गुजरात में विपुल चौधरी के घोटाले में और अनियमितताएं पाई गईं

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गुजरात में विपुल चौधरी के घोटाले में और अनियमितताएं पाई गईं

| Updated: September 17, 2022 13:41

गुजरात के सहकारी क्षेत्र (Cooperative Sectors of Gujarat) का एक प्रमुख चेहरा और 1996 में शंकरसिंह वाघेला सरकार (Shankarsinh Vaghela Govt.) में गृह मंत्री (Home Minister )रहे विपुल चौधरी (Vipul Choudhary )को सामान्य आरोपी की तरह क्राइम ब्रांच के लाकअप Crime Branch lockup में पूरी रात रखा गया। केवल एक पंखा के सहारे रात बिताना उत्तर गुजरात के इस ओबीसी नेता के लिए मुश्किल था , पहली रात क्राइम ब्रांच कोई वरिष्ठ अधिकारी भी नहीं गया। विपुल चौधरी को गिरफ्तार करने गयी क्राइम ब्रांच की टीम के एक सदस्य के मुताबिक क्राइम ब्रांच को देखकर विपुल चौधरी किसी आम आरोपी की तरह एक बार बचने का मौका देने के लिए गिड़गिड़ाने लगे थे , वह ” कुछ भी ” देने के लिए तैयार थे।

इस मामले में एक अहम् खुलासा यह हुआ है की जिस वकील की फीस डेयरी से दी गयी असल में वह वकील है ही नहीं। अब इस मामले की जाँच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ( ACB ) विपुल चौधरी द्वारा बनायीं गयी कंपनी और उनके डायरेक्टरों की भूमिका की भी जाँच की दिशा में आगे बढ़ रही है।विपुल चौधरी की विविध कंपनियों के निदेशकों ने क्या बैंक प्रोजेक्शन , कंपनी के माध्यम से वित्तीय लेनदेन में किसी तरह की हेराफेरी की है , या नहीं जैसे पहलुओं की जाँच की जाएगी। इस जांच में विपुल चौधरी के साथ गिरफ्तार हुए उनके सीए को भी साथ रखा जाएगा।

भ्रष्टाचार निरोधक शाखा विपुल चौधरी के कनाडा , अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में कथित निवेश की भी जाँच की जाएगी। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक विपुल से पूंछताछ के दौरान कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे , यदि उनकी संलिप्तता किसी तरह के आरोप में पायी जाती है तो उन्हें भी गिरफ्तार किया जायेगा। अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके यदि किसी से वसूली की गयी हो तो उन पर भी कार्यवाही की जाएगी।

एसीबी के 10 दिन के रिमांड की मांग के सामने मेहसाणा विशेष अदालत के जज ए एल व्यास ने 7 दिन का रिमांड मंजूर किया है. पायनियर लॉजिक फायनेंसियल सॉल्यूशन कंपनी का आधिकारिक पता तिलक रोड डोंबिवली ( ईस्ट ) थाणे है लेकिन यहां कोई कंपनी नहीं है , जबकि किराये पर एक सामान्य परिवार रहता है।
जबकि दूसरी कंपनी प्राचीन बायोटेक एलएलपी अहमदाबाद G I D C में दर्ज है , लेकिन ना तो यहा कोई कंपनी है और ना ही कोई दवा बनती है। इसी तरह भवन निर्माण से जुड़ी देवमीत इंफ्रास्ट्रक्चर ने 2015 -2019 तक कोई व्यवसाय नहीं किया।
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विपुल चौधरी के कई व्यवसाय होने के कारण उनके कई भागीदार थे। क्राइम ब्रांच ने विपुल चौधरी को गिरफ्तार करने के बाद एक पूर्व गृह मंत्री के दामाद के घर पहुंच गयी। वह विपुल के कई कंपनियों में डायरेक्टर थे , क्राइम ब्रांच के आने की सूचना पूर्व गृह मंत्री को मिलने पर उन्होंने उच्च अधिकारियों से संपर्क कर साफ़ कर दिया कि उन पर हाथ डालना महगा पड़ेगा ,जिसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम वापस गयी।

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