मोरबी हादसा - गुजरात उच्च न्यायालय ने लिया स्वत: संज्ञान: मुख्य सचिव, कलेक्टर, मानवाधिकार आयोग को नोटिस

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मोरबी हादसा – गुजरात उच्च न्यायालय ने लिया स्वत: संज्ञान: मुख्य सचिव, कलेक्टर, मानवाधिकार आयोग को नोटिस

| Updated: November 7, 2022 14:11

गुजरात हाई कोर्ट Gujarat High Court ने मोरबी ब्रिज हादसे Morbi Bridge accident को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान( Suo Motu ) लिया है। गृह विभाग, (Home Department )शहरी आवास विकास विभाग (Urban Housing Development Department) , मोरबी नगर पालिका (Morbi Municipality) , राज्य मानवाधिकार आयोग (State Human Rights Commission )समेत राज्य सरकार के अधिकारियों को नोटिस भेजे गए हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर पूरी घटना की रिपोर्ट देने को कहा है. अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी। गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने मोरबी हादसे को लेकर आठ दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. मुख्य न्यायाधीश ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मोरबी के जिला कलेक्टर को भी नोटिस जारी किया है.

मोरबी हादसा में 135 लोगों की मौत

गुजरात के मोरबी में पुल हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायलों का सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज किया गया . घटना तब हुई जब लोग छुट्टियां मनाने झूलते पल पुल पर गए थे। बिना अनुमति के कुछ दिन पहले ही पुल आमजन के लिए खोला गया था। इस हादसे का वीडियो भी सामने आया था। वीडियो में दिख रहा है कि कुछ लोग एक पुल पर खड़े हैं और अचानक पुल गिर जाता है और उस पर सवार सैकड़ों लोग नीचे नदी में गिर जाते हैं. इसके बाद कुछ लोग अपनी जान बचाने के लिए तैरते हैं और कुछ लोग उसी पानी में डूब जाते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है.

FSL की चौंकाने वाली रिपोर्ट

मोरबी पुल ढहने के मामले में गुजरात के सरकारी वकील हरसेन्दु पांचाल ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. एफएसएल ( FSL )की प्रारंभिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए अधिवक्ता हरसेन्दु पांचाल ने कहा कि ठेकेदार ने केबल को नहीं बदला, केवल क्षतिग्रस्त केबल को रंग दिया। उसने सिर्फ फर्श को बदल दिया। इस मामले में 9 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था जिसमे सिक्योरिटी गार्ड भी शामिल था।

वहीं गुजरात के मोरबी जिले की अदालत ने मोरबी ब्रिज टूटने की घटना के सिलसिले में ओरेवा कंपनी के दो प्रबंधकों सहित चार आरोपियों की पुलिस रिमांड बढ़ाने से इनकार कर दिया। इससे पहले एक नवंबर को चार आरोपियों को 5 नवंबर तक 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। शनिवार को पुलिस ने आरोपियों की रिमांड बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन अदालत ने इससे इनकार करते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

कंपनी के चार आरोपियों में से दो ओरेवा कंपनी के प्रबंधक हैं, जिन्हें ठेका दिया गया था ये दोनों आरोपी ही ब्रिज के नवीनीकरण के मामलों के प्रभारी थे। वहीं अन्य दो को पुल के रखरखाव के लिए sub contract दिया गया था। इन सभी आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPS) की धारा 304, 308, 336, 337 और 114 के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोनों आरोपी प्रबंधकों के वकील धर्मेंद्र शुक्ला ने अदालत में तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष द्वारा दावा किए जाने के विपरीत ओरेवा समूह और मोरबी नगरपालिका के बीच समझौते में पुल के फिर से खोलने के संबंध में किसी भी शर्त का प्रावधान नहीं किया। वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा है कि मोरबी में हुए हादसे में राज्य सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं थी।

बता दें की 30 अक्टूबर को मोरबी में ब्रिज टूटने से बड़ा हादसा हुआ था और इसमें 135 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस पुल का नवीनीकरण ओरेवा कंपनी द्वारा किया गया था। ये पुल करीब 130 साल पुराना अंग्रेजों के ज़माने का था।

मोरबी पुल हादसे की 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

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