मौत का पुलः मोरबी पुलिस ने ओरेवा और सरकार के बीच हुए करार के दस्तावेज कलेक्ट्रेट से मांगे

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मौत का पुलः मोरबी पुलिस ने ओरेवा और सरकार के बीच हुए करार के दस्तावेज कलेक्ट्रेट से मांगे

| Updated: November 7, 2022 19:18

मोरबी पुलिस ने सरकारी अधिकारियों और ओरेवा ग्रुप के बीच झुलतो पुल (Jhulto Pul) से संबंधित समझौतों के बारे में दस्तावेज और पत्राचार (official communication) के ब्योरे मांगे हैं। बता दें कि 30 अक्तूबर को सस्पेंशन पुल (suspension bridge) के टूट कर गिर जाने से 135 लोगों की मौत हो गई थी। बताया जाता है कि पुलिस ने राजकोट और मोरबी कलेक्ट्रेट के साथ-साथ मोरबी नगर पालिका (Morbi municipality) को पत्र लिखकर 4 नवंबर तक करार के  सभी कागजात (details of the agreements) दे देने को कहा है।

मोरबी पुलिस के उपाधीक्षक (deputy superintendent) और मामले में जांच अधिकारी पीए जाला ने कहा कि

कलेक्ट्रेट ऑफिसों ने 24 घंटे के भीतर दस्तावेज नहीं दिए, जिसके कारण उन्हें ऐसा करने के लिए फिर से कहा जाएगा। उन्होंने कहा, “अगर समय पर कागजात नहीं मिले. तो हम मोरबी नगरपालिका को सीआरपीसी (CrPC) की धारा 160 के तहत समन भेजेंगे। ”

इस बीच, शनिवार को पुलिस ने कथित तौर पर बंद कमरे में सुनवाई करने की मांग की, जिसे अदालत ने नहीं माना। पुलिस ने यह मांग नौ में से चार आरोपियों को मजिस्ट्रेट अदालत में पेश करते समय की थी।

जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, “रिमांड की पिछली सुनवाई खुली अदालत में होने से आरोपी (accused) और संदिग्धों (suspects) को सतर्क होने का मौका दे दिया। इसके बाद ओरेवा ग्रुप ने अपना ऑफिस ही बंद कर लिया है।”

एक लोकल क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने यह भी कहा कि एफएसएल रिपोर्ट अगले तीन दिनों में आने की उम्मीद है। फिर “रिपोर्ट के नतीजों (findings) के आधार पर जब्त किए गए दस्तावेजों और  सीआरपीसी की धारा (CrPC section) 154 के तहत मोरबी नगरपालिका के मुख्य अधिकारी के बयान को मिलाते हुए संदिग्धों की जांच की जाएगी।

वहीं, पुल के लिए 2007 और 2022 में सहायक ठेकेदार (subcontractor) निर्माण कंपनी द्वारा किए गए कार्यों से संबंधित दस्तावेज पुलिस ने बरामद किए हैं। उन्होंने कहा, “हमने खरीद, कार्य आदेश (work order) और ठेका (contract) से संबंधित दस्तावेज बरामद किए हैं।” इस पर ओरेवा और देव प्रकाश के दस्तखत हैं।

पुलिस ने कहा कि 2007 में पुल की मरम्मत का काम उन्हीं मालिकों को दिया गया था, हालांकि उस समय कंपनी का नाम ‘विश्वकर्मा’ था। शनिवार को मजिस्ट्रियल कोर्ट में पुलिस के बयान के मुताबिक, पुलिस ने ओरेवा से खरीद और भुगतान के कागजात भी बरामद किए हैं।

जाला ने कहा कि ओरेवा और सुरेंद्रनगर स्थित फैब्रिकेटिंग उप-ठेकेदार देव प्रकाश फैब्रिकेशन के बीच 29 लाख रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। ओरेवा ने पुल से संबंधित पेंटिंग कार्यों के लिए 2.11 लाख रुपये आवंटित किए, जबकि बिजली फिटिंग से संबंधित कार्य कंपनी द्वारा ही किया जाना था।

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