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भारत की पहली डिजिटल जनगणना 2026 से शुरू होगी, महिला आरक्षण और नए परिसीमन को मिलेगा रास्ता

| Updated: June 16, 2025 15:20

भारत की जनगणना 2026 में डिजिटल रूप से दो चरणों में होगी, जिसमें पहली बार जातिगत आंकड़े जुटाए जाएंगे और महिला आरक्षण एवं परिसीमन जैसे बड़े राजनीतिक बदलावों का रास्ता खुलेगा।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि भारत की बहुप्रतीक्षित जनगणना — जो 2011 के बाद पहली बार हो रही है — दो चरणों में आयोजित की जाएगी। पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 को और दूसरा चरण 1 मार्च 2027 को शुरू होगा।

इस बार की जनगणना ऐतिहासिक होगी क्योंकि यह भारत की पहली डिजिटल जनगणना होगी। नागरिक घर बैठे ऑनलाइन माध्यम से अपने विवरण दर्ज कर सकेंगे।

दो चरणों में होगी जनगणना

पहला चरण, जिसे हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (HLO) कहा जाता है, में परिवार की संपत्ति, आय, आवासीय स्थिति और सुविधाओं से जुड़ी जानकारी एकत्र की जाएगी।

दूसरे चरण, जिसे जनसंख्या गणना (Population Enumeration – PE) कहा जाता है, में प्रत्येक व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक जानकारी जुटाई जाएगी। पहली बार जातिगत गणना को भी जनगणना में शामिल किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अप्रैल में इसकी पुष्टि की थी।

महिला आरक्षण और परिसीमन की राह साफ

जनगणना की इस घोषणा के साथ ही महिला आरक्षण बिल और लंबे समय से रुकी हुई परिसीमन प्रक्रिया को अमल में लाने का रास्ता साफ हो गया है।

महिला आरक्षण विधेयक, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करता है, को लागू करने के लिए पहले जनगणना और फिर परिसीमन की आवश्यकता होती है।

परिसीमन यानी आबादी के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं तय करने की प्रक्रिया, 1971 के बाद से विभिन्न संवैधानिक संशोधनों के जरिए स्थगित रही है। 42वां संविधान संशोधन (1976) इसे वर्ष 2000 तक रोकता था।

बाद में, 84वां संविधान संशोधन (2001) ने 2001 की जनगणना के आधार पर राज्यों के भीतर सीमाओं के पुनर्गठन की अनुमति दी, लेकिन लोकसभा या राज्य विधानसभा की सीटों की संख्या नहीं बदली गई। इस संशोधन ने परिसीमन पर रोक को 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना तक के लिए बढ़ा दिया था।

अब जब 2026 में जनगणना की पुष्टि हो गई है, तो इससे भारत के राजनीतिक और चुनावी नक्शे में बड़े बदलाव की नींव रखी जा सकती है।

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