तीन-भाषा नीति को लेकर तीखे विरोध के बीच महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को अपने संशोधित सरकारी आदेश (जीआर) को रद्द कर दिया और नीति की समीक्षा और नई रूपरेखा तय करने के लिए एक नई समिति गठित करने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि यह फैसला राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। सरकार के प्राथमिक स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले का राज्यभर में विरोध हो रहा था।
फडणवीस ने पत्रकारों से कहा, “कैबिनेट में आज निर्णय लिया गया है कि तीन-भाषा नीति के कार्यान्वयन को लेकर डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी। यह नीति समिति की रिपोर्ट के बाद ही लागू की जाएगी।”
उन्होंने आगे कहा, “हम तीन-भाषा नीति से जुड़े दोनों जीआर रद्द कर रहे हैं। यह समिति सभी हितधारकों से चर्चा करेगी। हमारे लिए मराठी ही केंद्र में है।”
विवाद उस समय भड़का जब महायुति सरकार ने अप्रैल में एक जीआर जारी कर मराठी और इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को डिफॉल्ट तीसरी भाषा के तौर पर अनिवार्य करने का आदेश दिया था। यह कदम केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को प्राथमिक स्तर पर लागू करने के चरणबद्ध कार्यक्रम का हिस्सा बताया गया।
हालांकि इस फैसले का राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने जोरदार विरोध किया। आलोचकों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार हिंदी थोप रही है और क्षेत्रीय भाषाओं की विविधता को नुकसान पहुंचा रही है।
विवाद बढ़ने पर फडणवीस ने सफाई दी कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी और छात्र कोई भी भारतीय भाषा चुन सकेंगे। इस महीने की शुरुआत में जारी संशोधित आदेश में कहा गया था कि हिंदी “सामान्यत:” तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाई जाएगी, लेकिन अगर किसी कक्षा में कम से कम 20 छात्र किसी अन्य भारतीय भाषा का विकल्प चुनेंगे तो स्कूल को उसके लिए शिक्षक की व्यवस्था करनी होगी या ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा देनी होगी।
फिर भी विरोध थमा नहीं। विपक्षी दलों और साहित्यिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार का संशोधित आदेश भी हिंदी को प्राथमिकता देता है।
राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने इस नीति के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई की और मराठी भाषियों से सड़कों पर उतर कर विरोध दर्ज कराने की अपील की। विरोध इतना तीव्र हो गया कि राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ हाथ मिला कर मुंबई में “हिंदी थोपने” के खिलाफ संयुक्त मोर्चा प्रदर्शन भी किया।
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