भुने पर भिनभिनाहट: मंत्री ने पहले कहा- मांसाहारी भोजन से निकला धुआं 'हानिकारक', बाद में पलटे - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

भुने पर भिनभिनाहट: मंत्री ने पहले कहा- मांसाहारी भोजन से निकला धुआं ‘हानिकारक’, बाद में पलटे

| Updated: November 13, 2021 14:05

सरकारी आंकड़ों की मानें तो गुजरात की कम से कम 61 फीसदी आबादी मांस खाती है। फिर भी मांसाहारी भोजन से जुड़े पूर्वाग्रह के अलावा हीनता भी कम होने का नाम नहीं ले रही।

हमारे नेताओं द्वारा किए जाते विचित्र दावों के ताजा उदाहरण में गुजरात के राजस्व मंत्री राजेंद्र त्रिवेदी को लें। उन्होंने शुक्रवार को मांस आधारित व्यंजन परोसने वाले सड़क किनारे के विक्रेताओं से ऐसा करने से परहेज करने का आग्रह किया, क्योंकि उनके भोजन से निकलने वाला धुआं ‘स्वास्थ्य के लिए हानिकारक’ है। हालांकि बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से उद्धृत किया गया।

वैसे कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है, लेकिन गुजरात में मांसाहारी खाद्य स्टालों के लिए ‘अलग से सड़कों’  को लेकर चुपचाप अभियान चलाया जा रहा है। वडोदरा में कम से कम दो मांसाहारी खाद्य विक्रेताओं ने वाइब्स ऑफ इंडिया को यह बात बताई। एक तली मछली बेचने वाले वीओआइ  से कहा, “हम जहां काम कर रहे हैं, वहां से हमें बाहर निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं। हमारे ज्यादातर ग्राहक हिंदू हैं और हमारा खाना खाने में उन्हें कोई आपत्ति भी नहीं है। फिर भी कुछ लोग हमारे बारे में शिकायत कर रहे हैं।”

हालांकि मंत्री ने कहा कि उनका किसी को बाहर निकालने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा, “मेरा मतलब यह था कि पैदल चलने वालों के लिए जगह होनी चाहिए। इधर-उधर घूमने वाले ये वेंडर एक जगह रुक कर सड़क पर अतिक्रमण कर लेते हैं।'' त्रिवेदी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि वह किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई सड़क पर पाव भाजी भी बना रहा है तो धुएं से आंखें जलने लगती हैं. "इसी तरह, जब मटन या अंडे बनते हैं, तब भी वैसा ही होता है।" उन्होंने यह भी कहा कि, "हमारा कानून कहता है कि मटन लॉरी सार्वजनिक रूप से नहीं होनी चाहिए। लोग मांसाहारी सामान नहीं लटका सकते। उन्हें इसे दुकान के अंदर कपड़े से ढंककर रखना होगा।" त्रिवेदी ने कहा कि उन्हें इस तरह के घूमने वाले फेरीवालों के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं। इतना ही नहीं, नियम शाकाहारी और मांसाहारी भोजन स्टाल मालिकों दोनों के लिए हैं। उन्होंने समझाया, "फुटपाथों पर चलना और उसका इस्तेमाल करना लोगों का अधिकार है। सिर्फ यही कहना मेरा मकसद था।"

इस बारे में वाइब्स ऑफ इंडिया ने मानवाधिकार कार्यकर्ता आनंद याज्ञनिक से संपर्क किया, जिन्होंने कहा कि उन्हें ऐसे किसी कानून की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मंत्री की निजी टिप्पणियां हैं। गुजरात में हमेशा अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों के बीच संस्कृति का संघर्ष रहा है।

वडोदरा में एक मुस्लिम नॉन-वेज विक्रेता ने वाइब्स ऑफ इंडिया से कहा कि वैसे तो कोई औपचारिक संदेश नहीं है, लेकिन उन्हें “गुम हो जाने” के लिए कहा गया है।

राजकोट शहर में भी नगर निगम ने पिछले दो दिनों में मांसाहारी भोजन बेचने वाली छह गाड़ियां जब्त की हैं। राजकोट के मेयर प्रदीप दाव ने कहा कि उन्हें नागरिकों से बहुत सारी शिकायतें मिली हैं कि वे इन मांसाहारी विक्रेताओं की वजह से छींटाकशी के अलावा ‘अशुद्ध’ भी  महसूस करते हैं। वडोदरा में स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉ हितेंद्र पटेल भी  समान भावनाओं का इजहार करते हैं। उन्होंने कहा कि वह मांसाहारी विक्रेताओं के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी शाकाहारी और मांसाहारी विक्रेताओं द्वारा स्वच्छता बनाई रखी जाए। इसके अलावा, मांसाहारी विक्रेताओं को थोड़ी बेहतर साफ-सफाई रखने की भी जरूरत है।

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d