूल्यों में कमी और समूह द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद भी मोदी सरकार ने एलआईसी को अडानी एंटरप्राइज़ेज़ के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) में अतिरिक्त 300 करोड़ रुपए निवेश करने के लिए मजबूर किया।

आरोपों की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि 2001 के केतन पारेख घोटाले में सेबी ने पता लगाया था कि शेयर बाज़ार में हेरफेर करने में अडानी समूह के प्रमोटरों ने साथ दिया था। समूह पर मौजूदा आरोपों से यह चिंताजनक रूप से समान है।

अडानी और मोदी सरकार पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए माकन ने कहा कि 14 जून, 2022 को अडानी समूह ने घोषणा की कि वह फ्रांस की ‘टोटल एनर्जीज़’ के साथ साझेदारी के अंतर्गत ग्रीन हाइड्रोजन में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। 4 जनवरी, 2023 को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19,744 करोड़ रु. की लागत के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। ‘

‘टोटल एनर्जीज़’ ने इस उद्यम में अपनी भागीदारी को रोक दिया है, लेकिन क्या अडानी की कोई ऐसी व्यावसायिक घोषणा है, जिसके बाद करदाता के पैसों से सब्सिडी प्रदान नहीं की गई ?

अडानी समूह बहुत ही कम समय में भारत के हवाई अड्डों का सबसे बड़ा संचालक बन गया है। उसने 2019 में छह में से छह हवाई अड्डों के संचालन की अनुमति सरकार से प्राप्त कर ली और 2021 में यह समूह संदेहास्पद परिस्थितियों में भारत के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डा, मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, पर काबिज हो गया।

अडानी समूह पर एकाधिकार का आरोप लगाते हुए कांग्रेस महासचिव ने कहा कि आज अडानी समूह 13 बंदरगाहों और टर्मिनल्स को नियंत्रित करता है, जो भारत की बंदरगाह क्षमता का 30 प्रतिशत और कुल कंटेनर आवाजाही का 40 प्रतिशत है। इसी तरह रक्षा , ऊर्जा और दूसरे क्षेत्रों में उक्त समूह को मदद पहुँचायी गयी।

मनोनीत पार्षद वोट नहीं करेंगे, सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा को दिया झटका

Your email address will not be published. Required fields are marked *