भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर अदालत की कार्यवाही के दौरान कथित तौर पर जूता उछालने की घटना के कुछ हफ्तों बाद, गुजरात के एक मानवाधिकार समूह ने एक अनूठे अभियान की घोषणा की है। इस अभियान के तहत, “आरक्षण से लाभान्वित” लोगों द्वारा स्कूली छात्रों को जूते वितरित किए जाएँगे।
जस्टिस गवई दलित समुदाय से आने वाले दूसरे व्यक्ति हैं जो CJI के पद तक पहुँचे हैं। पिछले महीने, राकेश किशोर नामक एक वकील ने कथित तौर पर अदालत की कार्यवाही के दौरान उन पर जूता उछाला था।
इसी घटना के विरोध स्वरूप, गुजरात स्थित मानवाधिकार समूह ‘नवसर्जन’ ने अपनी सहयोगी संस्थाओं ‘दलित शक्ति केंद्र’ और ‘दलित फाउंडेशन’ के साथ मिलकर यह अभियान शुरू करने की योजना बनाई है। यह अभियान 26 नवंबर को संविधान दिवस के दिन शुरू होगा और 6 दिसंबर को डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि तक चलेगा।
5,000 जूते दान करने का लक्ष्य
इस अभियान का उद्देश्य गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में जरूरतमंद स्कूली छात्रों को लगभग 5,000 जोड़ी जूते दान करना है।
इस अभियान के लिए विशेष नारे भी गढ़े गए हैं, जिन्हें जूतों के बक्सों पर छापा जाएगा। इन नारों में ‘संविधान को सुनहरा सलाम’, ‘धिक्कार का एक ही जवाब, अधिकार’ और ‘मेरा आरक्षण = समाज का संरक्षण’ शामिल हैं।
‘आरक्षण लाभार्थियों’ को सामाजिक दायित्व की याद
‘नवसर्जन’ के संस्थापक मार्टिन मैकवान ने इस अभियान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि वे दान के लिए उन लोगों तक पहुंच रहे हैं, जिन्हें “आरक्षण से लाभ मिला है” और उन्हें यह बता रहे हैं कि यह उनका “सामाजिक दायित्व” है।
मैकवान ने कहा, “हमारा मानना है कि आरक्षण से लाभान्वित होने वालों में से कई लोग समुदाय से कट गए हैं। और यही कारण है कि समुदाय का संगठन कमजोर हो रहा है। मजबूत होने के बजाय, समुदाय की ताकत कम हो रही है।”
उन्होंने जस्टिस गवई की घटना का जिक्र करते हुए कहा, “इतनी बड़ी घटना हुई, लेकिन इस पर कोई खास असर नहीं दिखा। इसलिए, हमने सोचा कि इस घटना के जवाब में सबसे अच्छा कार्यक्रम यही होगा कि आरक्षण का लाभ पाने वालों से कहा जाए कि वे अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को जूते दें।”
मैकवान ने यह भी स्पष्ट किया कि अभियान के केंद्र में ‘जूते’ को इसलिए रखा गया है क्योंकि पूरा विवाद जूते को लेकर ही शुरू हुआ था।
कैसे काम करेगा अभियान?
इस अभियान के तहत, स्वयंसेवक चुनिंदा गांवों में जाकर आरक्षण का लाभ पाने वालों से एक जोड़ी जूते के लिए कम से कम 200 रुपये दान करने का आग्रह करेंगे। यह दान राशि ‘नवसर्जन’ द्वारा एकत्र की जाएगी, जिसने थोक आपूर्तिकर्ताओं से रियायती दरों पर जूतों की आपूर्ति के लिए संपर्क किया है।
मैकवान ने बताया कि फिलहाल दान किए जाने वाले जूतों के आकार (sizing) की प्रक्रिया जारी है। ये जूते कक्षा 5 से 10 तक के छात्रों को दिए जाएँगे, और इसमें 50% हिस्सेदारी छात्राओं की सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने अंत में कहा, “शुरुआत में, हमने 1,000 जोड़ी जूतों का लक्ष्य रखा था। हालांकि, हमें बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। अब तक, हमें 2,000 से अधिक जोड़ी जूतों के दान की पुष्टि हो चुकी है। इसलिए, अब हमने लक्ष्य को संशोधित कर 5,000 जोड़ी कर दिया है।”
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