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पर्सनल डाटा के इस्तेमाल पर रोक, जुर्माना बढ़ाकर 250 करोड़ किया, बिल का ड्राफ्ट जारी

| Updated: November 19, 2022 10:09 am

सरकार ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 का ड्राफ्ट पेश कर दिया है। इसे डिजिटल दुनिया को सुरक्षित बनाने के लिए लाया गया है। अब कोई कंपनी को बिना इजाजत निजी डेटा का इस्तेमाल नहीं कर सकेगी। इतना ही नहीं, डाटा का गलत इस्तेमाल होने पर पेनल्टी को बढ़ाकर 250 करोड़ रुपए तक कर दिया गया है। इस ड्राफ्ट के लिए सभी से सुझाव और आपत्तियां मांगी गई हैं। सरकार इस बिल को अगले साल बजट सत्र (Budget session) में पेश कर सकती है।

केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, “डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 के मसौदे पर आपके विचार जानना चाहते हैं।” गौरतलब है कि पिछला डाटा प्रोटेक्शन बिल इस साल की शुरुआत में संसद के मानसून सत्र के दौरान रद्द कर दिया गया था। अब मंत्रालय ने इसका नाम बदलकर ‘पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल’ कर दिया है, जो पूरी तरह से यूजर डाटा से जुड़े कानूनों पर जोर देता है।

यह बिल दरअसल डाटा को सुरक्षित रखने के लिए लाया गया है। इसके पूरी तरह लागू हो जाने के बाद बिना कंज्यूमर की मर्जी के डाटा का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। कंपनियों को हर डिजिटल नागरिक को साफ और आसान भाषा में सारी डिटेल्स देनी होंगी। इतना ही नहीं, किसी भी समय यूजर अपना कन्सेंट वापस भी ले सकेगा। गलत इस्तेमाल पर 250 करोड़ रुपये तक की पेनल्टी का प्रावधान है। सरकार चाहे तो राष्ट्रहित में एजेंसियों या राज्यों को इसके एम्बिट से बाहर रख सकती है।

 इस ड्राफ्ट में कुछ सबसे बड़े बदलाव सोशल मीडिया और अन्य तकनीकी कंपनियों के इर्द-गिर्द हैं। बिल में कहा गया है कि डाटा एकत्र करने वाली कंपनी को पर्सनल डाटा को बनाए रखना बंद कर देना चाहिए, या उन साधनों को हटा देना चाहिए, जिनके द्वारा पर्सनल डाटा को किसी विशेष डाटा से जोड़ा जा सकता है। इसमें यह भी कहा गया है कि कानूनी या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर यूजर के डाटा को रखा नहीं जाना चाहिए।

बिल बायोमेट्रिक डेटा के मालिक को अपने डेटा पर पूर्ण अधिकार देता है. यहां तक कि अगर किसी नियोक्ता कंपनी को अपने कर्मचारी की हाजिरी के लिए बायोमेट्रिक डेटा की जरूरत है तो उसे स्पष्ट रूप से कर्मचारी से सहमति लेनी होगी.

नया बिल केवाईसी (KYC) डाटा को भी प्रभावित करेगा। हर बार सेविंग अकाउंट खोलने के लिए केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करना होता है। इसके तहत जुटाया गया डाटा भी नया बिल में आता है। बैंक को खाता बंद करने के 6 महीने से अधिक समय तक केवाईसी डाटा बनाए रखना होगा.

बच्चों के पर्सनल डाटा को एकत्र करने और बनाए रखने के लिए भी नियम बनाए गए हैं। कंपनी को डाटा तक पहुंचने के लिए माता-पिता या अभिभावक की सहमति की जरूरत होगी। सोशल मीडिया कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि टार्गेट किए गए विज्ञापनों के लिए बच्चों के डेटा को ट्रैक नहीं किया जा रहा है।

डाटा के स्टोरेज के लिए सर्वर देश में या मित्र देशों में ही हो सकेगा। सरकार इन मित्र देशों के नाम बताएगी। सरकारी एजेंसियां और संस्थान डाटा असीमित समय तक अपने पास रख पाएंगे। डाटा सुरक्षा के लिए बोर्ड बनेगा। बोर्ड का आदेश हर हाल में लागू होगा। वैसे इसके फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

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