हाल ही में एक अमेरिकी टेलीविजन चैनल को साक्षात्कार देते हुए ट्विटर के पूर्व सीईओ (former Twitter CEO) जैक डोर्सी (Jack Dorsey) ने आरोप लगाया है कि किसान आंदोलन (farmer protest) के दौरान भारत सरकार ने हम पर (ट्विटर) दबाव डाला और कहा कि हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे, अगर आपने हमारी बात नहीं मानी तो आपके कर्मचारियों के घरों पर छापा मारा जाएगा।
जैक के इस बयान की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर आते ही बहुत तेजी से वायरल होने लगी। इस वीडियो के हवाले से विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
ट्विटर के संस्थापक और पूर्व सीईओ जैक डोर्सी (Jack Dorsey) ने साक्षात्कार में दावा किया है कि भारत में किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने उन्हें ट्विटर को बंद कर देने की धमकी दी थी। जैक डोर्सी (Jack Dorsey) ने दावा किया कि उनसे भारत के कई ऐसे पत्रकारों के ट्विटर अकाउंट बंद करने के लिए कहा गया था जो सरकार के आलोचक थे। जैक से पूछा गया था, “दुनियाभर के ताक़तवर लोग आपके पास आते हैं और कई तरह की मांगें करते हैं, आप नैतिक सिद्धांतों वाले व्यक्ति हैं, इन हालात से आप कैसे निकलते हैं?”
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “मिसाल के तौर पर भारत एक ऐसा देश है, जहाँ से किसान आंदोलन के दौरान हमारे पास बहुत सी मांगें आ रहीं थीं. कुछ ख़ास पत्रकार सरकार के आलोचक थे, उनके बारे में. एक तरह से हमसे कहा गया कि हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे, भारत हमारे लिए बड़ा बाज़ार है. आपके कर्मचारियों के घरों पर छापे मार देंगे, जो उन्होंने किया. हम आपके आफ़िस बंद कर देंगे, अगर आप हमारी बात नहीं मानेंगे. ये भारत में हो रहा था, जो लोकतांत्रिक देश है।”
बीजेपी के राजीव चंद्रशेखर, केंद्रीय उद्यमिता, कौशल विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए जैक के उक्त वीडियो क्लिप पर जवाब देते हुए लिखा, “यह जैक का एक स्पष्ट झूठ है – शायद ट्विटर के इतिहास के उस बहुत ही संदिग्ध अवधि को मिटाने का प्रयास है। तथ्य और सच्चाई को डॉर्सी नेतृत्व वाली ट्विटर और उनकी टीम भारतीय कानून का बार-बार और लगातार उल्लंघन कर रही थी। वे 2020 से 2022 तक बार-बार कानून का पालन नहीं कर रहे थे। लेकिन कोई जेल नहीं गया और न ही ट्विटर “शटडाउन” हुआ। डोरसी के समय में ट्विटर को भारतीय कानून की संप्रभुता को स्वीकार करने में समस्या थी। उसने ऐसा व्यवहार किया जैसे भारत के कानून उस पर लागू नहीं होते। एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में भारत को यह सुनिश्चित करने का अधिकार है कि भारत में काम करने वाली सभी कंपनियां उसके कानूनों का पालन करें।”
राजीव ने आगे लिखा, “जनवरी 2021 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान, बहुत सारी गलत सूचनाएँ और यहाँ तक कि नरसंहार की रिपोर्टें भी आईं, जो निश्चित रूप से नकली थीं। भारत सरकार को प्लेटफ़ॉर्म से गलत सूचनाओं को हटाने के लिए बाध्य होना पड़ा क्योंकि इसमें फर्जी खबरों के आधार पर स्थिति को और भड़काने की क्षमता थी। जैक के समय ट्विटर पर इस तरह के पक्षपातपूर्ण व्यवहार का स्तर था, कि उन्हें भारत में प्लेटफ़ॉर्म से गलत सूचना को हटाने में समस्या हुई, जब उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में इसी तरह की घटनाएँ होने पर स्वयं ऐसा किया। रिकॉर्ड को सही करने के लिए, किसी पर छापा नहीं मारा गया और न ही उसे जेल भेजा गया। हमारा ध्यान केवल भारतीय कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने पर था। उस अवधि के दौरान जैक्स ट्विटर की मनमानी, स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण आचरण और अपने प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी शक्ति के दुरुपयोग के बारे में अब सार्वजनिक डोमेन में पर्याप्त सबूत हैं। डोरसी के समय ट्विटर न केवल भारतीय कानून का उल्लंघन कर रहा था, बल्कि यह पक्षपातपूर्ण था कि कैसे यह हमारे संविधान के अनुच्छेद 14,19 का उल्लंघन करते हुए मनमाने ढंग से ” deamplify” का उपयोग कर रहा था और गलत सूचनाओं को हथियार बनाने में सहायता कर रहा था। भारत में सक्रिय सभी बिचौलियों के लिए हमारी सरकार की नीतियां स्पष्ट हैं।”
वहीं किसान नेता राकेश टिकैत लिखते हैं कि, “ट्विटर के पूर्व सीईओ के द्वारा कहा गया कि भारत सरकार के द्वारा किसान आंदोलन के दौरान जो टि्वटर अकाउंट आंदोलन का समर्थन करते थे उन्हें बंद करने का दबाव बनाया गया, अगर यह हाल अंतर्राष्ट्रीय माध्यमों का है तो देश की न्यूज़ एजेंसी का क्या हाल होगा। कलम और कैमरा पर बंदूक का पहरा है।”
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