अमेरिका में बसने और बेहतर भविष्य की उम्मीद में निकले हरियाणा के एक युवक का सपना 178 दिनों की भयावह यात्रा में बदल गया। इस दौरान उसे जानलेवा जंगलों से गुजरना पड़ा, बंधक बनाकर रखा गया, हमलों का सामना करना पड़ा और अंततः अमेरिका पहुँचने के मात्र 14 दिनों के भीतर ही उसे वापस भेज दिया गया।
हरियाणा पुलिस ने गुजरात के उन मानव तस्करों के खिलाफ जाँच शुरू कर दी है, जो अवैध रूप से भारतीयों को “डंकी” (dunki) मार्ग के जरिए अमेरिका भेजते थे। यह कार्रवाई हरियाणा के निवासी पंकज रावत रमेश्वर दास की शिकायत के बाद की गई है, जिसमें उन्होंने अपनी भयावह यात्रा का विवरण साझा किया और ट्रैवल एजेंटों पर उनसे 35 लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया।
सूरत सिटी पुलिस की डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (DCB) ने इस मामले की जाँच शुरू की है। यह गुजरात में इस तरह का पहला आधिकारिक मामला है। इससे पहले हरियाणा और पंजाब पुलिस ने क्रमशः 35 और 19 एफआईआर दर्ज की हैं, जिसके बाद अब तक हरियाणा में 13 और पंजाब में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
शुरुआती एफआईआर 10 मार्च को हरियाणा के पानीपत स्थित चांदीबाग पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, जिसे बाद में सूरत सिटी पुलिस को स्थानांतरित कर दिया गया, क्योंकि पीड़ित जब कथित तस्करों से मिला था, तब वह गुजरात में कार्यरत था। अब इस मामले की जाँच सूरत सिटी पुलिस की स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) कर रही है। पुलिस इंस्पेक्टर टी.बी. पंड्या ने पुष्टि की कि शिकायतकर्ता को व्यक्तिगत रूप से बयान देने के लिए सूरत बुलाया गया है।
एफआईआर में दो आरोपियों के नाम दर्ज हैं, जो केवल अब्दुल और प्रदीप के नाम से पहचाने गए हैं।
एफआईआर के अनुसार, अब्दुल ने खुद को एक “एजेंट” बताया और रावत को आश्वासन दिया कि वह उसे अमेरिका भेज सकता है, जहाँ उसके लिए नौकरी और आवास की व्यवस्था की जाएगी। इसके बदले उसने 35 लाख रुपये की माँग की।
जनवरी 2024 में, रावत ने अपनी बचत और उधारी से 20 लाख रुपये इकट्ठे किए और अब्दुल को नकद दे दिए। इसके साथ ही उसने अपना पासपोर्ट भी अब्दुल के पास जमा कर दिया। मई 2024 में, अब्दुल ने उसे दिल्ली बुलाकर शेष 15 लाख रुपये ले लिए और उसकी यात्रा की व्यवस्था कर दी।
6 अगस्त 2024 को, अब्दुल ने रावत के लिए मुंबई से गुयाना के चेडी जागन इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक की फ्लाइट बुक कर दी। वहाँ से दूसरा एजेंट प्रदीप उसकी यात्रा का प्रभारी बन गया।
रावत ने बताया कि उसे गुयाना से खतरनाक जंगलों के रास्ते ब्राज़ील भेजा गया। 10 दिनों तक ब्राज़ील में रुकने के बाद, उसे बस से पेरू और फिर टैक्सी से इक्वाडोर ले जाया गया। इक्वाडोर में उसे 25 दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया, फिर कोलंबिया भेज दिया गया।
मॉन्टेरिया, कोलंबिया में, रावत को चार महीनों तक एक घर में कैद रखा गया। जब उसने अपने पैसे वापस माँगे, तो अब्दुल और प्रदीप के स्थानीय साथियों ने उसे जान से मारने की धमकी दी।
चार महीने बाद, तस्करों ने उसे पनामा के खतरनाक जंगलों से होते हुए भेजा, जहाँ आठ दिनों की कठिन यात्रा के बाद वह पनामा सिटी पहुँचा। वहाँ उसे 10 दिनों तक एक घर में रखा गया, जहाँ उसके साथ मारपीट की गई। इसके बाद उसे बस से कोस्टा रिका, होंडुरास, निकारागुआ और ग्वाटेमाला ले जाया गया। ग्वाटेमाला में 15 दिन रुकने के बाद, उसे मैक्सिको में प्रवेश कराया गया।
मैक्सिको सिटी में, वह दो हफ्तों तक एक होटल में रहा, फिर उसे उत्तर-पश्चिमी मैक्सिकन शहर हर्मोसिलो भेजा गया, जहाँ वह एक तस्कर के घर में 15 दिन तक रहा।
अंततः 1 फरवरी 2025 को, रावत और अन्य भारतीयों के एक समूह को मेक्सिको के टेकेट शहर से अमेरिका के टेकेट शहर (दोनों देशों में एक ही नाम वाले शहर) की सीमा पार करवाई गई।
हालांकि, अमेरिका में प्रवेश करते ही उन्हें अमेरिकी सीमा अधिकारियों ने पकड़ लिया और 14 दिनों तक हिरासत में रखा। इसके बाद 16 फरवरी को उन्हें भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर सैन्य विमान से अमृतसर एयरपोर्ट, पंजाब भेज दिया गया।
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसमें धारा 370 (मानव तस्करी), धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 506 (आपराधिक धमकी), धारा 120(b) (आपराधिक साजिश) शामिल है.
इसके अलावा, आरोपियों पर प्रवासन अधिनियम की धारा 24 के तहत भी मामला दर्ज किया गया है, जो भारत से अवैध प्रवासन से संबंधित अपराधों और दंडों का प्रावधान करता है।
पुलिस ने आश्वासन दिया है कि मामले की आगे की जाँच जारी है और इस अवैध तस्करी नेटवर्क से जुड़े अन्य व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।
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