मनोज पांडे अपनी नयी नियुक्ति के साथ ही कई इतिहास गढ़ दिए हैं. लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे देश के नए सेना प्रमुख होंगे। केंद्र सरकार ने उनकी नियुक्ति पर आखिरी मुहर लगा दी है। इसी के साथ वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे थल सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने वाले पहले इंजीनियर बन गए हैं । मौजूदा सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे इस महीने के अंत तक सेवानिवृत्त होने वाले हैं। 30 अप्रैल को लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को भारतीय सेना की कमान सौंपी जाएगी। मनोज मुकुंद नरवणे के बाद लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे सेने में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं।
ब्रिटेन में भी की है पढाई
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को दिसंबर 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स में शामिल किया गया था। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने जम्मू और कश्मीर में LOC के साथ पल्लनवाला क्षेत्र में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान एक डिजाइनर रेजिमेंट की कमान संभाली थी। उन्होंने ब्रिटेन के स्टाफ कॉलेज से स्नातक किया है और उन्होंने हायर कमांड और नैशनल डिफेन्स कॉलेज से पढ़ाई की है।
माउंटेन डिवीजन की सभाल चुके हैं कमान
अपने 39 साल के सैन्य करियर में वो कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन का हिस्सा रहे हैं। ऑपरेशन पराक्रम, वेस्टर्न थियेटर में इंजीनियर ब्रिगेड, पश्चिमी लददख में माउंटेन डिवीजन के अलावा कई पूर्वी कमान भी संभाली है। पूर्वी कमान की जिम्मेदारी संभालने से पहले वह अंडमान और निकोबार कमान के अध्यक्ष थे। इसके अलावा वो पाकिस्तान के खिलाफ सेना की कई रणनीतियों का भी हिस्सा रहे हैं।
चीन के खिलाफ भारत की रणनीति को मिलेगी मजबूती
सेना में इस फेरबदल का असर चीन के खिलाफ भारत की रणनीति पर भी पड़ेगा। लेफ्टिनेंट जनरल सेना की पूर्वी कमान का कमांडर होता है, जो सिक्किम से अरुणाचल प्रदेश तक की सीमा की रक्षा करता है। ऐसे में लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को थल सेनाध्यक्ष का नया उप प्रमुख नियुक्त किए जाने से सेना को एक और चीन एक्सपर्ट अधिकारी मिल जाएगा।
नागपुर में हुआ जन्म ,पिता डॉ ,माँ इंडिया रेडियो में एक उद्घोषक में उद्घोषक रही
मनोज पांडे का जन्म नागपुर महाराष्ट्र के एक शिक्षित मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनकी उम्र साल 2022 के अनुसार 40 वर्ष है। इनके पिता का नाम डॉक्टर सी.जी पांडे जो कंसलटिंग फिजियोथैरेपिस्ट और नागपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त प्रमुख है। उनकी मां का नाम प्रेमा पांडे जो इंडिया रेडियो में एक उद्घोषक और होस्ट रही है। मनोज पांडे से छोटे दो भाई है एक भाई केतन ब्रनई में रहता है तो दूसरा छोटा भाई भारतीय सेना में कर्नल के रूप में सेवानिवृत्त है।
शुरू से ही थे मेधावी
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने अपनी स्कूली पढ़ाई अपने जन्मस्थान नागपुर महाराष्ट्र पूरा करने के बाद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी NDA में शामिल हो गए। एनडीए के बाद वह भारतीय सैन्य अकादमी में चले गए। जिसके बाद वह उच्च स्तरीय पढ़ाई के लिए स्टाफ कॉलेज केम्बरली (UK) चले गए। वहां से आने के बाद आर्मी वॉर कॉलेज महू और नेशनल डिफेंस कॉलेज नई दिल्ली में हाई कमान का कोर्स भी किया।
स्वर्ण पदक विजेता अर्चना सालपेका का मिला जीवन साथ
मनोज पांडे एक विवाहित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने 3 मई 1987 को स्वर्ण पदक विजेता अर्चना सालपेका के साथ शादी के बंधन में बंध गए,अर्चना का उनको हर कदम में साथ में मिला।
कुछ यु बढ़ा सेना में कैरीयर
मनोज पांडे को साल 1982 में कोर ऑफ इंजीनियस में कमीशन का पदभार मिला था। इस कमान को कुछ समय तक संभालने के बाद जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ ऑपरेशन पराक्रम के दौरान 117 इंजीनियस लेफ्टिनेंट रेजीमेंट का कमान संभालने का मौका मिला।
आगे जब वह स्टाफ कॉलेज से लौटे तो उन्हें पूर्वोत्तर भारत मे ब्रिगेड मेजर बना दिया गया।
जिसके बाद वह आर्मी वार कॉलेज में उच्च कमान पाठ्यक्रम पूरा का पूरा करने के बाद मुख्यालय 8 माउंटेन डिवीजन में कर्नल कयू नियुक्त हुये। फिर उन्हें ब्रिगेडियर रैंक में पदोन्नत किया गया। जिसके बाद वह LOC के साथ तैनात 52 इन्फेंट्री ब्रिगेड का कमान भी संभाला। आगे उन्हें 8 माउंटेन डिवीजन का कमान संभालने का मौका मिला।इसके बाद उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल के पद भार और दक्षिणी कमान के में चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य करने लगे। फिर वह गजराज कोर के जनरल कमांडिंग ऑफिसर के रूप में नियुक्त हुए। जिसके बाद उन्हें अंडमान और निकोबार कमांड (CINCAN) का 15वा कमांडर इन चीफ नियुक्त किया गया।
2 जून 2021 को मनोज पांडे को जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ पूर्वी का कमान मिला। फिर 18 जनवरी 2022 को मनोज पांडे को उप प्रमुख नियुक्त किया।
मनोज पांडे को मिले उपलब्धियां और पुरस्कार
- अति विशिष्ट सेवा मेडल
- विशिष्ट सेवा मेडल
- विशेष सेवा मेडल
- ऑपरेशन विजय मेडल
- ऑपरेशन पराक्रम मेडल
- सायन्या सेवा मेडल
- हाय एटीट्यूड सर्विस मेडल
- विदेश सेवा मेडल
- स्वतंत्रता पदक की 50वीं वर्षगांठ
- 30 साल लंबी सेवा के लिए पदक मिला
- 20 साल लंबी सेवा करने के लिए पदक मिला
- 9 साल लंबी सेवा के लिए पदक दिया गया
- यूएनएमईई मेडल मिला
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