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चार पीढ़ियों से चल रही है 300 रुपये जुर्माने की लड़ाई

| Updated: January 31, 2023 7:10 pm

साबरकांठा गांव के दो परिवारों की चौथी पीढ़ी 300 रुपये के जुर्माने के लिए लड़ रही है। यह जुर्माना छह दशक से अधिक समय पहले लगा था।

यह विवाद 1960 के दशक का है। तब पोशिना तालुका के टेम्बा गांव के डूंगरी भील हरखा राठौड़ की  साथी आदिवासी जेठा राठौड़ के साथ लड़ाई हो गई थी। सामुदायिक अदालत (community court) ने फैसला सुनाया कि हरखा को जेठा के परिवार को 300 रुपये का भुगतान करना होगा।

पैसे नहीं मिलने का दावा करते हुए जेठा के परिवार के सदस्यों ने हरखा के परिवार के सदस्यों पर हमला कर दिया। दूसरे पक्ष ने मारपीट की। यह चलता रहा। साथ ही अदालतें उन्हें दंडित करती रहीं और वे एक-दूसरे के कर्ज में डूबे रहे।

पिछले साल दीपावली के दौरान डूंगरी भील (पहाड़ों में रहने वाली जनजाति) के एक ‘पंच’ ने खुलासा किया कि हरखा के परिवार पर जुर्माना बढ़कर 25,000 रुपये का हो चुका है। जनवरी के पहले हफ्ते में जेठा के दो बेटों ने हरखा के पोते विनोद, उनकी पत्नी चंपा और उनके बेटे कांटी पर हमला कर दिया।

हिंसा की आखिरी घटना के लगभग दो महीने बाद हरखा और जेठा के परिवारों के बीच विवाद जनवरी में पुलिस में पहुंचा। इसलिए कि अब तक यह एक मेडिको-लीगल मामला बन गया था।

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