जानिए कौन है गुजरात कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा के सेनापति - Vibes Of India

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जानिए कौन है गुजरात कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा के सेनापति

| Updated: March 27, 2022 23:08

पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पूरी ताकत के साथ गुजरात के चुनावी मैदान में पूरे दम ख़म के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है. जहा इस साल के अंत में चुनाव होने हैं , समय के पहले भी चुनाव की चर्चा सियासी गलियारों में हो ही रही है। गुजरात कांग्रेस प्रभारी पिछले पांच महीनो से गुजरात को समझने की कोशिश में थे , इस दौरान उन्होंने बड़ी सभा के साथ निजी मुलाकातों को प्राथमिकता दी।

एक हजार से अधिक तालुका -जिला से लेकर प्रदेश और एआइसीसी में गुजरात का प्रतिनिधत्व कर रहे नेताओं ,सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों के बाद एक बात तय हो गयी थी जो टीम है उसके भरोसे गुजरात नहीं जीता जा सकता। इसलिए प्रदेश संगठन और उससे जुड़े सभी घटको में जहा बदलाव किया गया , वही एआईसीसी के प्रभारी सचिव डॉ विश्वरंजन मोहंती और जीतेन्द्र बघेल की भी ना केवल गुजरात बल्कि एआईसीसी के सचिव पद से विदाई करा दी।

रघु शर्मा

गुजरात के सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रख कर वह अपनी पसंद के चार कांग्रेस नेताओ को प्रभारी सचिव के तौर पर नियुक्त कराया है। पसंद का आधार ईमानदारी ,संगठन क्षमता और जुझारूपन रहा है। जिसमे उमंग सिंघार ,वीरेंद्र सिंह राठौर ,बी. एम संदीप ,और रामकृष्ण ओझा का समावेश है। पहली बार गुजरात में चार प्रभारी सचिव तैनात किये गए है। ऐसे में सवाल यह है की यह कौन है , उनकी नियुक्ति क्यों हुयी है ,और उनकी भूमिका क्या होगी ? वाइब्स आफ इंडिया तमाम पहलु से आपको अवगत करा रहा है।

उमंग सिंघार – उमंग सिंघार आदिवासी युवा नेता हैं और वह मध्य प्रदेश की पूर्व उप मुख्यमंत्री जमुना देवी के भतीजे हैं. उमंग सिंघार धार जिले से आते हैं और जिले की गंधवानी विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक हैं. इन्होंने 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की.उमंग जमीन पर लड़ने में भरोसा करते हैं और दिग्विजय सिंह के धुर विरोधी है। 1990 उमंग सिंघार युवा कांग्रेस में शामिल हुए उमंग 1994 वह भोपाल में जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्होंने 2003 तक इस पद पर कार्य किया।2008 वह गंधीवानी निर्वाचन क्षेत्र से मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने बीजेपी के छत्तर सिंह दरबार को हराया। लेकिन 2013 में कांग्रेस ने उनकी टिकट काट दी लेकिन वह अपने बल विधायक रूप में गंधीवानी निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित किया गया था। उन्होंने कांग्रेस के सरदार सिंह मेधा को हराया। 2018 में वह वापस विधायक बने और कमलनाथ सरकार में वन पर्यावरण मंत्री बने। गुजरात में वह आदिवासी इलाकों को सभालेंगे। इनकी बुआ जमुना देवी की गिनती प्रदेश के सबसे अनुभवी विधायकों और आदिवासी समुदाय के वरिष्ठ नेताओं में होती थी.

उमंग सिंघार

वीरेंद्र सिंह राठौर- उत्तरी हरियाणा से कांग्रेस लीडर वीरेंद्र सिंह राठौर को आक्रामक वक्ता होने के साथ ही युवक कांग्रेस के से जुड़े रहे है हरियाणा के घरौंडा विधानसभा से उन्होंने 2009 में कांग्रेस के प्रत्याशी थे , लेकिन विधानसभा पहुंचने का उनका सपना अधूरा रहा गया ,इंडियन नेशनल लोकदल के नरेंद्र सांगवान ने उन्हें 1760 मतों से पराजित कर दिया। वह हरियाणा प्रदेश संगठन की राजनीति करने लगे , कभी अशोक तवर के नजदीकी रहे वीरेंद्र आजकल राहुल गाँधी के भरोसेमंद है , वह गुजरात के पहले बिहार के प्रभारी सचिव थे , बिहार में तात्कालिक प्रभारी और राजसभा सांसदशक्ति सिंह गोहिल के सहायक रहे वीरेंद्र उनके गृह राज्य के प्रभारी बने है। किसान आंदोलन के दौरान भी इनकी सक्रियता थी।

वीरेंद्र सिंह राठौर

बी. एम संदीप – कांग्रेस में कुछ लोग ऐसे है जो राहुल गाँधी द्वारी युवक कांग्रेस और कांग्रेस में शुरू की गयी चुनावी पध्दति के कारण उभर कर सामने आये हैं , बीएम संदीप उनमे से एक हैं। कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के निवासी के निवासी वही के आईडीएसजी गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कालेज से स्नातक संदीप युवक कांग्रेस में चुनाव कराने की लम्बे समय तक जिम्मेदारी निभाई है , वह कांग्रेस के आतंरिक चुनाव आयुक्त YCEA से जुड़े रहे है. वह राजीव गाँधी पंचायती राज समिति के पहले कर्नाटक इकाई के और फिर अखिल भारतीय इकाई के प्रमुख रहे , गांधीवाद को वर्धा आश्रम के सहारे कांग्रेस में वापस लाने में संदीप की अहम भूमिका है , जमीन से जुड़े और लो प्रोफ़ाइल संदीप के लिए गुजरात नया नहीं है। गुजरात के पहले वह महाराष्ट्र के प्रभारी सचिव रहे हैं। महाराष्ट्र से गुजरात उन्हें स्थानांतरित किया गया है।

बी. एम संदीप

रामकृष्ण ओझा- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रही प्रभा ओझा के बेटे आर.के. ओझा ( रामकृष्ण ओझा ) नागपुर महाराष्ट्र से है। वह महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव थे , गुजरात प्रभारी रघु शर्मा की मांग पर उन्हें लाया गया है , उनकी माँ प्रभा ओझा इन्द्रिरा गाँधी की नजदीकी थी।पिछले चुनाव में आर.के. ओझा ने नागपुर से टिकट की दावेदारी के बावजूद अहमद पटेल के कहने पर अपनी दावेदारी पीछे ले ली थी। हिंदी भाषी ओझा को सीधे रघु शर्मा से जोड़ा गया है , वह रघु शर्मा के सहायक की भूमिका निभाने के साथ हिंदी भाषियों को साधने का काम करेंगे। यूपीए सरकार में उन्हें सांस्कृतिक बोर्ड का सदस्य बनाया गया था।

रामकृष्ण ओझा-

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