बुलेट ट्रेन परियोजना में अब इनकम टैक्स की बाधा - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

बुलेट ट्रेन परियोजना में अब इनकम टैक्स की बाधा

| Updated: April 25, 2022 11:10

भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पहले से ही रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। इस बीच टैक्स को लेकर इसमें एक और बाधा खड़ी हो गई है। इस प्रोजेक्ट में भागीदार जापान ने भारत सरकार से मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना के डिजाइन पहलुओं में लगे अपने सलाहकारों को मिलने वाली फीस और अन्य खर्चों पर इनकम टैक्स नहीं लगाने को कहा है। इतना ही नहीं, इस मसले का समाधान नहीं होने पर प्रोजेक्ट में देरी को लेकर चेतावनी भी दे डाली है।

भारत में जापानी राजदूत सुजुकी सतोशी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस गतिरोध को दूर करने की अपील की है। साथ ही चिंता जताई है कि यदि इसका समाधान नहीं किया गया, तो यह मुद्दा जापानी अनुदान के तहत स्वीकृत सभी परियोजनाओं पर “नकारात्मक प्रभाव” डालेगा। इस बुलेट ट्रेन परियोजना में और देरी तो होगी ही।

जिन सलाहकारों के लिए जापानी छूट चाहते हैं, वे जापान इंटरनेशनल कंसल्टेंट्स और जेई के साथ कार्यरत हैं, जो दो जापानी फर्म हैं। वे परियोजना के डिजाइन पहलुओं में लगी हुई हैं और उन्हें जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा अनुदान दिया गया है। यह उस ऋण का हिस्सा नहीं है जो जापान ने परियोजना के लिए भारत को दिया है। जेआईसीए जापानी सरकार की निवेश एजेंसी है।

जापान का कहना है कि यह टैक्स उसके सलाहकारों पर नहीं लगना चाहिए, जो बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की डिजाइन से जुड़े काम को संभाल रहे हैं। जापान ने यह भी कहा है कि भारत सरकार को इनको मिलने वाली फीस और अन्य खर्चों पर इनकम टैक्स किसी कीमत पर नहीं लगाना चाहिए। 

वित्त विधेयक में आयकर अधिनियम की धारा 10 के खंड 8, 8ए, 8बी और 9 के संबंध में जापान की विशेष चिंताएं हैं, जो आयकर से छूट से संबंधित हैं। ये खंड विदेशी नागरिकों के बारे में बात करते हैं, दूसरों के बीच, सरकारी परियोजनाओं के लिए तकनीकी सहायता में लगे हुए हैं और भारत में वेतन प्राप्त कर रहे हैं।

जापान सरकार ने हाल के बजट सत्र में पारित वित्त विधेयक में आयकर कानून के क्लॉज 8, 8ए, 8बी और सेक्शन 10 के 9वें क्लॉज पर आपत्ति जताई है। इनमें ही भारत में काम करने वाले विदेशी नागरिकों की कमाई पर आयकर के प्रावधानों के बारे में बताया गया है। दरअसल इस परियोजना के लिए जापान की ओर से भारत सरकार को लोन भी दिया गया है। इसलिए जापान का कहना है कि उसके ही ग्रांट से बनने वाली परियोजना में कार्यरत जापानी कर्मचारियों की आय पर टैक्स नहीं लगना चाहिए।

सीतारमण को लिखे अपने पत्र में जापानी राजदूत ने कहा है, “मैं इस स्थिति को लेकर गहरी चिंता में हूं, क्योंकि यह एमएएचएसआर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के जोखिम को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा देगा।” जापान अब सीतारमण से आयकर और संबंधित शुल्कों की “जितनी जल्दी हो सके” कंसल्टेंसी फर्मों को “पूर्व भुगतान का आश्वासन” मांग रहा है। सतोशी ने कहा, “हमें यह मानना होगा कि इन लागतों को जेआईसीए की अनुदान सहायता से वहन नहीं किया जा सकता है।”

जापान दूतावास ने इस मुद्दे पर बात करने के लिए फोन और ईमेल का जवाब नहीं दिया। भारतीय रेलवे के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि यह देखने की कोशिश की जा रही है कि इस मामले को कैसे बेहतर तरीके से संबोधित किया जा सकता है।

जापानी पक्ष ने सरकार को यह भी सूचित किया है कि “प्रतिपूर्ति” यानी रीइम्बर्स्मन्ट का विकल्प संभव नहीं होगा, क्योंकि विचाराधीन कंसल्टेंसी कंपनियां आकार में छोटी हैं और उनके पास खर्च वहन करने के लिए अतिरिक्त धन नहीं है।

जापानी पक्ष के अनुसार, जेआईसीए अनुदान के तहत प्रभावित होने वाली अन्य परियोजनाओं में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बिजली आपूर्ति में सुधार वाली परियोजना भी है, जो दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजना है। इसके अलावा बेंगलुरु में एक उन्नत यातायात सूचना और प्रबंधन प्रणाली का करार भी है। इन दोनों परियोजनाओं के लिए जापान प्रतिपूर्ति के सिद्धांत पर सहमत हो गया है, लेकिन उसने कहा है कि यह एमएएचएसआर के लिए स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि यह एक बड़ी परियोजना है।

महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण के मुद्दों के कारण बुलेट ट्रेन परियोजना पहले से ही धीमी गति से आगे बढ़ रही है। हाल ही में एक अंडर-सी टनल के निर्माण के लिए एक बहुप्रतीक्षित टेंडर को रद्द करना पड़ा, क्योंकि टनल-बोरिंग मशीनों में प्रवेश करने के लिए भूमि की अनुपलब्धता थी।

अधिकारी अब गलियारे के गुजरात हिस्से पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जहां गंभीरता से काम शुरू हो गया है। सूत्रों ने कहा कि राज्य में कम से कम 2027 से पहले वाणिज्यिक सेवा शुरू होना संभव नहीं है।

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d