72% मामलों में धमनियों के सिकुड़ने से फेल होता है हार्ट

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72% मामलों में धमनियों के सिकुड़ने से फेल होता है हार्ट

| Updated: October 15, 2022 19:08

नई दिल्ली: दिल के 10,000 मरीजों पर आधारित एक अध्ययन में पाया गया कि इस्केमिक (ischaemic) हृदय रोग या संकुचित धमनियों के कारण होने वाली समस्याएं भारत में हृदय गति रुकने का सबसे आम कारण हैं। यह 72% मामलों के लिए जिम्मेदार है। इसके बाद डाइलेटेड (dilated)  कार्डियोमायोपैथी (18%) का नंबर आता है। यह ऐसी बीमारी है, जो हृदय कक्षों (ventricles) को पतला और खिंचाव का कारण बनती है। रुमेटिक वाल्वुलर (Rheumatic valvular) नामक हृदय रोग एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रुमेटिक बुखार से हृदय के वाल्व स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यह 5.9% रोगियों में हार्ट फेल होने के लिए जिम्मेदार है।

आरएचडी के अलावा अन्य वाल्व रोग 2.1% मामलों के लिए जिम्मेदार होते हैं। हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज सबसे लगातार चलने वाली वजहें हैं (क्रमशः 48. 9% और 42. 3%)। स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट या जीडीएमटी में एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम अवरोधक (converting enzyme inhibitors, ACEI)/एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (ARB)/एंजियोटेंसिन रिसेप्टर-नेप्रिल्सिन इनहिबिटर (ARNI), बीटा-ब्लॉकर्स और एल्डोस्टेरोन ब्लॉकर्स मिला-जुला रहता है।

जीबी पंत अस्पताल (G B Pant hospital) में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ मोहित गुप्ता ने कहा कि यह अध्ययन हमारे लिए खतरे की घंटी है। गैर-मान्यता प्राप्त (Unrecognised),  अधूरा इलाज (underdiagnosed), अनुचित (improperly) इलाज और अक्सर औकात से बाहर (poor affordability) और उपलब्धता (availability) भारत में दिल की विफलता (heart failure) के प्रबंधन में बाधा बनी हुई है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में व्यवस्थित सुधार (systematic improvements) की आवश्यकता है, विशेष रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य (primary healthcare) में।

अध्ययन में शिक्षा और 90 दिन में मृत्यु दर (mortality) में संबंध को आधार बनाया गया था। इसमें देखा गया कि सबसे कम शिक्षित लोगों की मृत्यु दर सबसे अधिक थी। एनएचएफआर रजिस्ट्री-आधारित विश्लेषण (NHFR registry-based analysis) के अनुसार बेसलाइन बीएमआई, इजेक्शनफ्रेक्शन (EF), सीओपीडी की उपस्थिति, हीमोग्लोबिन और सांस लेने की क्षमता  90-दिवसीय मृत्यु दर (90-day mortality) से जुड़े थे।

एनएचएफआर की देखभाल करने वाला इंडियन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (ICC) के अनुसार, अस्पताल में भर्ती होने के लिए दिल की विफलता (heart failure) सबसे आम हृदय संबंधी कारण (cardiac cau) है। इसमें सालाना 1% आबादी प्रभावित होती है, जो कि 8 से 10 मिलियन रोगियों को जोड़ती है। आईसीसी के मुताबिक, “जब केवल 65-79 आयु वर्ग पर विचार किया जाता है, तो सामान्य आबादी में 1% औसत अलग दिखता है, जहां दिल की विफलता से संबंधित अस्पताल में 5-10% भर्ती होते हैं। इसी तरह 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों में अस्पताल में भर्ती होने की दर 10- 20% अधिक होती है। ”

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