भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला ने बुधवार को अंतरिक्ष से अपनी पहली लाइव कॉल में इस अनुभव को “अवर्णनीय” बताया। अंतरिक्ष से “नमस्कार” करते हुए शुभांशु ने कहा कि वह धीरे-धीरे भारहीनता में ढल रहे हैं।
उन्होंने कहा, “अभी मैं जीरो ग्रैविटी में खुद को संभालना सीख रहा हूं — जैसे एक बच्चा चलना सीखता है, वैसे ही मैं यहां अपने मूवमेंट पर कंट्रोल करना सीख रहा हूं। लेकिन मैं इस हर पल का आनंद ले रहा हूं।”
उन्होंने हंसते हुए बताया कि वह अंतरिक्ष में “बहुत सो भी रहे हैं।”
ऐतिहासिक मिशन पर अपने विचार साझा करते हुए शुभांशु ने कहा कि यह भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम और आगामी गगनयान मिशन के लिए एक बड़ा कदम है।
शुभांशु ने कहा, “यह मिशन भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय तिरंगे को देखकर ऐसा लगता है कि आप सभी मेरे साथ इस यात्रा में शामिल हैं। मैं चाहता हूं कि आप सभी इस मिशन से जुड़ा हुआ महसूस करें। यह केवल तकनीकी महत्वाकांक्षा नहीं है — बल्कि इस यात्रा के पीछे के उद्देश्य और भावना से जुड़ा है। अगले 14 दिनों में मैं महत्वपूर्ण कार्य पूरे करने और अपने अनुभव साझा करने के लिए उत्सुक हूं।”
शुभांशु ने अंतरिक्ष यान से 418 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी के दृश्य को “खूबसूरत” बताया।
बुधवार को शुभांशु ऐतिहासिक मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए थे, जो 41 साल बाद भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन में वापसी का प्रतीक है।
अक्ष-4 मिशन, स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से अमेरिकी समयानुसार 12:01 बजे (भारतीय समय) फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। इस मिशन में शुभांशु के साथ कमांडर पेगी व्हिटसन, हंगरी के तिबोर कापू और पोलैंड के स्लावोज़ उजनांस्की-विश्निएव्स्की शामिल हैं।
अक्ष-4 दल अब ग्रेस ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को आईएसएस से डॉक करने की तैयारी कर रहा है। अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने के बाद अंतरिक्षयात्री अगले 14 दिनों में 60 से अधिक प्रयोग करेंगे। इनमें इसरो और अन्य भारतीय संस्थानों द्वारा डिजाइन किए गए सात प्रयोग शामिल हैं, जिनका उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को और सशक्त करना है।
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