एक संसदीय पैनल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को प्रकाशकों के रूप में माना है। इसके साथ ही डेटा संरक्षण पर प्रस्तावित कानून के दायरे में व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत डेटा दोनों को शामिल करके अधिक जवाबदेही की मांग करने की सिफारिश की है।
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 पर संयुक्त समिति ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों में अपनी रिपोर्ट पेश की। समिति की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी के सांसद पी.पी चौधरी ने की।
समिति ने सोशल मीडिया की संस्थाओं को रेगुलेट करने की तत्काल आवश्यकता जोर दिया है। साथ ही कहा है कि सोशल मीडिया इंटरमीडियरी कई स्थितियों में सामग्री के प्रकाशक के रूप में काम कर सकते हैं, इसलिए कि उनके पास सामग्री के रिसीवर का चयन करने की क्षमता है। इतना ही नहीं, उनके द्वारा होस्ट की गई ऐसी किसी भी सामग्री तक पहुंच पर नियंत्रण भी रखता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब तक मूल कंपनी भारत में एक कार्यालय स्थापित नहीं करती है, तब तक देश में किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को संचालित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसने एक ऐसे तंत्र की वकालत की है, जिसके द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जो इंटरमीडियरी के रूप में कार्य नहीं करते हैं, उन्हें प्लेटफॉर्म पर असत्यापित अकाउंटों से प्राप्त सामग्री के लिए जिम्मेदार बनाया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, “एक बार आवश्यक दस्तावेजों के साथ सत्यापन के लिए आवेदन जमा करने के बाद सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को अनिवार्य रूप से अकाउंट को सत्यापित करना होगा।”
समिति ने सभी मीडिया प्लेटफार्मों पर सामग्री को विनियमित करने के लिए एक वैधानिक मीडिया नियामक प्राधिकरण स्थापित करने की भी सिफारिश की है। चाहे वे प्रिंट हों, ऑनलाइन हों या अन्य। पैनल ने कहा कि इस प्राधिकरण का गठन भारतीय प्रेस परिषद की तर्ज पर किया जा सकता है।
इसके अलावा, पैनल ने कहा कि हार्डवेयर के निर्माताओं को विनियमित करने के लिए एक ढांचा बनाया जाना चाहिए, जो सॉफ्टवेयर के साथ डेटा भी एकत्र करते हैं।
समिति ने कहा कि प्रस्तावित कानून को व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक नहीं कहा जाना चाहिए। यह भी सुझाव दिया कि इसे व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए।
डेटा सुरक्षा बिल
मसौदा डेटा संरक्षण विधेयक में लोगों की स्पष्ट सहमति के बिना उनकी व्यक्तिगत जानकारी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। मसौदा विधेयक में शामिल वस्तुओं में सहमति, व्यक्तिगत डेटा, दी जा सकने वाली छूट, व्यक्तिगत डेटा के लिए भंडारण प्रतिबंध और व्यक्तिगत अधिकार शामिल हैं।
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 पर संयुक्त समिति को मसौदा कानून की जांच करने का काम सौंपा गया था। इसमें लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल थे।
समिति ने विधेयक की समीक्षा की प्रक्रिया में नागरिक समाज के सदस्यों, उद्योग प्रतिनिधियों और अन्य हितधारकों के साथ बैठकें कीं।
नवंबर में पैनल द्वारा अपनी मसौदा रिपोर्ट को अपनाने के बाद कई सांसदों ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति के समक्ष असहमति व्यक्त की थी।
इनमें कांग्रेस सांसद जयराम रमेश, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा और गौरव गोगोई, तृणमूल कांग्रेस के विधायक डेरेक ओ ब्रायन और महुआ मोइत्रा और बीजू जनता दल के अमर पटनायक शामिल थे।