उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग (यूपीएचईएससी) के अनुसार, मशहूर भारतीय शायर अकबर इलाहाबादी अब अकबर प्रयागराजी हो गए हैं। यूपीएचईएससी राज्य सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय है। गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2018 में इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था।
प्रयागराज स्थित यूपीएचईएससी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर उर्दू शायर सैयद अकबर हुसैन, जिन्हें अकबर इलाहाबादी के नाम से जाना जाता है, का नाम बदल कर अकबर प्रयागराजी कर दिया है। सोशल मीडिया पर इसकी जमकर खिल्ली उड़ रही है।
नाम परिवर्तन “जानिए इलाहाबाद को” वाले खंड में किया गया है। शहर के कवियों और लेखकों का जिक्र करते हुए वेबसाइट कहती है, “हिंदी साहित्य के अलावा, फारसी और उर्दू साहित्य का भी शहर में अध्ययन किया जाता है। अकबर प्रयागराजी एक प्रसिद्ध आधुनिक उर्दू कवि हैं…”
बता दें कि अकबर इलाहाबादी अकेले शख्स नहीं हैं, जिन्होंने अपना उपनाम रखा या जिस नाम से वे लोकप्रिय हैं, उसे बदल दिया गया है। ऐसे सभी लेखकों या कवियों के नाम के प्रत्यय के रूप में “इलाहाबादी” का इस्तेमाल यूपीएचईएससी की वेबसाइट पर “प्रयागराज” कर दिया है। इनमें राशिद इलाहाबादी और तेग इलाहाबादी भी शामिल हैं, जिनका नाम शहर के उर्दू कवियों की सूची में अकबर इलाहाबादी के नाम पर रखा गया है- वे अब “तेग प्रयागराजी ” और “राशिद प्रयागराजी ” के रूप में सूचीबद्ध हैं।
संपर्क करने पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि उन्हें बदलावों की जानकारी नहीं है और यूपीएचईएससी एक स्वायत्त निकाय है। उन्होंने कहा, “मुझे नाम परिवर्तन के बारे में यूपीएचईएससी के अधिकारियों से जांच करनी होगी, वह एक स्वायत्त निकाय है।”
“इतिहास फिर से लिखने की कोशिश”
नाम बदलने से मंगलवार को सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया। लोगों ने यूपी सरकार की जमकर आलोचना की। एक यूजर ने इसे ‘मूर्खता की पराकाष्ठा’ करार दिया। दूसरे ने कहा कि यह ‘इतिहास को फिर से लिखने’ का प्रयास है।
मुझे एक ही समय में हंसने और रोने का मन करता है। मूर्खता की पराकाष्ठा है।उससे भी कहीं अधिक गुत्साखी है। वे इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं।पूछा ‘अकबर’ है आदमी कैसा
हँस के बोले वो आदमी ही नहीं
इतिहासकारों ने भी इस कदम के लिए यूपी सरकार की आलोचना की है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेरम्ब चतुर्वेदी ने कहा कि यह “खलल और क्षुद्रता दिखाता है …।” उन्होंने कहा: “मूर्खों को माफ कर देना चाहिए।” प्रोफेसर ने यह भी कहा कि प्रसिद्ध कवियों के नाम बदलने से पता चलता है कि “अधिकारियों को इतिहास की मामूली समझ है।”
इस बीच, भाजपा नेता रीता बहुगुणा जोशी, जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर भी हैं, ने यह सुझाव देकर इसे विवाद को कम करने की कोशिश की कि “यह एक मानवीय चूक हो सकती है, क्योंकि कोई भी किसी व्यक्ति का इस तरह उपनाम नहीं बदल सकता है।”
कौन थे अकबर इलाहाबादी
अकबर इलाहाबादी उन तीन शायरों में सबसे लोकप्रिय हैं जिनके नाम बदल दिए गए हैं। उनका आधुनिक कवियों और गीतकारों में अनुसरण अभी भी जारी है। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में ग़ज़ल “हंगामा है क्यों बरपा” है, जिसे देश भर में विरोध नारों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
उनकी शायरी के छंदों का नुसरत फतेह अली खान द्वारा प्रसिद्ध कव्वाली “तुम इक गोरखधंधा हो” में भी इस्तेमाल किया गया है।
उन्होंने कई शेर और गजलें लिखी हैं, जो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शांति और सद्भाव की बात करती हैं। ये समकालीन उर्दू, हिंदी कवियों और गीतकारों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। समीक्षकों द्वारा प्रशंसित हिंदी फिल्म मसान के गीतों में अकबर इलाहाबादी द्वारा लिखित कविता भी शामिल है।
अन्य दो शायरों में से राशिद इलाहाबादी अपने कविता संग्रह “मुट्ठी में आफताब” के लिए यूपी उर्दू अकादमी पुरस्कार के विजेता भी रहे हैं।