पंजाब में मुख्यमंत्री पद के लिए कई नेताओं के नामों पर लगाए जा रहे तमाम कायसों के बाद पंजाब के लोगों को रविवार को अपना पहला दलित मुख्यमंत्री मिला गया। और राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर मुहर लग गई। पंजाब में पहली बार किसी दलित नेता को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया है।
आंकड़ों के हिसाब से पंजाब में सबसे ज़्यादा 32% दलित वोट हैं। और 34 विधानसभा सीटों पर विधायकों के भाग्य का फैसला भी यही करते हैं। सूत्रों की मानें तो, सुखजिंदर सिंह रंधावा के नाम पर लगभग सहमती बन गयी थी। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अम्बिका सोनी ने भी बोल दिया था किजट सिख को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने सुखविंदर सिंह रंधावा के मुख्यमंत्री बनने पर एतराज जताया और मामले को लेकर कांग्रेस आलाकमान से मिले।
माना जा रहा है कि, अगर कोई भी जट सिख पंजाब का मुख्यमंत्री बन जाता तो नवजोत सिंह सिद्धू की भविष्य की राजनीति को झटका लग सकता था। जब जट सिख के मुख्यमंत्री बनने की खबरें आ रही थीं तो नवजोत सिंह सिद्धू काफी परेशान दिखे, लेकिन जब पंजाब के मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हुई तो लगा कि नवजोत सिंह सिद्धू अपनी ओर आ रहे राजनीतिक संकट को टालने में सफल हो गए हैं।
लोगों के बीच पहले, हिन्दू चेहरे और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ को मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चाएं थी। जिसपर राहुल गांधी से लेकर नवजोत सिंह सिद्धू तक सहमत थे, लेकिन पंजाब के माझा इलाक़े के आने वाले सिख नेताओं ने दिल्ली में प्रियंका गांधी से बात की, कि पंजाब में जट सिख को अगर मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो कांग्रेस 2022 का चुनाव हार जाएंगे। इन बातों को गंभीरता से लेते हुए कांग्रेस आलाकमान घबरा गया और एक बार फिर मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरे पर विचार विमर्श शुरू हो गया।
मामले पर अंतिम निर्णय के लिए अम्बिका सोनी, के. सी. वेणुगोपाल ने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात की, और आख़िर में राहुल गांधी ने तमाम चर्चाओं पर विराम लगाते हुए दलित को मुख्यमंत्री बनाकर राजनीतिक चाल चली। इससे पहले कांग्रेस ने पार्टी के महासचिव अजय माकन और हरीश चौधरी को पर्यवेक्षक बनाकर चण्डीगढ़ भेजा था।
कांग्रेस आलाकमान को डर था कि कहीं कैप्टन अमरिन्द्र सिंह बग़ावत ना कर दे। कैप्टन को हटाने से तीन दिन पहले ही दिल्ली आलाकमान ने विधायकों से बात करनी शुरू कर दी थी। शाम को लगभग 5 बजे विधायक दल की बैठक होनी थी और दिल्ली आलाकमान की रणनीति के मुताबिक़ कम से कम 45 विधायकों को कहा गया कि आप लोग प्रस्ताव पारित कर दीजिए कि हम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर फ़ैसला छोड़ते है, जिसे भी मुख्यमंत्री बनाया जाएगा हमें मंज़ूर होगा।
पंजाब को दलित मुख्यमंत्री देकर कांग्रेस ने अपने लिए मास्टर स्ट्रोक चला ही साथ ही आम आदमी पार्टी को भी विधानसभा चुनाव से पहले झटका दे दिया। पंजाब के मालवा इलाक़े में आप पार्टी को बहुत फ़ायदा हुआ था और एक बड़ा दलित वोट जो आम आदमी पार्टी के साथ थ उसे भी राहुल गांधी ने इस फ़ैसले के ज़रिए साधने का प्रयास है।
एक दलित जमीनी नेता को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाकर यह संदेश दिया गया है कि कांग्रेस आलाकमान कमजोर नहीं है। नवजोत सिंह सिद्धू और पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के ज़रिए, गांधी परिवार ने पार्टी के बाकि नेताओं के लिए यह सीख दिया है कि कांग्रेस आलाकमान और पार्टी के हिसाब से ही काम करना होगा। देखा जाए तो इन फ़ैसलों का प्रभाव जयपुर में भी पड़ेगा जहां, कैबिनेट विस्तार काफ़ी लम्बे समय से अटका हुआ है।