क्या आपने कभी सोचा है कि हम दिल की बीमारी, डायबिटीज़ और याददाश्त में गिरावट जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के खतरे को आधा, यानी 50% तक कम कर सकते हैं? नहीं, इसके लिए कोई जादुई गोली नहीं है, बल्कि इसका जवाब आपके अपने शरीर में ही छिपा है। जी हाँ, यह बिल्कुल सच है! शारीरिक गतिविधि यानी ‘मूवमेंट’ उम्र के असर को कम करने और गंभीर बीमारियों से बचने का सबसे शक्तिशाली ज़रिया है।
अमेरिका के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. संजय भोजराज, जिन्हें इस क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है, इस बात पर ज़ोर देते हैं कि हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कैसे चलते-फिरते हैं, यह स्वास्थ्य से जुड़े महंगे उत्पादों या दवा की गोलियों से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है। आइए, इस बारे में गहराई से जानते हैं।
क्यों है मूवमेंट उम्र को थामने का सबसे शक्तिशाली ज़रिया?
डॉ. भोजराज बताते हैं कि 80% से ज़्यादा पुरानी बीमारियाँ हमारी जीवनशैली की वजह से होती हैं – यानी हम कैसे चलते-फिरते हैं, क्या खाते हैं, कैसे सोते हैं और तनाव को कैसे संभालते हैं। इन सब में, सोच-समझकर की गई शारीरिक गतिविधि हमारे लिए “उम्र के प्रभाव को कम करने का सबसे शक्तिशाली साधन” है।
इसका मतलब सिर्फ़ जिम में घंटों पसीना बहाना नहीं है, बल्कि कोई भी ऐसी गतिविधि जो आपकी मांसपेशियों और फेफड़ों को चुनौती दे, आपकी कोशिकाओं को मज़बूत और जीवित रहना सिखाती है। यही स्वस्थ और लंबी उम्र की नींव रखती है।
डॉ. भोजराज कहते हैं, “आपकी लंबी उम्र इस बात पर कहीं ज़्यादा निर्भर करती है कि आप कैसे चलते-फिरते, खाते-पीते, सोते और तनाव का प्रबंधन करते हैं, बजाय इसके कि आपकी दवा की अलमारी में क्या रखा है। फिर भी, ज़्यादातर लोग अपनी शारीरिक क्षमता पर ध्यान देने के बजाय दवा की दुकान से शुरुआत करते हैं।”
कैसे 50% तक कम होता है बीमारियों का खतरा?
डॉ. भोजराज के अनुसार, नियमित रूप से की जाने वाली स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और एरोबिक एक्सरसाइज़ दिल की बीमारी, डायबिटीज़ और याददाश्त में गिरावट के खतरे को 50% तक कम कर सकती हैं। यह एक बहुत बड़ी बात है, क्योंकि कोई भी दवा इसके आस-पास भी नहीं पहुँच सकती।
शारीरिक गतिविधि हमारी कोशिकाओं में मौजूद माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) – यानी हमारे शरीर के ऊर्जा इंजन – को संकेत देती है कि वे ऑक्सीजन और धूप का इस्तेमाल करके हमें स्वाभाविक रूप से ऊर्जावान बनाए रखें।
डॉ. भोजराज के शब्दों में, “अध्ययन बताते हैं कि लगातार स्ट्रेंथ और एरोबिक ट्रेनिंग करने से दिल की बीमारी, डायबिटीज़ और याददाश्त में गिरावट का खतरा 50% तक कम हो सकता है। कोई भी गोली इसके करीब नहीं आ सकती।”
पैदल चलना: एक सरल लेकिन असरदार कदम
इसके लिए आपको किसी महँगे उपकरण या जिम की मेंबरशिप की ज़रूरत नहीं है। डॉ. भोजराज बताते हैं कि रोज़ाना लगातार पैदल चलने से भी दिल को असाधारण लाभ मिल सकते हैं। हर दिन 10,000 कदम चलना या सिर्फ़ 20 से 30 मिनट की सैर भी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने, रक्त संचार को बेहतर बनाने और दिल की धड़कन को स्वस्थ रखने में मदद करती है। एक अध्ययन से यह भी पता चला कि रोज़ाना पैदल चलने से दिल की बीमारियों का खतरा लगभग 50% तक कम हो सकता है।
शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी ज़रूरी
शारीरिक गतिविधि का असर सिर्फ़ शरीर तक ही सीमित नहीं है। यह शरीर के मुख्य तनाव हार्मोन ‘कोर्टिसोल’ (Cortisol) के स्तर को भी कम करती है। कोर्टिसोल का बढ़ा हुआ स्तर दिल और दिमाग़ दोनों के लिए हानिकारक होता है।
नियमित रूप से व्यायाम करने से तनाव कम होता है, जिससे मूड अच्छा रहता है और सोचने-समझने की क्षमता भी बेहतर होती है। धीमी गति से चलना या कम चलना डिप्रेशन, चिंता और याददाश्त से जुड़ी समस्याओं के बढ़ते खतरे से जुड़ा है, जबकि नियमित गतिविधि दिमागी सेहत की रक्षा करती है।
हर किसी के लिए है ज़रूरी
डॉ. भोजराज सभी को किसी भी रूप में शारीरिक गतिविधि को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं – चाहे वह पैदल चलना हो, योग हो, तैराकी हो या वज़न उठाना हो।
संदेश बिलकुल साफ़ है: “लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी जीने के लिए, दवा की दुकान से नहीं, बल्कि यहाँ से शुरुआत करें।” उन्होंने यह भी जोड़ा, “यह कोई टोटका नहीं है – बल्कि आपके शरीर को इसी तरह से खुद को ठीक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।”
यह भी पढ़ें-











