शिकागो: अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे एक 44 वर्षीय भारतीय नागरिक, नीरव पटेल को बुजुर्गों से करीब 3.3 करोड़ रुपये (400,000 डॉलर) की ठगी के मामले में 12 साल की संघीय जेल की सजा सुनाई गई है।
फरवरी 2025 में एक फेडरल ज्यूरी ने पटेल को वायर और मेल फ्रॉड की साजिश (1 आरोप), वायर फ्रॉड (3 आरोप) और 1798 के ‘एलियन एनमीज़ एक्ट’ के तहत अवैध प्रवेश (1 आरोप) का दोषी ठहराया।
अमेरिका के दक्षिणी इलिनॉय जिले के अटॉर्नी स्टीवन डी. वाइनहॉफ्ट के अनुसार, “पटेल ने स्वीकार किया कि वह इलिनॉय इसलिए आया क्योंकि उसे यहां ड्राइविंग लाइसेंस मिल सकता था। इसके बाद उसने उसी लाइसेंस का इस्तेमाल करते हुए पूरे मिडवेस्ट अमेरिका में बुजुर्गों से ठगी की। हम ऐसे अपराधियों को देश से हटाने के लिए हर संभव प्रयास करते रहेंगे।”
ऐसे दिया गया ठगी को अंजाम: फर्जी अमेज़न अलर्ट और नकली सरकारी खाते
यह ठगी दिसंबर 2024 में सामने आई, जिसमें जालसाज सरकारी अधिकारी बनकर बुजुर्गों को निशाना बना रहे थे। उन्होंने फर्जी ईमेल और टेक्स्ट मैसेज भेजकर बुजुर्गों को चेतावनी दी कि उनके अमेज़न अकाउंट हैक हो गए हैं।
जब पीड़ितों ने इन संदेशों पर प्रतिक्रिया दी, तो उन्हें फेडरल एजेंटों के रूप में खुद को पेश कर रहे जालसाजों के पास भेजा गया। जालसाजों ने बुजुर्गों को यह यकीन दिलाया कि उनकी पहचान की चोरी हो चुकी है, और अपनी पूंजी ‘सरकारी सुरक्षा खातों’ में सुरक्षित रखने की जरूरत है।
हकीकत में ये खाते जालसाजों द्वारा भारत में नियंत्रित किए जा रहे थे, जहां सारा पैसा ट्रांसफर कर लिया गया। जालसाज पीड़ितों को लगातार कॉल करके संपर्क में रखते थे—कई बार दिन में 12 घंटे तक कॉल होती थी। साथ ही उन्हें कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी जाती थी ताकि वे किसी को भी जानकारी न दें।
पीड़ितों से सीधे पैसे और सोना लेने पहुंचता था पटेल
पटेल पर आरोप था कि वह स्वयं पीड़ितों के घर जाकर नकदी और कीमती वस्तुएं इकट्ठा करता था। सुनवाई के दौरान सामने आया कि एक मामले में पटेल ने एक असिस्टेड लिविंग फैसिलिटी में रह रही बुजुर्ग महिला से 77,000 डॉलर (लगभग 64 लाख रुपये) के सोने के बिस्किट लिए—जबकि महिला वॉकर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर थी।
पटेल कनाडा के वैंकूवर के पास से अवैध रूप से अमेरिका में घुसा, और बाद में जॉर्जिया में सक्रिय ठग गिरोह से जुड़ गया। वह शिकागो में रहता था, जहां उसने एक इलिनॉय ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किया। इसके बाद वह इलिनॉय, विस्कॉन्सिन और इंडियाना में बुजुर्गों से नकदी और संपत्ति इकट्ठा करने के लिए सैकड़ों मील तक सफर करता रहा।
पटेल ने अदालत में खुद को मासूम बताते हुए कहा कि उसे पूरे मामले की जानकारी नहीं थी। लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि “अगर पटेल को कुछ पता नहीं होता, तो जालसाज उसे लाखों डॉलर नहीं सौंपते।”
कई एजेंसियों ने मिलकर की जांच
इस मामले की जांच होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशन, एडवर्ड्सविल पुलिस, मेरिल (विस्कॉन्सिन) पुलिस, लिंकन काउंटी शेरिफ ऑफिस और फ्रैंकलिन (इंडियाना) पुलिस ने मिलकर की।