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सीजेआई  डीवाई चंद्रचूड़ ने पॉक्सो एक्ट में ‘सहमति की उम्र’ पर फिर से विचार करने को कहा

| Updated: December 11, 2022 1:33 pm

मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने देश में बाल यौन शोषण (child sexual abuse) पर चुप्पी साधने की आदत पर चिंता जताई है। कहा कि सरकार को परिवारों को उन मामलों में भी दुर्व्यवहार (abuse) की रिपोर्ट करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए, जिनमें अपराधी परिवार का सदस्य होता है। वह शनिवार को पॉक्सो कानून (Pocso Act) 2012 पर दो दिन के राष्ट्रीय कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। सीजेआई ने विधायिका (legislature) से कानून के तहत ‘सहमति की आयु’ (age of consent) के आसपास बढ़ती चिंता पर भी विचार करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि जिस तरह से आपराधिक न्याय प्रणाली काम करती है, वह कभी-कभी पीड़ितों के जख्म को बढ़ा देती है। उन्होंने कहा, “इसलिए ऐसा होने से रोकने के लिए कार्यपालिका (executive) को न्यायपालिका (judiciary) से हाथ मिलाना चाहिए।”

कार्यक्रम में महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी भी थीं। उन्होंने जांच में तेजी लाने और बचे लोगों को मुआवजा देने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। अपनी बात को साबित करने के लिए  उन्होंने यह कहने के लिए डेटा भी दिया कि पॉक्सो मामले को निपटाने में औसत समय 509 दिन लगता है। मंत्री ने जजों से सुझाव मांगे कि बच्चों के मामलों के समाधान में तेजी लाने के लिए ढांचागत (infrastructurally) रूप से क्या किया जा सकता है।

आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “हर सजा के लिए तीन बरी होते हैं और सभी पॉक्सो मामलों में से 56% रेप जैसे अपराधों के बराबर होते हैं। 25.59% मामलों में तो रेप ही हुआ होता है। जिसका अर्थ है कि आज हमारे पास एक सिस्टम है, जिसमें अभी भी मजबूत करने की जरूरत है।”

सीजेआई ने कहा कि बाल यौन शोषण की रोकथाम और इसकी समय पर पहचान और इसके रोकथाम से जुड़े कानून बारे में जागरूकता पैदा करना जरूरी  है। बच्चों को सुरक्षित स्पर्श (गुड टच) और असुरक्षित स्पर्श (बैड टच) में फर्क सिखाना चाहिए। वहीं बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने माता-पिता से सुरक्षित और असुरक्षित शब्द का उपयोग करने का आग्रह किया है, क्योंकि अच्छे और बुरे शब्द का नैतिक प्रभाव होता है और वे दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने से रोक सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि पॉक्सो कानून में 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के बीच सभी तरह यौन कृत्यों को आपराधिक बनाया गया है। भले ही नाबालिगों के बीच इसकी सहमति हो, क्योंकि कानून की धारणा यह है कि 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के बीच कोई सहमति मान्य नहीं हो सकती है।

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